पागल

पागल

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" अरे भोला , पागल है क्या। तुम " लिफ्ट से निकलते ही वाचमैंन भोला पर दूसरे माले पर रहने वाले राधेश्याम जी ने चिल्लाते हुए कहा।

"क्या हुआ सर " भोला ने पूछा।

" अरे यार ,पूरी रात बिल्डिंग के कैम्पस में कुत्ते भोंकते रहते हैं। ठीक से आदमी सो भी नहीं पाता और तुम लोग उन्हें बाहर भी नहीं निकालते हो।झोपङपट्टी बनाकर रख दिया बिल्डिंग को " कहते हुए राधेश्याम जी बाहर निकल गये।

तभी गेट के पास एक पिल्ला दिखाई दिया तो भोला ने छड़ी उठाकर उसके पाँव पर लगाई।

" अरे रेरेक्या कर रहे हो।पागल हो क्या, बेचारा मुक पशु कुछ बोल नहीं सकता तो मारोगे उसे " स्कुटी को पार्किंग में लगाते हुए रेखा मैडम चिल्लाई।

" मैं मैंतो " भोला ने कुछ कहना चाहा पर रेखा मैडम ने उसकी बात काट दी- " क्या मैं मैं लगा रखी। " देखो, कितना प्यारा पिल्ला है " कहते हुए रेखा मैडम ने पिल्ले को गोद में उठा लिया।

हद है एक कहेगा भगाओ, तो दूसरा कहेगा उठाओ भोला बड़बड़ाया।

तभी देखा, तीन माले वाली दादी पिल्लों के लिए दूध - रोटी लाई और प्यार से खिलाने लगी।

अभी घंटा भर ही बीता था कि पाँच माले वाले मुन्ना बाबू भूनभूनाते हुए भोला को लताड़ रहे थे - " पागल हो क्या भोला,इतने आवारा कुत्ते घूमते है कैम्पस में। कम से कम एक फोन ही कर दो कोरपोरेशन में , आएगी उनकी टीम ,लेकर जाएगी सबको तुम्हें क्या करना है एक फोन तक नहीं कर सकते तुम बस महीने के महीने पगार लिये जाओ बिल्कुल ही पागल हो" चाबी घूमाते कहते हुए मुन्ना बाबू ने गाड़ी उठाई ओर निकल गये।

अब भोला सोच रहा था।पागल कौन है वो या फिर बिल्डिंग में रहने वाले लोग।एक दूध - रोटी खिलाता है ,दूसरा गोद में उठाता है , तीसरा बाहर खदेड़ने की बात हवा में उछालता है तो चौथा कुछ ओर। 

भोला हँसा अब वो कानों पर इयर फोन लगाकर संगीत सुनने लगा।

पागल कौन है इसका फैसला उसने भगवान पर छोड़ दिया था।


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