डॉ. कृष्ण कान्त दुबे

Inspirational

3  

डॉ. कृष्ण कान्त दुबे

Inspirational

मेरा पेड़

मेरा पेड़

2 mins
503


एक पेड़ को तैयार करना दस पुत्र को पालने के बराबर होता है। जो लोग पेड़ों को लगाते, पालते और पोषित करते हैं वो यज्ञ सा पुण्य प्राप्त करते हैं; इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम अपने जीवनकाल में एक पेड़ अवश्य लगाकर तैयार करना चाहिये। जानते हो जब कोई राहगीर तमतमाती धूप में कुछ पल तुम्हारे लगाये उस पेड़ की घनी छाँव में सुस्ताएँ गा तब एक नहीं अनेकों प्रार्थनाओं के साथ दुआएं देगा और उन दुआओं के असर से तुम्हारा जीवन सुख और शांति से लवरेज हो जायेगा।’ पिता जी की ये उपद्देशात्मक और प्रेरणात्मक बातें सुनकर मन उत्साहित हो उठा साथ ही संकल्पित हो यह सोचने लगा कि क्यों ना एक पेड़ लगाकर दस पुत्रों को पालने-सा अनुभव और यज्ञ सा पुण्य प्राप्त किया जाये।

रात भर मन प्रसन्नता से गुदगुदाता रहा। बस सुबह होने की प्रतिक्षा थी। सूर्य की पहली किरण के साथ ही उठ गया। दैनिक नित्यक्रिया के बाद हाथ में खुरपी और थोड़ी सी गोबर की खाद लेकर बाग में स्वजन्में आम के छोटे से पौधे को निकाल उसे रोपने के लिए उपयोगी जगह तलाशने लगा। बाग में पहले से ही बहुत से पेड़ जन-जीवन को सिंचित कर रहे हैं, क्यों न ऐसे स्थान पर लगाया जाये जहाँ कोई पेड़ न हो। धीरे-धीरे मैं गाँव के बाहर व्यर्थ पड़ी ऊसर-बंजर जमींन पर जा पहुँचा। तमाम आशंकाओं-शंकाओं के बाबजूद पूरी विधि के साथ वनदेवता को स्मरण करते हुए उस आम के पौधे को लगा दिया।

पिता जी के बताये तरीके से कुछ दिन तक नियमित रूप से मैं उसकी परवरिश करता रहा। आज वह तीन साल का हष्ट-पुष्ट पेड़ हो गया। घनी छाँव से भरा और फलों से लदा वह पेड़ आसपास से निकलने वाले लोगों को खूब आनन्द देने लगा।

एक दिन मैं पिता जी को उस पेड़ के पास ले गया।

मैंने कहा- ‘पिता जी इस पेड़ को मैंने आपसे प्रभावित होकर लगाया है इसलिए मैं इसका नाम आपके नाम से जोडकर रखना चाहता हूँ। ताकि जब भी कोई व्यक्ति इसकी छाया के नीचे बैठे और इसके फल खाये, इस पेड़ के साथ-साथ आपको भी याद करे। इस पेड़ की तरह आप भी सैंकड़ों वर्ष तक जीवित रहेगें।’ पेड़ को देखकर और मेरी बातें सुनकर पिता जी बहुत भावुक हो गये।

मैं जब-जब गाँव जाता हूँ, तब-तब उस पेड़ को एक बाल्टी पानी और कुछ पोषक तत्व अवश्य देता हूँ। क्योंकि उस पेड़ से मेरा संकल्प, पिता जी की प्रेरणा और उनका नाम जुड़ा है। इन सब से परिपुष्ट व् शानदार हो गया है- मेरा पेड़।


Rate this content
Log in

More hindi story from डॉ. कृष्ण कान्त दुबे

Similar hindi story from Inspirational