नंगा, पंगा और गंगा
नंगा, पंगा और गंगा
अभी कुछ दिनों पहले एक नेता ने कहा था कि वह बहुत "नंगा" आदमी है , उससे पंगा ना लेना नहीं तो वह गंगा पहुंचा देगा । उसने गंगा पहुंचाने की बात नहीं कही थी , ये तो मैंने जोड़ दिया था । नंगा , पंगा के साथ गंगा फिट बैठ रहा था , सो बैठा दिया । ये आदमी तो वैसे भी "नॉटी" है , कुछ भी कह सकता है । इसने तो 70 सैकण्ड में 27 गालियां दे डाली थीं एक महिला को फोन पर । हर किसी को "हरामखोर" कह देता है । वैसे मेरी एक सलाह है इस "नंगे" आदमी को कि उसे "गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड" में अपना नाम लिखवाने के लिए प्रयास करने चाहिए । जितनी भी गालियां हो सकती हैं उन्हें कैसे और कितनी जल्दी "बका" जा सकता है , इसका वर्ल्ड रिकार्ड बना सकता है यह "नॉटी" नेता । नंगे आदमी का देश के लिये इससे बड़ा योगदान और क्या हो सकता है ? सभी "नंगे" लोग इसके पराक्रम पर गौरवांवित होंगे ।
नंगा शब्द से याद आया कि यह एक "ईमानदार" आदमी ? है । आज के जमाने में खुद को "नंगा" कौन कहता है भाई ? और वो भी एक नॉटी नेता ! इस आदमी ने जनता का दिल जीत लिया है इसी बात पर । वरना तो "कट्टर ईमानदारी" की बात करने वालों को हमने करोड़ों रुपए की बेईमानी करते देखा है । नए ढंग की राजनीति की बात करने वालों को "गंद" फैलाते देखा है । सादा साड़ी और हवाई चप्पल पहन कर "सादगी" की मूर्ति बने मुखियाओं के मंत्रियों की महिला मित्रों के घर से "नोटों का पहाड़" निकलते देखा है । समाजवाद की राजनीति करने वालों को "सैफई महोत्सव" पर बॉलीवुड की नचनियाओं पर अरबों रुपए लुटाते देखा है । गांव गरीब की बात करने वालों को "चारा" चरते देखा है । और देश को आजादी दिलवाने का दंभ पालने वालों की तो बात पूछिए ही मत । उनके कारनामे तो "हरि अनंत हरि कथा अनंता" की तरह हैं । लिखते लिखते कलम टूट जायेगी पर कारनामे फिर भी अधूरे ही रहेंगे ।
तो साहब, "नॉटी" ने घोषणा कर दी कि वह "नंगा" आदमी है । यह तो "करेला और नीम चढा" वाली बात हो गई । एक तो वह खूद नॉटी और उस पर नंगा ? अब आप ही बताइए कि फिर कैसे ना हो दंगा ? अरे, ये धर्म वाला दंगा नहीं था , यह तो ई डी वाला था । बड़े शान से निकले थे घर से "भगवा गमछा" लहराते हुए जैसे कि वे भारत को अंग्रेजों से आजाद करवाने के लिए "जेल" जा रहे हों । पर एक बात तो माननी पड़ेगी, आदमी पक्का ईमानदार है । उसे पता था कि वह जेल जा रहा है और उसे यह भी पता था कि वह अपने दोनों पुराने साथियों के पास जा रहा था , गपशप करने । अरे, "फ्रेंडशिप डे" जो आनेवाला था । तो अपने फ्रैंड्स के साथ गला तर करते हुए गालियां बकने के आनंद से वंचित होना नहीं चाहता था वह । इसलिए अपने पुराने साथी सौ करोड़ रुपए की मासिक वसूली करने वाले मंत्री जी और आतंकी की अरबों की संपत्ति औने पौने दामों में खरीदने वाले "शांतिप्रिय" मंत्री जी के बगलगीर होने के लिए इनका दिल जोर जोर से धड़क रहा था । पर , बेदर्द ई डी ने यह भी नहीं होने दिया । उल्टे इनकी बीवी को बुलाकर इनके सामने बैठा दिया । बेचारे नॉटी जी अपनी बीवी से पीछा छुड़ाने के लिए तो जेल में जा रहे थे मगर इन "नॉटी" ई डी वालों ने न जाने किस जन्म का बदला ले लिया जो इसे हिरासत में लेकर इसको इसकी बीवी के सामने वैसे ही पटक दिया जैसे कोई चतुर शिकारी एक "बकरे" को किसी "शेरनी" के आगे पटक देता है । बेचारे के आंसू बह निकले । अगर कोई "हलाल" करने पर आमादा हो जाए तो क्या आंसू भी नहीं निकलेंगे ?
