पानी पिला दिया
पानी पिला दिया


हास्य व्यंग्य : पानी पिला दिया
कहते हैं कि जिनकी आंखों का पानी उतर गया हो, दुनिया उन्हें पानी पिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ती है । जो पाकिस्तान भारत को अपने जन्म से ही पानी पी पीकर कोस रहा था उस पाकिस्तान को मोदी जी ने "पानी" के हथियार से ही पानी पानी कर दिया ।
जब से सिंधु नदी जल समझौता निलंबित किया गया है तब से पाकिस्तानी सोच रहे थे कि वे अब बूंद बूंद पानी को तरसेंगे लेकिन मोदी जी भी बड़ी अबूझ पहेली हैं । उन्होंने झेलम में ऐसा पानी छोड़ा कि पाकिस्तान पानी में डूबता हुआ नजर आया ।
माना कि पाकिस्तान एक "बिगड़ैल सांड" है लेकिन मोदी जी आप भी कमाल करते हैं । आप ने तो उस बिगड़ैल सांड को पानी पिला पिला कर उसका पेशाब ही निकाल दिया । आपने तो कहा था कि आप उसका "हुक्का पानी बंद" कर दोगे लेकिन आपने तो झेलम का ऐसा पानी बहाया कि पाकिस्तान में चारों ओर पानी ही पानी नजर आने लगा ।
वैसे पाकिस्तानी इतने बेगैरत हैं कि उनका खून पानी से भी पतला हो गया है और उन्होंने पहलगाम में कुछ भारत के गद्दारों से मिलकर जो कायराना हरकत की है उससे भारत में पानी में आग लग गई है । उस आग में न केवल पाकिस्तान झुलसेगा अपितु यहां पलते उसके पालतू पिल्ले भी अब "पें पें" करते नजर आएंगे ।
अब भारत पाकिस्तान को कभी प्यासा रखकर और कभी पानी पिला पिला कर मारने पर आमादा है । इससे पाकिस्तानियों के बदन के न जाने किस किस अंग से पानी निकल रहा है ।
सिंधु जल समझौता निलंबित कर के पानी रूपी हथियार से पाकिस्तान को परास्त करने का यह प्रयोग बहुत जबरदस्त है । "हल्दी लगे ना फिटकरी रंग चोखा आए" वाली कहावत आज चरितार्थ हो गई । मोदी जी का प्रश्न पत्र हमेशा सिलेबस से बाहर क्यों होता है ? तभी तो कहते हैं कि मोदी जी को समझना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है ।
पाकिस्तानी तो सोच रहे थे कि अब उन्हें पानी की जगह पसीना पीना पड़ेगा लेकिन मोदी जी बड़े दरियादिल इंसान हैं । उन्होंने दया करके झेलम से पानी छोड़कर पाकिस्तान को डुबोने का प्लान बना लिया ।
इस एक निर्णय से एक ही झटके में झेलम में 6 से सात फुट पानी बढ़ गया । उसका परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान को "वाटर इमरजेंसी" घोषित करनी पड़ी । झेलम के किनारे बसने वाले लोगों को आनन फानन में वहां से हटाना पड़ा और उन्हें किसी सुरक्षित जगह ले जाना पड़ा । अब समस्या यह आ गई कि उन्हें खिलाएं क्या ? पाकिस्तान में तो पहले से रोटी के लिए जंग हो रही है । ऐसे में विस्थापितों के लिए "रोटी" कहां से लाएं ? एक और मुसीबत !
भारत के इन कदमों से पाकिस्तान को नानी याद आ रही है । सेना के बड़े बड़े अधिकारी जो कल तक शेखी बघार रहे थे , वे आज अपने परिजनों को विशेष विमान से पाकिस्तान से बाहर भेजने में लगे रहे ।
वैसे एक बात तो है कि पाकिस्तान का जन्म हुआ तो भारत से ही है ना ! तो जब भारत में एक "पप्पू" हो सकता है तो क्या पाकिस्तान में भी कम से कम एक पप्पू नहीं होना चाहिए ? इसमें पाकिस्तान भला पीछे कैसे रहता ? उसने भी एक पप्पू पैदा कर लिया ।
कल वह कह रहा था कि यदि भारत ने सिंधु नदी का पानी रोका तो वह भारतीयों का खून बहा देगा । जिसकी नसों में खून नहीं बल्कि पानी बह रहा हो वह खून बहाने की बात करते अच्छा नहीं लगता है । लेकिन भारत जानता है कि "पप्पू" की बात को सीरियसली नहीं लेते हैं । क्योंकि भारत का "पप्पू" तो पिछले 11 साल से "पप्पू गिरी" कर ही रहा है ना ? उस "जोकर" की बातों को कोई सीरियसली नहीं लेता बल्कि उस पर हंसते हैं लोग । वह एक नेता कम "स्टैंड अप कॉमेडियन" ज्यादा लगता है । यही हाल पाकिस्तानी "पप्पू" का भी है । वैसे यह कहना बड़ा मुश्किल है कि दोनों में बड़ा वाला "पप्पू" कौन सा है ?
