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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Fantasy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Fantasy

पब्लिसिटी के लिए कुछ भी ?

पब्लिसिटी के लिए कुछ भी ?

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जब आपके चेहरे से नूर बरसता हो, आंखों से मधुशाला। होंठों से शरारत के झरने और बालों से सावन गिरता हो तो भीड़ खुद ब खुद आपको बड़ी वाली सेलिब्रिटी बना देती है। कुछ ऐसा ही हुआ जूही चावला के साथ। 17 साल की उम्र में "मिस इंडिया" का खिताब वर्ष 1984 में क्या जीता, सुरखाब के पर लग गए जूही चावला के जीवन में। 

इतना हसीन चेहरा और ऐसी मासूमियत अगर एक साथ मिल जाएं तो फिल्म वाले पीछे पीछे दौड़े चले आते हैं। और जब "मिस इंडिया" का ताज सिर पर हो तो फिर भाव अपने आप बढ़ जाते हैं। फिल्म निर्माता, निर्देशकों की लाइन लग गई जूही चावला के घर। पहली फिल्म आई सल्तनत। लेकिन कुछ नहीं कर पाई। 


कहते हैं कि जब मुकद्दर का चक्का घूमता है तो सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता है। 1988 में आई फिल्म "कयामत से कयामत तक" ने बॉलीवुड में कयामत ही ला दी। रातों रात आमिर खान और जूही चावला स्टार बन गए। और तो और इस फिल्म के गानों को जिसने आवाज दी वो उदित नारायण भी रातों रात पार्श्व गायक के रूप में उसी तरह स्थापित हो गए जिस तरह "आशिकी" से कुमार शानू हुए थे। कयामत से कयामत तक एक ब्लॉक बस्टर फिल्म साबित हुई जिसने उस वर्ष बेस्ट फिल्म , बेस्ट एक्टर, बेस्ट एक्ट्रेस के साथ और भी न जाने कौन कौन से फिल्म फेयर अवार्ड जीते। जूही चावला एक स्थापित अभिनेत्री बन गई। 


उसके बाद तो बहुत सारी फिल्में आईं जिनमें लुटेरे, डर, हम हैं राही प्यार के , नाजायज, दीवाना मस्ताना , यस बॉस, इश्क , डुप्लीकेट , झूठ बोले कौआ काटे , मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी वगैरह फिल्म हैं। फिर एक बार आमिर खान के साथ आई मूवी "हम हैं राही प्यार के" में जूही चावला को बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल फिल्म फेयर अवार्ड फिर मिला। 


1995 में केवल 28 वर्ष की उम्र में जूही चावला ने एक उद्योगपति जय मेहता से शादी कर ली। जय मेहता वही हैं जिनके सिर पर बाल नहीं हैं और मैडम जूही चावला "केश किंग" हेयर ऑयल का भरपूर विज्ञापन करती थीं। तब तक लोगों को पता ही नहीं था कि जूही चावला की शादी हो चुकी है और वह भी एक "गंजे" से और मैडम हेयर ऑयल का विज्ञापन कर रहीं हैं। जब लोगों को पता चला तो उन्होंने कहा "मैडम, पहले अपने पति के बाल तो उगा लो। जब उनका "खाली मैदान" लॉन में तब्दील हो जाए तब विज्ञापन करना" । वैसे एक बात बताएं , नेता और अभिनेताओं में कुछ समानताएं बड़ी गजब की होतीं हैं। दोनों में से ज्यादा एक्टिंग कौन करता है , पता ही नहीं चलता है। इसके अलावा दोनों ही "बेशर्म" प्रजाति के होते हैं। न जाने कितने लोग गाली देते हैं दोनों को लेकिन दोनों को कोई फर्क ही नहीं पड़ता है। मैडम हेयर ऑयल के विज्ञापन से खूब माल कूटती रही। 


फिल्म "डर" से इतनी निडर हो गई जूही चावला कि डर फिल्म के विलेन शाहरुख खान उसके और उसके पति जय मेहता के इतने खास बन गए कि तीनों ने एक कंपनी "ड्रीम्ज वर्ल्ड" बना ली और इस कंपनी ने एक फिल्म"फिर भी दिल है हिंदुस्तानी" बना ली जिसमें शाहरुख खान और जूही चावला मुख्य भूमिका में थे। फिल्म औसत रही। इसके बाद जूही चावला की शाहरुख खान के साथ अनेक फिल्म आईं जो कुछ खास नहीं कर पाईं। 


