महारथी - Episode 1
महारथी - Episode 1
बादशाह सुलेमान एक बार शिखर पर निकल गए। शिकार करते करते वे अपने कुछ सैनिकों के साथ जंगल के बीचोबीच आ गए। तभी उन्होंने एक हिरण को देखा। उन्होंने अपनी धनुष निकाली और हिरण पर अपना निशाना ताका। जब बादशाह अपना तीर चलाने के लिए विस्तार कर रहे थे, उसी समय जंगल में एक शेर ने जोर से दहाड़ लगाई तब बादशाह की घोड़ा डर गया और वह उथल पुथल करने लगा। इससे बादशाह अपना संतुलन खो बैठे और उनकी तीर उनकी हाथों से छुटकर एक सैनिक को जा लगी और वहाँ सैनिक तुरंत मर गया। बादशाह को अपनी ही सैनिक को मारकर बहुत बुरा लगा।
अपनी पाप का प्रायश्चित करने के लिए अगले दिन, बादशाह ने दरबार बुलाया और अपनी मौलाना से कहा कि उन्हें उनकी गलती के लिए सजा सुनाए।
मौलाना ने कहा कि बादशाह ने जानबूझकर गलती नहीं की थी, वह एक हादसा था, इसलिए बादशाह को सजा सुनाने का हक उसे नहीं है। लेकिन यह सही होगा कि सैनिक कि मां जिसने अपना बेटा खोया है, वह बादशाह को सजा सुनाएँ।
तब बादशाह ने अपनी दरबार में सैनिक की मां को बुलाया और कहा
बादशाह सुलेमान: मां, मेरी वजह से तुमने अपना बेटा खोया है। इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे उसकी सजा दो। जो भी सजा तुम दोगी, वह मुझे मंजूर होगी।
तब सैनिक की मां ने कहा: इतने रहम-दिल और न्यायप्रिय बादशाह को, वह माफ करती है और उसे हक नहीं है कि वह हिंदुस्तान की जनता से ऐसा दूर-दराज़ बादशाह को छीन ले, वह चाहती है कि बादशाह सुलेमान 100 साल तक सलामत रहे।
यह सुनकर मौलाना ने कहा: अच्छा है कि उसने तुम्हें माफ कर दिया, लेकिन अगर तुमने मुझे एक मुजरिम होकर भी अपनी बादशाहत दिखाई होती, तो हम तुम्हें कारागार में डाल देते।
बादशाह सुलेमान ने कहा: अगर तुमने हमें बादशाह समझकर हमसे नरमी से पेश आते और सही फैसला नहीं सुनाया होता, तो हम तुम्हारी गर्दन उड़ा देते।
बादशाह सुलेमान की न्याय प्रियता, बहादुरी और रहम दिल्ली सारे दुनिया में मशहूर थी। हिंदुस्तान की जनता, चाहे हों वे हिंदू हों या मुसलमान, सभी उन्हें प्यार और इज्जत देते थे। बादशाह के पास सब कुछ था धन, दौलत और लोगों का प्यार ,लेकिन उसे एक ही चिंता सताई जा रही थी वहाँ उसका बेटा असाद।
क्रमशः
