#नजरिया अपना अपना#खुशियां अपनो के साथ
#नजरिया अपना अपना#खुशियां अपनो के साथ
एक बार मुझे मेरी एक सहेली सुनीता ने फोन किया बोली बहुत दिन हुए हम दोनों को मिले हुए। मैं कल मुंबई आ रही हूं । मैं तुम्हें मिलने जरूर आऊंगी।
मुझे ये सुनकर बहुत खुशी हुई। दूसरे दिन मैं बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रही थी। मैंने सब तैयारियां शुरू की। उसे जो खाना पसंद है सब बना कर रख दिया।
जैसे ही वह आई मैं बहुत खुशी से उसके गले मिली। मगर उसके चेहरे पर वह खुशी दिखी नहीं। जब नाश्ता करके हमने बातें शुरू की तो सुनीता ने कहा " तेरा घर तो बहुत ही छोटा है और जिस परिसर में तुम रह रही हो वह भी कुछ ठीक नहीं लग रहा।" I mean not standard area you know"। दो मिनट के लिए मैं चुप रही । फिर मैंने कहा " तुम्हारा सब कैसा चल रहा है"? तो सुनीता ने जवाब दिया" मेरा बहुत बड़ा बंगलो है पुना में और मेरे पति की खुद की कंपनी है।" उसके चेहरे से साफ झलक रहा था कि उसको इस बा
त काफी गुरूर है।
फिर मैंने पूछा "इतने बड़े घर में और कौन कौन रहता है?" सुनीता बोली" मेरे पति अकसर काम के सिलसिले में बाहर होते है। बच्चे आउट ऑफ इंडिया में पढ़ रहे है और वहीं सैटल होंगे। फिलहाल मै अकेले ही रहती हूं।"
सुनीता ने कहा "चलो मैं चलती हूं , उम्मीद है तुम घर बड़ा खरीद लोगी।"
मैंने उसे हँसकर कहा" जिन्दगी में बड़ा घर, गाड़ी नौकर- चाकर , परिसर कोई मैंने नहीं रखते। हम अपनों के साथ रह रहे है और वह हमारे साथ है ये ही सबसे बड़ी खुशी होती है क्योंकि सबके साथ ही जिन्दगी जीने का मज़ा आता है। खुशियां दिल में होनी चाहिए। खैर जिन्दगी जीने का अपना अपना नजरिया होता है। तुम्हारा नजरिया अलग है मेरा नजरिया अलग है। हो सके तो तुम भी नज़रिया बदल कर देखना तुम्हें भी सब अच्छा लगेगा। हम अच्छे है और हमारा दृष्टिकोण सही है तो सारी दुनिया अच्छी है।