Aman Mansuri

Drama Romance Tragedy

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Aman Mansuri

Drama Romance Tragedy

मेरा दिल मेरा दुश्मन

मेरा दिल मेरा दुश्मन

14 mins
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आशीर्वाद भवन

मनोहर :इनकी एक खासियत है। समय अनुसार आधुनिकता को शायद अपना लिया लेकिन उनकी परंपरा आज भी इनके सर आखो पे है। और नाम है मनोहर बाबू ये सुनते सब की है लेकिन करते अपने मन की।

जया(मनोहर की पत्नी): ये है मनोहर बाबू की श्रीमती जी जया इन दोनों पति पत्नी के बीच वही केमेस्ट्री है ।जो आज हमारे भारत और पाकिस्तान के बीच है।

जया:अरे बहु

सुमन:जी मम्मी आयी।

ये है इस घर की बड़ी बहू ।ये सब का काम करना चाहती है ।लेकिन किसीका काम नही कर पाती।

सुमन:अरे जल्दी पिन लगाव।

राडिया:वाह भाभी जी आज क्या लग रही है।

सुमन:क्या फायदा देखने वाला तो विदेश में है।

राडिया(ये है घर की नोकरानी कम सुमन की अस्सिटेंट ज्यादा है)

मिली ये है सुमन और अजय की बेटी

मिली:(फ़ोटो को देखकर)लव यू पापा आज हम चाची देखने जा रहे है।

कोकिला:ए मनोहर आगे की सिट खाली रखना।

मनोहर:जी दीदी।

कोकिला:ये है हमारे कोकिला बेन भाई के घर का सुख इतना अच्छा लगा कि शादी के बारे मे कभी सोचा ही नही।

मिली:अरे कन्हया जी रह गए।

कन्हया-i am coming।

ये है कन्हया इस घर के कुक मनोहर एक दिन होटल में खाने गए थे।कन्हया के हाथ खाना इतना पसंद पड़ा कि अपने घर ले आये।

कन्हया-बुआ जी हम आगे बैठे गे।

कोकिला:एक कान के पीछे मारेगे ना चल पीछे बैठ

ये है आनंद बाबू घर के छोटे बेटेऔर आज इनके अरेंज मेर्रीज के लिए पूरा परिवारनिकला है।

मिली-दादू चाचू नही आएंगे चाची को देखने।

आनंद-सॉरी पापा वो आते आते लेट हो गया

देखते आज मिली को चाची मिलती है कि नही 

गिरीश:अरे जल्दी करो लड़के वाले आते ही होंगे।

मनोहर गिरीश के घर पोहचता है।

कोकिला-(गाड़ी में से उतरके)अरे वाह मनोहर घर तो एक दम चकाचक है।

गिरीश -अरे आप आइये।

गिरीश की पत्नी-अरे आप ने तो कुछ खाया ही नही ये लीजिये गाठिया विदेश के है।

मनोहर-अरे ये सब तो होता रहेगा आप की बेटी कहा है।

पिंकी आती है।उसे देखते सब अपनी आँखें बढ़ कर लेते है क्यों कि वो छोटे कपड़े पहनकर आती है।

गाड़ी में।

आनद-अच्छा हुआ ना कह दिया।

कोकिला-अब मेरी बारी आज जो आप लड़की देखोगे वो एक दम सीधी सादी है।

मनोहर-ठीक है देख आते है।

थोड़ी देर बाद।

यहां सब को लड़की पसंद आती है।

लड़की की बहन:अरे आनंद जी आप मेरी बहन से बात नही करेगे।चलो में ले चलती हु।

लड़की सरमाके छत पर जाती है।जब छत पर पोहच जाते है तो वो आंनद को धमकी देती है।

आशीर्वाद भवन

आज भी कोई लड़की पसन्द नही आई आंनद को कहते हुए मनोहर न्यूज़ पेपर पढ़ने लगता है।

दूसरे दिन।

रात को ऑफिस से मनोहर गाड़ी में घर जाते है तब

अचानक रास्ते मे गाड़ी खराब हो जाती है।वही रामजी बाइक लेकर वहा से जाता है। मनोहर उससे मदद माँगता है ।रामजी उसे अपने घर ले जाते है।

मनोहर-वाह आपका घर देखके बचपन की याद आ गयी।

वही संध्या आती है।और मनोहर के पाव छूने लगती है।

मनोहर -अरे हमारे में बेटिया पाव नही छूती

वही नैना आती है।वो भी बिना पूछे मनोहर के पाव छुती है।

रामजी-ये दोनों मेरी बिटिया है बस इनकी शादी हो जाये फिर में गगा नाहलु।संध्या मेरी बड़ी बेटी आदर्श शुशील संस्कारी और ये है नैना मेरी छोटी बेटी नैना येभी संस्कारी मगर इतनी ही चालक और होशियार।

मनोहर- तो समज लीजिये भगवान ने आप की बात सुन ली हम आपकी संध्या का हाथ अपने बेटे आनंद के लिए माग रहे है।

