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न्यू इयर रेसोलुशन

न्यू इयर रेसोलुशन

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"तीन चार दिनों से सोच रहा था। कि नये वर्ष में क्या नया किया जाए।

आज मित्र सुधीर कुशवाह जी को नये साल की मुबारकबाद देने उनके निवास पर गये। तो बातों बातों में अपनी बात रखी। सुधीर जी निस्वार्थ भाव से गांधीवादी तरीके से सेवा करते हैं।"

उन्होंने कहा...

"वैसे तो समाज में कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं। आपके आसपास ही इतने जरूरतमंद लोग हैं। जिनकी आप मदद कर सकते हैं। बस यह सेवा निस्वार्थ भाव से हो। एक हाथ दूसरे की मदद करे। तो पता नहीं चलना चाहिये। अच्छा आप आजकल क्या सेवा कर रहे हैं।"

मैंने कहा।

"मैं घर पर एक कोचिंग चला रहा हूँ। जहाँ गरीब विधार्थियों को मुफ्त शिक्षा दे रहा हूँ।

बस आपको कुछ नहीं करना। आप इन्हीं को यदि ट्रारगेट करें। और इनकी जिन्दगी बना दें। तो बहुत बड़ा काम होगा। अच्छा ये बच्चे क्या करते हैं। इनके माता पिता..."

मैंने कहा।

"एक की माँ घरों मे बर्तन साफ करती है।

एक के पिता मजदूरी करते हैं।

एक के पिता ड्रायवर हैं।

तीनों की उम्र चोदह पंद्ह की होगी।"

"सुधीर... आज से आप उन्हें फ्री नहीं पढायेंगें। उन्हें प्रोत्साहित कीजिये। कि कुछ कमाएं।

जैसे सुबह अखबार बांटने का काम।

घर पर कार धोने का काम।

कुछ भी काम...पार्ट टाइम...

उन्हें यह अहसास होने दीजिये। कि वह स्वयं पर निर्भय है। समाज में ऐसे बहुत लोग हैं। जिनकी ऐसी आर्थिक मदद कीजिये। कि वह स्वयं का छोटा मोटा व्यवसाय शुरू कर सके।

उनकी फीस को उन्हीं पर खर्च करें। लेकिन उन्हें पता ना चले।"

बस, मुझे दिशा मिल गयी। अब तो बस करना है।


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