नयी शुरुआत
नयी शुरुआत
एक एक कतरा इकट्ठा कर
यादों का जो पुलिंदा बनाया था वह आज क्षण भर में ही ढह गया", दक्ष ने मधु की ओर देखते हुए उदास स्वर में कहा ।
"अरे! इस में उदास होने वाली क्या बात है?" मधु ने दक्ष के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा । "वो चंद लेख ही तो थे, तुम दोबारा लिख लेना" ।
"नहीं, मेरे लिए वे महज़ लेख नहीं, मेरे अंतरमन की आवाज़ थे, भाव थे मेरे, जो काली स्याही के रूप में पन्नों पर उकेरे थे मैंने। पर अब वो सारे लेख हमेशा हमेशा के लिए खो गए", हताशा भरे स्वर मे दक्ष ने कहा ।
मधु ने कुछ क्षण ठहर कर कहा "हाँ, तुमने सही कहा, वो हमेशा हमेशा के लिए खो गए, परन्तु तुमने सिर्फ लेख खोए हैं, अपना हुनर नहीं ! तुम्हें फ़िर से एक नई शुरुआत करनी चाहिए" ।
"शायद तुम सही हो मधु, आखिर कब तक इंसान अपने अतीत को संभाल
कर रख सकता है, वैसे भी हर अंत अपने साथ एक नया आरंभ लेकर आता है" । मधु की ओर हल्के से मुस्कुराकर देखते हुए दक्ष ने कहा ।
"बढ़िया ! उम्मीद है अब जल्द ही तुम्हारा कोई नया लेख पड़ने को मिलेगा" ।
"हाँ ज़रुर, लिख कर सबसे पहले तुम्हें ही दिखाऊंगा", मुस्कुराकर दक्ष ने कहा ।
"मैं इंतज़ार करूंगी, चलो अब चलती हूँ, फिर मिलेंगे", इतना कह कर मधु जाने लगती है ।
"अलविदा ! और मेरी दुविधा मिटाने के लिए तुम्हारा शुक्रिया", हस्ते हुए दक्ष ने मधु से कहा ।