इन तीनों ने इंडियन प्रीमियर लीग में कोलकाता नाइट राइडर्स का मालिकाना हक ले लिया। अब वो दौर आ गया था जब जूही चावला का कैरियर फिल्मों से लगभग खत्म हो गया था। लेकिन जब एक बार स्टारडम मिल जाता है तो हमेशा सुर्खियों में रहने की आदत पड़ जाती है। मैडम KKR के कारण शाहरुख खान के साथ सुर्खियों में रहने लगी। KKR ने दो बार जीत हासिल भी की है। 


बाद में तो स्थिति ऐसी हो गई कि लोग भूल गए कि जूही चावला भी कभी एक अभिनेत्री हुआ करती थी। ना तो फिल्मों में लीड रोल मिलता है। "ड्रीम्ज वर्ल्ड" के ड्रीम्ज भी कहीं टूट फूट गए। कोलकाता नाइट राइडर्स भी फ्लॉप साबित हो रही थी और केश किंग ने भी शायद "बाय बाय" बोल दिया था। अब तो चर्चा में रहने के सारे रास्ते बंद हो गए थे। अब क्या करें ? 


जब कोई अभिनेत्री फिल्मों से बाहर हो जाती है तो फिर वह सोशल मीडिया एवं मीडिया में बने रहने के लिए या तो पर्यावरण विद बन जाती है या फिर जानवरों की पैरोकार। आपको अनुष्का शर्मा याद है ? अरे , वही विराट कोहली की बीवी। जब फिल्में पिटने लग गई तो जानवरों की बहुत बड़ी वाली हितैषी बन गई। उसका दीपावली वाला संदेश तो याद होगा जब वह अपने कुत्ते के साथ लोगों से प्रार्थना कर रही है "प्लीज़, दीपावली पर पटाखे मत चलाओ ना , देखिए जानवर कितने परेशान हैं"। लोगों को लगा कि कितनी सही बात कह रही है ये। लेकिन बाद में मैडम खुद एक वीडियो में दिख गई जिसमें वह "चिकन , मटन" खाकर कह रहीं थीं "सो यम्मी"। लोगों की नजरों से तुरंत जानवर हितैषी होने का पर्दा हट गया और लोग कहते नजर आए कि ये तो बहुत दोगली निकली। मुर्गी और न जाने क्या क्या खाती है और खुद को जानवरों की हितैषी कहती है। पर बॉलीवुड में तो ऐसे दोगले भरे पड़े हैं। 


एक और मिस वर्ल्ड "प्रियंका चोपड़ा" अभिनेत्री थीं। अब तो शायद विदेश में बस गई शादी करके। उन्होंने भी दीपावली पर पटाखे नहीं फोड़ने की खूब अपील की। कहा "इससे पर्यावरण खराब होता है , वृद्ध , बीमार , बच्चे, महिलाओं को बहुत नुकसान करता है यह धुआँ। इसके अलावा बेचारे जानवर"। सच में रोना आ गया इनकी अपील सुनकर। लेकिन जब इनकी शादी का वीडियो आया और उसमें जो भयंकर वाली आतिशबाजी की गई तो मैडम की सारी पोल पट्टी खुल गई। ये मैडम तो वो वाली "पंडित" निकली जो खुद तो बैंगन खाते हैं पर दूसरों को मना करते थे। इनका दोगलापन भी उजागर हो गया और लोगों ने इसकी भी क्लास लगा दी। वैसे इन बेशर्म लोगों को कोई फर्क पड़ता है क्या ? 


हां , एक बात याद आई। ये जो बड़े बड़े तथाकथित सेलेब्रिटी जब पर्यावरण या जानवरों के हित की लड़ाई में शामिल होते हैं या ट्वीट करते हैं , अपील करते हैं तब कितने पैसे लेते हैं ? आज तक पता ही नहीं चला। मुख्य बात यह है कि ये तथाकथित सेलेब्रिटी पैसों के बिना कुछ भी नहीं करते। एक मशहूर अभिनेत्री के बारे में सुनने में आया था कि वे एक ट्वीट के पांच करोड़ रुपए लेतीं है। ये वही अभिनेत्री हैं जो जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में गुंडों का समर्थन करने गई थी। अभी हाल में ही तथाकथित किसान आंदोलन के पक्ष में ट्वीट करने के लिए रेहाना , मियां खलीफा ने भी खूब सारे पैसे लिए बताए। 


