महत्व एंव उपयोगिता
महत्व एंव उपयोगिता
विपरित स्वभाव के दो छात्र एक ही विद्यालय में पढ़ते थे, जहां पहला गुरूजनों का आज्ञाकारी वहीं दूसरा तर्क-वितर्क व समीक्षा करने के स्वभाव के कारण गुरुजनों के 'विशेष प्रेम' का पात्र था। अचानक मुख्य-अध्यापक का संदेश आया कि विद्यालय के मैदान में आज शाम एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जिसमें शिक्षा जगत के विद्वानों द्वारा छात्रों का मूल्यांकन किया जाएगा।
अफरा-तफरी के माहौल में सभी कार्यक्रम की तैयारियों में जुट गए। रोशनी के प्रबन्धन की जिम्मेवारी दोनों अमुक छात्रों के हाथों में थी। पहले वाला छात्र मैदान के लिए रंग बदलने वाला जीरो वाट का पुराना बल्व ले आया और दुसरा बडा़ एल इ दी बल्व, पूर्वाग्रह से ग्रस्त गुरुजनों ने अपने पसंदीदा पहले वाले छात्र का बल्व मैदान के बीचोंबीच लगाने का निर्णय लिया। जबकि दूसरे छात्र का बल्व मंच के पीछे छोटे व अस्थाई कमरे में लगा दिया। सभी खुश थे कि चरित्र की तरह रंग बदलने वाले बल्व को देखकर पसंदीदा पहले छात्र की काफी वाहवाही होगी।
धीरे-धीरे अन्धेरा बढ़ता गया व सभी अतिथिगण छोटे व अस्थायी कमरे की रोशनी के सहारे मंच पर पहुंचते ही भड़क गए और कहने लगे कि जिस रोशनी की इस विशाल मैदान को आवश्यकता है उसे आपने एक छोटे से अस्थायी कमरे तक सीमित रखा है और पल-पल रंग बदलने वाले बल्व को आपने इतना बड़ा मैदान देकर स्वयं को भी अन्धेरे में रखा है।
आप सभी का मूल्यांकन हो चुका जिन्हें महत्व एवं उपयोगिता नहीं मालूम वह क्या देश बनायेंगे यदि हिम्मत, निष्पक्षता ओर सत्यनिष्ठा हो, तो सिर्फ इन रोशनी के माध्यमों का स्थान बदलकर देख लेना दोनों ही अपनी-अपनी सही जगह से देश-दुनिया को सकारात्मक रोशनी बिखेरेंगे अन्यथा समय निकलने के बाद हम सभी स्वयं को कोसते हुए सिर्फ हाथ मलते रह जाएगें।
