मेरे जीवन के सधर्ष की सच्ची कहानी
मेरे जीवन के सधर्ष की सच्ची कहानी
मेरी जीवन की और मेरी खुद के जीवन की एक कहानी है जो मेरे लिए मेरी प्रेरणा मेरी सासुमाँ आदरणीय कुसुम शुक्ला और स्वर्गीय हीरेन्द्र शुक्ला जी रहे।
मेरा नाम अलका नीरज शुक्ला है मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले की निवासी हू्ँ।
सन् 1996 मे मेरी शादी बहुत सम्पन्न धराने मै हुई बहुत खुश सब पर ये खुशी शायद कुछ ही महीनों तख थी सब ठीक रहा इसके चलते ससुर जी लखुऊआ लगा।
फिर पति देव को अलसर हुआ पैसे नही पास मै इलाज के लिए जैसे तैसे मैनै मेरे धर्म भाई से बोलकर कुछ रुपये लिए इलाज हुँ फिर भी कुछ ठीक नहीं हुआ 1997 मै बेटा हुआ एक साल सब ठीक रहा फिर स्थिति डगमगा गई अब तो खाना भी नसीब नहीं फिर मैने जो शादु केपहले बहुत सारी चीजै सीखा वो काम आई
जैसे मोमबत्ती बनाया आईडेक्स वीक्स बाम सब घर मै बनाकर झोले मै भरकर जाती बेचती कभी फति जाते साथ मै सुबह जब घर से निकलती तो काम करके भोजन बनाकर खाकर जाती सुबह 11 बजे निकलती शाम को 7 बजे घर आती समान बेचकर।
कभी तो पानी भी नही मिलता था पीने को पैदल 29-13 किलोमीटर दूर और उससे आगे भी पैदल जाती आती थी
जब कभी पैसे ज्यादा मिलते तो सोचती थु बच्चों के लिए चाकलेट लेकर जाओ पर फिर नही एक रूपये मै हरा धनिया मिर्ची और टमाटर आयेगे तो चटनी रोटी तो खा लेगे
धीरे धीरे वक्त चलता रहा कभी आटा है तो दाल नही चावल है सब्जी नही पर हार नही मानी मैने भी फिर गहने बनाने का काम किया और उसको बेचकर पालर काकोर्स किया वो काम करके आगेबढी बाजार जाती रात मै तो सडे आलूउठाकर लाती 2 रुपये किलो के आटा खत्म तो चककी के नीचे मिक्स आटा नीचे गिरा उठाकर लाते 35 रूपये का 10 किलो ककड वाला पर ससुराल पक्ष के चाची चाचाजी ने ये नही पूछा बेटा करती कया हो पति की तबियत ठीक हुई तो पेट्रोल पंप मै सविस लगी 700 रूपये कीउसमे घर का खर्चा बच्चों को पढाना गैस सब्जी दवाई सब लाना फिर भी कुछ नही हुआ धीरै धीरै वक्त ने करवट फिर बदली ससुर बीमार नागपुर में एडमिट अब रोज भोजन भेजना गैस खत्म तो मोहल्ले से कागज ईट और लकडिय़ों और ढढेरा उठाकर लाते खाना बनाते बस स्टैंड तक छोडने जाते थे धीरै धीरै समय ठीक हुआ बच्चों ने होने के बाद दोनो बच्चों ने
2004 मै पहली बार पापा की कमाई से कपडे पहने जब मै बहुत खुश हुई लेकिन कभी किसी नये कपडे खाना नही दिया भगवान ने सुना नीरज की नौकरी लगी बैक मै सब ठीक हुआ फिर वक ने करवट बदलाससुर जी का स्रर्गवास हो गया
धीरे धीरे फिर वही स्थिति समलने लगी खूब पैसा आया पर भगवान ने फिर ऐसा दौर लाया की मुझे झोले मे मोमबत्ती और गहने सब बनना सीखायाय़।
धीरे धीरे सब ठीक हूँ।
सन् 20-19 मै फिर भगवान ने परिवार के साथ परीक्षा लिया दुकान डप दवाई की दुकान बंद होटल मै फायदा नही ये बस चलता रहाँ बच्चे पढते रहे बस फिर एक घमाका हुआ सन् 2020 मै
सबसे बुरा वक्त जब कोविड 19 के चलते कोरोना ने फिर परीक्षा लिया हमने 3000 हजार माकस 51 परिवार मै रोज भोजन शवान गायो को भोजन खिलाया रोज भोजन कपडे छाछ बाँटा कम कम 2500 लोगो को राशन किट दिया इसके चलते फिर मेरे पति नीरज शुक्ला जी को कोविड 19 मै पैरालिसिस अटैक आया 15 दिन आईसीयू में रहे पर भूखा नही सोनै दिया किसी गरीब परिवार हो सक्षम हो
छिन्दवाड़ा मै दीनदयाल रसोई घर है वहाँ से रोज 100-200 500 यक्ति का भोजन बुलाकर बाँटते घर से बनाकर बाँटते हास्पिटल मै भी 15 दिन तक अस्पताल के कर्मचारियों को भोजन कराया पति आईसीयू में थे हमने इस स्थिति में अपने आपको ढाला कोरोना के चलते हमारे बिजनेस बंद हो गये तो मैनै घर से टिफिन बनाकर घरो मै दिया आज भी पति के लिए दवाई और जो भी लगता है करते जा रहे है ये ऐसी परीक्षा की धडी है
की कब क्या हो जाये