तो ये तथाकथित सेलेब्रिटी पब्लिसिटी पाने के लिए नौटंकियां करतीं रहतीं हैं। अब जूही चावला को कोई पूछ रहा नहीं और इनको पुछवाने की आदत पड़ी हुई है। तो फिर ये पर्यावरण विद या जानवर प्रेमी बन जाती हैं। 


जूही चावला को भी पब्लिसिटी चाहिए थी इसलिए उसने एक जनहित याचिका माननीय उच्च न्यायालय , दिल्ली में प्रस्तुत की कि देश में 5 G टेक्नोलॉजी आ रही है। यह इतनी खतरनाक है कि अगर यह इस देश में आ गई तो पूरी धरती ही नष्ट हो जाएगी। इसलिए इस पर रोक लगाई जाए। 


जूही चावला को खूब पब्लिसिटी मिली इस जनहित याचिका पर। देश में एक तबका ऐसा है जो चाहता है कि केंद्र सरकार के हर काम को उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से रोक दिया जाए। इसमें हारे हुए दल, खैराती मीडिया , दाऊद गैंग के बॉलीवुड के लोग , तथाकथित बुद्धिजीवी वगैरह शामिल हैं। ऐसा कोई काम या ट्वीट जो मोदी विरोधी हो , खैराती मीडिया में तुरंत छा जाता है। जूही चावला का काम भी ऐसा ही था इसलिए मीडिया ने उस जनहित याचिका को खूब हाइलाइट किया। जूही चावला का साक्षात्कार भी दिखा दिया। जूही चावला की मुराद पूरी हो रही थी। 


आजकल कोरोना के कारण वर्चुअल सुनवाई हो रही है। इसलिए जूही चावला भी सीधे दिल्ली उच्च न्यायालय से जुड़ी थी। जूही चावला ने इसे पब्लिसिटी का एक माध्यम माना और उस सुनवाई को अपने इंस्टाग्राम से लिंक कर दिया। इससे जूही चावला के समस्त फैन भी दिल्ली उच्च न्यायालय से सीधे जुड़ गए। 


फैन तो फैन हैं उन्हें न्यायालय की गरिमा से ज्यादा अपने सेलिब्रिटी की फ़िक्र ज्यादा होती है। तो कोर्ट का माहौल संगीतमय बनाने के लिए किसी फैन ने जूही चावला की फिल्म "हम हैं राही प्यार के" का गाना "घूंघट की आड़ से दिलबर का दीदार अधूरा रहता है" बजा दिया। कोर्ट कुछ समझ पाता इससे पहले ही फिल्म नाजायज का एक गाना "लाल लाल होंठों पर गोरी किसका नाम है" बज उठा। एक बार तो सब जजों को आनंद आ गया। श्रंगार रस की सरिता बहने लग गई। जब कोर्ट को लगा कि यह कोई घर में नहीं बज रहा यह तो कोर्ट की सुनवाई में बज रहा है तो फटकार लगाई। तब जाकर बंद हुआ वह संगीत कार्यक्रम। दिल्ली उच्च न्यायालय बहुत नाराज़ हुआ। मन ही मन कहा "गाने मस्त थे पर गलत समय पर सुनाए गए" और सब वकीलों को भी सुनाई दिए थे इसलिए कार्यवाही करना आवश्यक हो गया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने वह जनहित याचिका खारिज कर दी और जूही चावला पर बीस लाख रुपए की पेनल्टी लगा दी। 

यह तो वही बात हुई कि चौबे जी छब्बे जी बनने चले थे मगर दुब्बे जी बनकर लौटे। लेकिन जूही चावला के लिए यह कोई घाटे का सौदा नहीं था। उसे फिर से पब्लिसिटी मिल गई। इतनी पब्लिसिटी मिली कि वह करोंड़ों रुपए भी खर्च करती तो भी नहीं मिलती। यह उस सिद्धांत पर आधारित है कि "बदनाम गर होंगे तो क्या हुआ ? नाम तो होगा "। तो यहां बदनामी हुए जूही चावला की मगर नाम भी खूब हुआ। 


इस प्रकार पब्लिसिटी स्टंट के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं लोग चाहे बदनाम ही क्यों न हो जाएं ? जूही चावला की तरह। 



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