संध्या-बाबूजी हम ने आपके लिए खाना लगा दिया है।

ये सुन कर संध्या सरमाकर बाहर चली जाती है।और वही मनोहर 11 रुपये शगुन के देकर रिश्ता पक्का करता है।

दूसरे दिन रामजी की बीदा लेकर मनोहर निकलता है।और घर आकर सब को ये खुश खबरी देते है।

कोकिला-अरे मनोहर हमे तो बहुरिया दिखाव।

मनोहर-मेने देखी है बोहोत ही सुंदर और शुशील है।

किचन में।

आनंद किचन में जाता है।

आंनद-भाभी क्या कर रही हो।

सुमन-साफ साफ बताये की काम है।

आंनद:अब आपने पूछ ही लिया है तो बता देता हुकि एक बार पापा से बात कर के संध्या का फोटो मंगवा लेती तो.........।

सुमन-में क्यों कहु। याद है पापा जी ने क्या कहा था।

आनंद कुछ याद करता है ।और गाड़ी लेकर निकल

जाता है।

आनंद संध्या के गांव जाता है।

आनंद-आप बता सकते है कि संध्या का घर किधर है।

केशव-वही पास की गली में।

आनंद-ठीक है।

आनंद जाता है।घर के बाहर रामजी होता है जो हाथ मे लोटा लेकर सुर्य की पूजा करता है।

रामजी-संध्या अरे धूप लेकर आव बेटी।

आनंद पर सुमन का फोन आता है।

सुमन-अरे हमारी होने वाली देवरानी को देखा।

आनंद-नही भाभी।

वही संध्या हाथ मे धूप लेकर आती है।उसे देख आनंद एक दम स्तम्भ होजाता है।वो उसकी आँखों मे देखता है और न जाने किस ख्यालो में खो गया है।

नैना घर आती है।वो आनंद को देख लेती है वो आनंद के पास जाती है।

नैना-क्या हुआ ऐसे घर मे क्यों जाक रहे हो।

आनंद-वो कुछ नही....।

इतना कहकर आनद वह से चल जाता है।

अब तो बस आंनद को संध्या का ही चेहरा दिखने

लगा था। दूसरे दिन वो संध्या के कॉलेज के बाहर खड़ा रहता है।लेकिन नैना है चालाक वो समज गयी के दाल में कुछ काला नही यहा तो पूरी दाल ही काली है।

नैना-दीदी ये आदमी हमारे घर के बाहर तक जक कर रहा था।

वही आनंद आता है।

आनंद-एस्क्यूस मि आप....।

संध्या उसे थप्पड़ मार कर चली जाती है।नैना बोहोत हस्ती है और जाते जाते आनंद को देख के स्टाइल में चश्मे चढाती है।वही दो हवलदार को लगता कि ये लड़का उन दोनों लड़कियो को छेड रहा था।

आंनद-अरे सुनिये संध्या जी आप गलत समज रही है।9016451249 मेरा फोन नम्बर है और आप ये लो 500 रुपये छोदो मुझे।

रात को नैना संध्या को कहती है कि वो जो सुबह मिला था वो कहि जीजू तो नही ।संध्या कहती है कि वो अकेले कैसे और क्यों आएंगे । नैना सो जाती है फिर संध्या को ख्याल आता है कि वो सचमुच तो वो नही थे। आनंद ने जोबसुबह नम्बर दिया होता है वो संध्या याद करती है।और फ़ोन में सेव कर देती है।

दूसरे दिन संध्या आनद को फ़ोन करती है। आनंद नास्ता करने बैठा होता है।और फ़ोन की घंटी बजती है ।लेकिन वो बार बार संध्या का फोन काट रहा था। ये सब उसकी भाभी देख रही थी ।और आनंद को इशारा करके अंदर बुलाती है और कहती है के आप याद करोके आप नम्बर किसे देकर आये थे।

सुबह नैना टेडी बेयर के सामने एकेली एकेली बोलती है । दर्शल वो ये भाषा आदिवाशी की शिख रही होती है । रामजी बोहोत गुस्सा होता है।

और आनंद फ़ोन करता है। फिर वो दोनों बातेे करते है । 

कोकिला संध्या के लिए मॉल में सारिया देखने जाती है।और साथ मे आनद को भी लेजाती है।वही आनंद संध्या को वीडियो कॉल पे सारिया दिखाता है । कोकिला ये सब देख लेती है ।और वो संध्या को पहली बार देखा था। कोकिला खुश थी कि बहु तो सुंदर और सुशील है।

 आखिर वक़्त खत्म हुआ ।आनंद और संध्या की शादी हो रही थी आज संध्या के अग्ने मैं थी बारात ।

 नैना आंनद का स्वागत करती है।संध्या भी आनद को देखने के लिए छत पर आती है ।

10 मिनट बाद

सब मंडप में बैठे होते है। पंडित संध्या को बुलाने को कहते है रामजी उसकी पत्नी को इशारा करता है।रामजी की पत्नी जब रूम में जाती है ।तो संध्या वही नही होती वो बोहोत डर जाती है।और सब जगह संध्या को ढूढने लगती है।लेकिन संध्या कहि नही मिलती और ये बात वो रामजी को बताती है।