पाकिस्तान में मोदी जी का खौफ इस कदर व्याप्त हो गया है कि जो आतंकी कभी सीना ठोककर कहते थे कि फलां हमला हमने किया था । आज वही कायर आतंकवादी कह रहे हैं कि पहलगाम हमला हमने नहीं किया है । जबकि हमला होने के कुछ समय पश्चात "द रेसिस्टेंट फ्रंट" जो लश्कर ए तैयबा का बच्चा है , ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी ।
अब लगता है कि उसकी पतलून गीली और पीली हो गई है इसलिए वह यह कह कर मोदी जी के प्रकोप से बचने की कोशिश कर रहा है कि यह हमला हमने नहीं किया । जबकि पाकिस्तान का रक्षा मंत्री अब स्वीकार कर रहा है कि पिछले 30 सालों से पाकिस्तान "आतंकवाद" का पालन पोषण कर रहा है ।
कहते हैं कि जब गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की ओर भागता है । वैसे ही जब पाकिस्तानियों के "बवासीर" हो जाता है तब वह अपने कुछ पिल्ले भारत में छोड़ देता है ।
मगर पाकिस्तान यह भूल गया कि अब यहां "मनमोहनी सरकार" नहीं है जिसे देश से ज्यादा अपने "वोट बैंक" की चिंता अधिक थी । अब तो यहां "बवासीर" का जड़ से इलाज करने वाली सरकार है । यह सरकार पुरानी से पुरानी बवासीर का इलाज करना जानती है तभी तो 1960 का सिंधु जल समझौता निलंबित कर पाकिस्तान को उसने पहली "खुराक" पिला दी है ।
भारत में बैठे पाकिस्तानी पिल्लों के मकानों को बम से उड़ाकर उन्हें भी संदेश दे दिया है कि अब उन्हें "बिरयानी" खाने को नहीं मिलेगी बल्कि अब लोहे के चने चबाने पड़ेंगे ।
पत्रकारिता के भेष में बैठे पाकिस्तानी पिट्ठुओं पर भी एक सर्जीकल स्ट्राइक करने की जरूरत है । वे अभी भी पाकिस्तानी भाषा बोल रहे हैं । हालांकि सोशल मीडिया के माध्यम से जनता उन्हें भिगो भिगो कर जूते मार रही है लेकिन उन्होंने इतने सालों से पाकिस्तान का नमक जो खाया है तो उनकी खाल भी गेंडे जैसी मोटी हो गई है इसलिए उन पर अभी इन जूतों का असर नहीं हो रहा है और वे अभी भी पाकिस्तानी तलवे चाट रहे हैं । लेकिन जनता ने भी ठान लिया है कि वह इनकी अकल ठिकाने लगा कर ही दम लेगी ।
अंत में बात उस "कोठे" की जो अब बहुत बदनाम हो चुका है । कभी मुन्नी बदनाम हुई थी अब कोठा बदनाम हो रहा है । यदि कोई सिब्बल जैसा कोठा फिक्सर फिर से "कोठे" पर जाकर नाक रगड़ता हैं और वह कोठा उस पर अपनी "नजर ए इनायत" कर देता है तब जनता के सब्र का बांध टूट जाएगा । फिर "कंटेम्प्ट" की "गदा" को घुमाते ही रहना । लोग उससे खिलौने की तरह खेलने लगेंगे ।
वाह मोदी जी वाह ! पानी से पानी पिलाना तो कोई आपसे सीखे ।
जय हिन्द
श्री हरि
27.4.2025