राजकुमार कांदु

Tragedy

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राजकुमार कांदु

Tragedy

नौकर

नौकर

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रसोईघर में काम कर रही आया कलावती को सात वर्षीय राजू बड़े ध्यान से देख रहा था। अपनी तरफ राजू को देखते हुए पाकर कलावती ने स्नेह से पूछा, " क्या हुआ राजू बाबा ? क्या देख रहे हो ? कुछ चाहिए था क्या ? " 


 "नहीं तो ! एक बात कहूँ आंटी ?"


 " कहो !"


" आप बहुत अच्छी हो !"


 "अच्छा !" 


 "हाँ । अब देखो न आप कितना काम करती हो, और मुझे भी कितना प्यार करती हो।"


 " वो इसलिए राजू बाबा कि मेरे भी आपकी ही तरह दो प्यारे प्यारे बच्चे हैं।"


 "तो क्या आप भी अपने बच्चों को प्यार नहीं करतीं ?"


" करती हूँ न ! हर माँ बाप अपने बेटे को बहुत प्यार करते हैं।" 


 " नहीं ! यह झूठ है। मेरे मम्मी पापा को तो मुझसे प्यार करने की फुर्सत ही नहीं है।"

 

 " नहीं बेटा ! ऐसा नहीं कहते। मम्मी पापा आपके लिए ही तो इतना काम करते हैं। आपको सब कुछ अच्छा अच्छा मिलता है। घर में नौकर चाकर हैं ...."


" तो आंटी आपके घर में कितने नौकर हैं ? आप भी तो इतना काम करती हैं।"



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