फूल कुमारी
फूल कुमारी


एक थी फूल कुमारी
एक था जंगल। एक था जंगल का राजा। एक थी फूल कुमारी। फूल कुमारी हंसती तो जंगल के सारे फूल हंसते। फूल कुमारी गाती तो सारी नदियां गातीं, चिड़ियां गातीं । फूल कुमारी झूमती तो सारे पेड़ और जानवर झूमने लगते। वह लहराती तो हवा लहराने लगती। वह खुश होती तो करोड़ों तारे टिमटिमाने लगते। राजा खुश था। फूल कुमारी खुश थी , खिलखिलाती थी ।
सारा जंगल खुश था। राजा ने महल बनाया। खूब सारे पेड़ काट डाले। फूल कुमारी कुम्हलाई। राजा ने कारखाने बनाए। नदियां गंदी हो गईं। फूल कुमारी थोड़ी मुरझाई। राजा ने और कारखाने बनाए। हवा गंदी हो गई। फूल कुमारी और मुरझा गई। राज ने चांद छू लिया। फूल कुमारी गुमसुम हो गई। हंसना भूल गई। उसकी किलकारियां छुप गई। एकदिन एक आदमी आया। राजा, राजा, सारे फूल मुरझा गये। दूसरा आदमी आया।
राजा, राजा, सारी नदियां थम गईं। चिड़ियाँ उदास हो गईं। और एक आदमी आया। राजा, राजा, सारे पेड़ मुरझा गये। सारे जानवर उदास हो गए। और एक आदमी आया। राजा, राजा, हवा रुक गई। तारे भी छुप गये। राजा ने फूल कुमारी को बोला, हंस बेटी हंस। वह नहीं हंसी। रानी बोली, हंस बेटी हंस। फूल कुमारी नहीं हंसी। मंत्री बोला, हंस बेटी हंस। वह फिर भी नहीं हंसी। एक राज कुमार आया।
उसने खूब सारे पेड़ लगाए। उसने नदियों को साफ करवाया। खूब सारे तालाब खुदवाए। चांद सूरज छूने की कोशिश पर रोक लगाई। जिन्दगी थामने की कोशिश पर रोक लगाई। रफ़्तार को रोका। फूल कुमारी थोड़ी सी मुस्कराई। फूल मुस्कराने लगे। फूल कुमारी थोड़ी गुन गुनाई। नदियाँ गुन गुनाई। हवा लहराई। पेड़ झूमने लगे। जानवर भी झूमे। कुछ तारे भी टिमटिमाने लगे। फूल कुमारी ने हंसना शूरू कर दिया है। देखें, कब दिल खोलकर खिलखिलाती है।