नारी शक्ति
नारी शक्ति


जब जब औरत मां बनती है, तब तब मौत से वो लड़ती है।
जब बेटी से बहू बनती है, दो परिवार का मान रखती है।
त्याग बलिदान का मूरत है नारी, ममता की सूरत सी प्यारी।
पहनी जो चूड़ी अपने हाथ में, तो ये है उसके संस्कार में।
नारी अगर चुप खड़ी है, तो इसकी कोई वजह बड़ी है।
मत समझो कमजोर कड़ी है, जरूरत पड़ी है तब वो लड़ी है।
जब भी पड़ी है विपदा भारी, बनी है दुर्गा चंडी महाकाली।
जब भी दैत्यों के अत्याचार बढ़े, देवता विनती करते तेरे द्वार खड़े।
बन उठी तब तुम ज्वाला, कई दैत्यों का वध कर डाला।
जब सिया के चरित्र पर उठे सवाल, दे सकती थी उसी वक्त जवाब ।
पर पढ़ाया राजा को राजधर्म का पाठ, त्याग दिया राजसी
ठाठ बाट।
सतीत्व का उसका जब हुआ अपमान, समा कर धरती में दिया प्रमाण।
अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ, झांसी की रानी घोड़े पर सवार।
पीठ पर लिया पुत्र को बांध, धरा रण चंडी का अवतार।
निकली जब तलवार उठा कर, फिरंगी भागे दुम दबाकर।
अल्पआयु था पति सत्य वान, सती सावित्री ने पर लिया था ठान।
सौ पुत्रों के मांग वरदान, छीन लाई यमराज से पति के प्राण।
सहनशक्ति तेरी धरा स्वरूप है, नारी तू देवी का रूप है।
भीख ना मांगो सम्मान का, अधिकार ना दो अपमान का।
अपने अधिकार के लिए आगे बढ़ो, रूढ़िवादी परम्परा पर प्रतिघात करो।
नारी खुद की पहचान करो, नारी शक्ति पर अभिमान करो।