इतना अधिकार तो किसी आदमी को मिलना ही चाहिए कि वह खुलकर रो सके । जब वह सार्वजनिक रूप से गाली बक सकता है और कोई उसका "कुछ" उखाड़ भी नहीं पाता है तो क्या उसे सार्वजनिक रूप से रोने नहीं देना चाहिए ? ई डी उसका क्या उखाड़ लेगी ? वैसे भी नंगे आदमी के पास होता भी क्या है जिसे उखाड़ा जा सके ? ना तो इज्जत होती है उसके पास और ना ही शर्म । इसलिए उसने भी कह दिया कि वह तो नंगा आदमी है उसका क्या उखाड़ लोगे ? कितना सत्यवादी नेता है ! इतने सत्यवादी तो महाराज युधिष्ठिर भी नहीं थे । उन्होंने भी आधा झूठ तो बोला ही था । मगर ये नॉटी पूरा सत्यवादी निकला । इस एक घटना ने इस नंगे आदमी का नाम "सत्यवादी हरिश्चंद्र" के बराबर वाली पट्टिका पर लिखवा लिया है । अब लोग राजा हरिश्चंद्र के बजाय "नॉटी" की दुहाई देने लगे हैं ।
जब पत्नी को सामने बैठाकर ई डी पूछताछ करने लगी तो सारी पोल पट्टी खुलने लगी । एक तो शेरनी के सामने मिमियाता एक बकरा और उस पर कसाई की तरह हलाल करती ई डी । जुल्म की इन्तेहां है यह तो । मेरा निवेदन माननीय सर्वोच्च न्यायालय से है कि मी लॉर्ड, आपके रहते इतना अत्याचार कैसे हो सकता है ? आप तो आतंकवादियों के भी मानवाधिकारों के पैरोकार हैं । आतंकवादियों को चिकन , मटन परोसने का आदेश भी आप जैसे ही मी लॉर्ड्स देते आये हैं तो बेचारे इस नॉटी नंगे नेता ने ऐसा कौन सा अपराध कर दिया था । आप तो मासूम बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे शांतिदूत को यह कहकर कि एक "हत्यारे और बलात्कारी" को भी जीने का अधिकार है , उसे छोड़ देते हैं जिससे वह नर पिशाच फिर किसी और मासूम का वैसे ही बलात्कार करे और वैसे ही हत्या करे और आप फिर से ऐसी ही कोई दलील देकर उसे फिर से आजाद कर न्याय का झंडा फहरा सकें । इस नंगे आदमी पर ढाये जाने वाले जुल्मों पर भी स्वतः संज्ञान लीजिए माई बाप जिससे आपकी "न्याय ध्वजा" फिर से फहर सके ।
आजकल ऐसे सभी "नंगे" आदमियों के लिए "जेल" गंगा बनी हुई है । इन सबके पाप वहीं पर धुलते हैं । इसलिए आजकल लोग अपने पाप धोने गंगा जी नहीं बल्कि "जेल" जाने लगे हैं । इस "जेलयात्रा" को भी ये लोग ऐसे सेलिब्रेट करते हैं जैसे पता नहीं वे कितने महान और नेक काम करने जा रहे हैं । कुछ लोग तो जेलयात्रा कर चुके , कुछ करने की तैयारी कर रहे हैं । पर अभी भी कुछ लोगों को इस यात्रा से डर लग रहा है । हालांकि वे यह दर्शा रहे हैं कि उन्हें डर नहीं लगता है पर सब लोग नॉटी की तरह ईमानदार थोड़े ही हैं जो सच बोलें ।
तो देखते हैं कि कौन कौन "नंगा" ई डी से "पंगा" लेकर "गंगा" नहाएगा । आगे आने वाला समय सब कुछ सच सच बतला देगा । बस, देखते जाइए ।