निराश ना हो मेरे जीवन
निराश ना हो मेरे जीवन
जिंदगी की निशानी है " ख़ुशी " और " दुःख "।
सबको भगवन ने जीवन दिया है ,यह हम सब जानते है। लेकिन , सभी जीवन का एक पहलु ही दिखता है और वह है " दुखी जीवन , निराश जीवन "। के आपने कभी इस चीज का सोचा है ? की आपने जो खोया है उससे पहले कितना पाया है ?
जीवन का मूलमंत्र है की जो आपके भाग्य में लिखा होगा वह आपको मिलेगा , और जो आपके भाग्य से दुसरो को मिलना होगा , उसको आप कतई ना रोक पाओगे। लोग जरा - जरा सी बातो में निराश हो जाते है - जब उनके लक्ष्य हासिल नहीं होते , उनके काम अनुरूप पैसा ना मिलता , पति - पत्नी में लड़ाई बढ़ना , बच्चे पैदा ना होना या पैदा होने के बाद बच्चो की उनती ना होना , और भी भोत ऐसी चीजे है जिसको आम इंसान जब हासिल नहीं कर पता तब हजारो तरह के संताप आता है दिमाग और शरीर पर हावी होते है। और 90 % मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है। जिससे वह अपने जीवन के दूसरे पहलु का लक्ष्य खो बैठता है , यानि की जो मिलने वाला है वह भी नहीं मिल पता है और पूरा जीवन सोच और निराश में खो बैठता है।
हमारे भारत में एक सबसे बड़ी कमजोरी है की लोग दुसरो को आगे बढ़ने पर यह तो रोकते है या कुदर्ष्टि से देखते है। जिससे कई बार इंसान आगे नहीं बढ़ पता है। लेकिन , अगर सभी इस भारत के लोगो की दूसरे पहलू से देखे तोह पता चलेगा की इंसान की मेहनत, उसकी जरुरत रूपी कमाई , उसके बच्चो को आगे बढ़ाने के लिए दिन रात एक कर देना , पत्नी - माता - पिता की इच्छा को पूरा करना , उसके जीवन के नैतिक धर्म यानि बच्चो की शादी , माता पिता का बुढ़ापे में सहारा बना , सब कुछ आज घर का मुखिया करता है।
इसलिए हर इंसान को कभी नकारत्मक के पहलू के बाद सकारत्मक का पहलू जरूर देखना चाहिए। यह तोह जीवन है उतर चढ़ाव आना जरुरी है , वरना जयादा ख़ुशी से भी इंसान की मौत होजाती है और कभी जयादा दुखी होने से भी होजाती है।
एक बार एक पिता उसके लड़के के साथ बाजार जा रहा था गाड़ी से। आधे रस्ते गाड़ी होगी पंचर। अब क्या करे? फिर , लड़का उतरा गाड़ी पर से और पिता जी को बोलै की आप बैठे रहिये , पंचर वाला 5 किलो मीटर ही दूर। हम पेडल चल लेंगे। पिताजी बोले "बेटा 5 किलोमीटर दूर है , न की 5 मिनट का रास्ता "। लड़का बोला " पिताजी 5 किलोमीटर हो या 5 घंटो का रास्ता , ऐसा कभी नहीं होगा की कभी भी पंचर वाला न दिखाई दे ! , आप गाड़ी पर रहो में आपके सहित गाड़ी को ढाका लूंगा , बाजार दूर नहीं "।
यह होता है जीवन में सकारत्मक विचार धारा का मजा। यही लगन और सोच देख कर पिताजी भी गाड़ी से उतरे और बोले "बेटा तेरे साथ में भी हाथ लगाऊंगा और साथ मिलकर गाड़ी का पंचर सुधराएँगे फिर चाहे कितना भी समय लग जाए ।
तोह इस छोटी सी किताब का यही सारांश है की आप पर लाख मुसीबत आए लेकिन आपको आपका हौसला , समय , और सोच कभी नहीं खोना चाहिए। हमेशा जीवन के हर मोड़ के भगवन ने 2 पहलु बना क्र भेजा है कोई भी मुसीबत को।