devika bansal

Inspirational

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महत्ता

महत्ता

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दो दोस्त या दो भाई जो चाहे नाम दिया जा सकता है ।एक अचल ,सीधा सरल व शांत तो वहीं दूसरा चंचल, तेजतर्रार नाम के अनुरूप चंचल प्रवृत्ति का। दोनों में जमीन- आसमान का फर्क या यूं कहो कि एक पूरब तो दूसरा पश्चिम एक उत्तर तो दूसरा दक्षिण। परंतु दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे, एक के बिना दूसरे का कोई काम पुरा ना होता ,भूख प्यास नहीं लगती थी ,जी नहीं लगता था। वह जीवन रूपी सफर को एक ही छतरी के नीचे तय कर रहे थे।दोनों बहुत खुश थे जीवन खुशियों से सराबोर था। छतरी भी ऐसे साथी देख अपने भाग्य पर इठलाती थी। अचल साधारण वस्तुएं पसंद करता था ,तो वही चंचल असाधारण वस्तुएं पसंद करता था। रोजमर्रा के जीवन में उपयोग में आने वाली चीजें भी नायाब होती थी। एक बार अचल कहीं से बड़ी सुंदर सी जूतियां ले आया। वह जहां भी जाता, वहां जूतियां जरूर पहनता। अचल और चंचल एक साथ कहीं से आ रहे थे, रास्ते में वह दोनों तूफान में गिर गए।

बहुत जोरों से वर्षा होने लगी मानो इंद्र देव ने क्रुद्ध होकर नृत्य शुरू कर दिया हो। अचल ने अपनी प्यारी जूतियां को वर्षा से बचाने के लिए हाथ में ले लिया और चंचल के साथ नंगे पाव उसी छतरी में चलता रहा। जब बारिश और बड़ी ,तो अचल ने जूतियां को बारिश से बचाने के लिए अपने सिर पर रख लिया । चंचल ने उसे बहुत समझाया कि जूतियां को सिर पर रखने के बजाय पांव में पहनने, लेकिन अचल न माना और वही हुआ जिसका चंचल को डर था। सुंदर जूतों ने अपनी असलियत जाहिर कर दी। उसके नीचे हिस्से में छुपी हुई मिट्टी पानी में बह कर अचल के ऊपर आने लगी और उसे गंदा करने लगी ।अचल बेखबर रहा तो जूतियां अपने भाग्य पर इतराने लगे और गंदगी से अचल को सराबोर कर दिया। इस पर भी वह जूतियां मानी नहीं और उसी छतरी में साथ चल रहे हैं चंचल के ऊपर भी अपनी गंदगी फेंकने लगी। हारकर चंचल को छतरी से और अचल से दूर होना पड़ा। छतरी केवल अफसोस कर सकती थी तो उसने किया। चंचल छतरी के बिना केवल बारिश में भीग रहा था लेकिन अचल छतरी में होने के बाद भी गंदगी का ढेर बन चुका था ।आखिरकार छतरी ने भी उसका साथ छोड़ दिया।

"कहा गया है की जूतियां चाहे जितनी महंगी हो उसे पांव में ही पहनना चाहिए तभी वह शोभा देंगी नही तो तुम्हें भी अपनी तरह गंदगी का ढेर बना लेंगी।" इसी तरह जीवन में भी लोगों का ऊपरी रखरखाव आकर्षण ना देखकर उसके भीतर झांक कर देखें और उसे उसके अनुरूप महत्ता दे मान दे सम्मान दे तभी जीवन खुशहाल होगा।


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