धीरे से मे महिला के लिए काम किया महिला बाल विकास से जुडी फिर जा गते रहो समूह रक्तदान से जुडी फिर ब्रह्मदेव समाज से जुडी उसमै असिस्टेंट कमिश्नर पंडित राकेश कुमार शुक्ला जी ने मध्यप्रदेश प्रभारी बना फिर मब्लड आर्मी से जुडकर आग बढी ब्लड बैंक मै कोषाध्यक्ष पद पर हूँ फिर जिला अस्पताल में समीति सचिव हूँ बालसुधार गृह मै किशोरों न्यायालय में काऊसलर पद हूँ आज मे राष्ट्रीय महिला जागृति मंच मै मध्यप्रदेश प्रवक्ता हूँ आज कोविड 19 केचलते आपरेशन कराया मूक बधिर की डिलीवरी दियांग बच्चों को फल सब्जी दे रहै है बालगृह मै कोरोना के चलते खेल समाग्री प्रदान किया मै रे साथ मेरे बच्चों ने भी बहुत परीक्षा दिया आज भी परिस्थिति बहुत ठीक तो नही है पर सब अच्छा होगा आज मुझे बहुत खुशी है आदरणीय रति दीदी के कारण मुझे मेरी कहानी लिखनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ रति दीदी ने फोन पर बात किया और मुझे प्रेरित किया हौसला बढ़ाया और मे उनके साथ हरेला सावन समूह मै साथ हुँ आज राजस्थान दिल्ली लखनऊ नागपुर में कोरोना के मरीज को प्लाजा भी दिलाया मै आज मुझे 2020 रविवार को एक खुशी फिर मिली मुझे राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया है मेरे जीवन के क उ उतार चढ़ाव के कारण आज जिसने मुझे देखा है उसने मेरा परिवार का बच्चों का सासुमाँ ससुर जी का सधर्ष देखा है मेरे जीवन की कहानी मै सभी बाते सत्य है जो आजतक चलक्षरही है पति चल नही सकते बेटा बिजनेस कर रहा है बेटी टयूशन पढाती है साथमै आनलाईन बिजनेस शुरू किया है कहने को तो बहुत कुछ है पर है कुछ नही मैने खुद बहुत पढाई किया पर शायद ईश्वर को क्या मजूर पता नही आज भी मै हर किसीके लिए मदद जो बन पडती कती हूँ कहते करने वालो की हार नही होती
कहानी का साँराश
जब आप मै काबिलियत है तो भी पीछे मत हटो और नही है तो जज्बा रखो की कुछ करना है मेरा प्यार और मुझे तो सबने देखा पर मेरा सधर्ष देखने वालो ने समय पर जो मिला मदद किया पर अपनो ने मदद ही नही मुँह भी मोडा कयोकि मेरा मयाका भी यहीका था पिता क्लास बन अधिकारी पर कहते बेटी पराई होती है डोली मै बैठती है चावल फेकती है जबसे पराई होती है मैने कभी अपने माता पिता को ये एहसास नहीं होनै दिया की बेटी समान बेचती है बनाकर बच्चों को भूखा नही रखा पर खुद भूखी रही एक से दो साडी पहनी पर देनेवाला कोई नही बोलते थे तो लोगो ने उतरन दिया जब बच्चे रोते चाकलेट खाना है तो लगता रोने दो शाम को चटनी बनाने के लिए समान तो आयेगा आज जीवन जीते परीक्षा देते 25 साल हो रहे है पर उतार चढ़ाव लगा है परीक्षा देकर भी आज मै अपने आपको मेरिट लिस्ट मै जोडती हूँ कम से कम मैरा परिवार मेरे बच्चे सब साथ तो है कहते पैसों की दुनिया है जब पैसा परिवार साथ नही है तो सब दूर आज जैसे भी हो मेरी माँ सासुमाँ मेरा अभिमान है जिसने हमको हर क्षेत्र मै जीना सीखाया कुछकरना है तो पीछे मत हटो काम कोई छोटा नही होता यही है मैरी वास्तविक जीवन की सतय की सत्यता का स्वरूप समर्पित कर रही हूँ मेरी अपनी जिदंगी की असली और सच्चाई के साथ
अलका नीरज शुक्ला की कहानी जहाँ सत्य डगमगा सकता नही झूठ का अपना कोई घर होता नही
आप सभी का बहुत आभार खासकर आदरणीय रति दीदी का जिनके के माध्यम से मुझे मेरे जीवन की जीवनी शक्ति पर कहानी लिखेने का आज सौभाग्य प्राप्त हुआ आप सभी को शायद ये मेरी कहानी कैसी लगती है पता नही पर इसमे लिखा हरेक शब्द सच है आज भी वो समय के सदस्य दुकानदार सब्जी वाले चककी वाले गवाह है जो मिलते है देखते तो बच्चों को कहते तुम्हारी माँ ने बहुत संघर्ष किया है बेटा आज सभी बुजुर्गों के आशीर्वाद से बहुत खूश सुखी हुँ पति 4 अप्रैल कोविड 19 कोरोनाके चलते पेरिलेसिस हुआ है और आज धीरे धीरे ठीक होरहे यही जो लाकडाऊन मै मैने जो सभी के लिए कार्य किया और एक ही प्रण कोईभूखा न सोयेगा न सोनै दुगी यही दुआ काम आज आ रही है अब काफी सुधार हो रहा भै
जीवन मै कभी समय कहकर नही आता भाग्य से ज्यादा न मिला भै न मिलेगा जो है, भाग्य मैं वही मिलेगा पर हमें भाग्य को बदलने के लिए मेहनत सर्ष करने से पीछे नहीं हटना है।