नीचे सब लोग संध्या का इंतज़ार कर रहे है।नैना रामजी से कहती है ।रामजी की पत्नी अपनी जोली नैना के सामने फैलाती है और कहती है।

रामजी की पत्नी - भगवान ने बेटा ना दिया लेकिन एक भी बार मेने शिकायत नही की लेकिन आज मेरी संध्या ने मेरी इज़्जट मिट्टी में मिला कर चली गयी। ऐ बेटी तुम हम दोनों को ज़िंदा देखना चाहती हो तो तुम संध्या की जगह बेठ जाओ।

ये सब नैना सुन ही रही होती है ।और उसकी माँ उसका हाथ पकड़ उसे आईने के सामने बिठाती है। और उसकी माँ उसको तैयार करती है। नैना को आईने में जैशे उसकी कुछ यादें दिखती है। और वो उसकी माँ के गले लग कर रोने लगती है। 

ये सब नैना सुन ही रही होती है ।और उसकी माँ उसका हाथ पकड़ उसे आईने के सामने बिठाती है। और उसकी माँ उसको तैयार करती है। नैना को आईने में जैशे उसकी कुछ यादें दिखती है। और वो उसकी माँ के गले लग कर रोने लगती है। 

नीचे मंडप में नैना और आंनद की विवाह हो जाता है।और बिदाई होती है।


नैना की बिदाई हो जाने के बाद एक नोकर रामजी के पास आता है ।और वो कहता है कि घर के पीछे संध्या.... इतना सुनने के बाद सब लोग भागते हुए ।घर के पीछे जाते है वह संध्या की खोपड़ी फ़टी हुई मिलती है। दर्शल संध्या आनंद को देखने के लिए छत पर जाती है।

वही उसे वायर पड़ा होता उसमे से उसको करंट लगता है।और वो नीचे गिर जाती है।ये देख रामजी खूब रोता है।

वही दूसरी और गाड़ी नैना अपने ससुराल पोहज जाती है।और गाड़ी में से आनंद उतरता है।

कोकिला की सहेली कहती है ।कि अपनी बहू का चेहरा तो दिखाव। इतना सुन ने के बाद वो गाड़ी पास जाती है और नैना का गुंगत खोलती है ।और वो शोक हो जाती है।और मनोहर को बुलाती है।

मनोहर संध्या की जगह नैना को देखकर सोक हो जाता है।वो तुरंत अपना मोबाइल जेब मे से निकलता है और रामजी को फ़ोन करता है।रामजी उसे सारी सच्चाई बता देता है। मनोहर घर के सदशयो को कुछ नही बताता और कोकिला मनोहर पर गुस्सा हो जाती है।और सब लोग घर के अंदर चला जाता है।

मनोहर आनंद को रोकता है।और कहता है कि सब रश्मि कर के जाव और आनद वह चुप चाप खड़ा हो जाता है।।नैना जैसे गाड़ी में से उतरती है वैसे संध्या को घर से सब बाहर लाते है। आशीर्वाद भवन में कन्हया नैना और आनंद को हार पहनाता है।तो रामजी अपनी बेटी संध्या के गले मे अंतिम विधि के लिए हार डालता है। नैना अपने ससुराल में पहला पग रखती है कि रामजी अपने अग्ने में से संध्या की लाश को अपने कभे पर रखता है।और कहता चला जाता है कि राम राम सत्य है।

आशीर्वाद भवन में आनंद की भाभी यानी सुमन नैना को आनद के रम में ले जाकर बेड पर बिठाती है।वही संध्या को चिता अग्नि देने के लिए चिता पर रखते है और रामजी चिता देता है।

दूसरे दिन सुबह मनोहर गार्डन में योग कर रहा हो त है ।कि वही आनद उसके दोस्तों के साथमस्तिया करके कहि से आ रहा था।

ये देखकर मनोहर गुस्सा हो जाता है।और वो आनद को थप्पड मरता है ।जिसकी नई नवेली दुल्हन रात से इंतज़ार कर रही हो और तुम।वही घर के सब लोग गार्डन में आते है।नैना भी अपने रूम की खिड़की से सब देख रही होती है।

कोकिला भी नैना के बारे में बोहोत कुछ बोलती है।ये सुन नैना रो पड़ती है ।वही बाद में कमरे में मनोहर आता है।और वो संध्या के बारे में कुछ नही बताता और नैना को गले लगा लेता है।

कोकिला के रूम में जया जाती है और कहती है। कि भाभी आप भी तो आनंद को अपना बेटा मानती हो न तो ये कैसे ये मिल गयी।कोकिला जया से कहती है कि ऐसा दाव खेलूंगी ऐसा दाव खेलूंगी की बाप बाप करके भाग जाएगी ।फिर करेगे अपने आनद की दूसरा विवाह।

वही नैना आती है और कोकिला से कहती है कि मेरी मांग भर दीजिये।ये सुन कर कोकिला आग बबूला हो जाती है।और नैना को खरी खोटी सुनाती है।और नैना रो कर चली जाती है।

नैना किचन में जाति है ।वही कन्हया सबके लिए नास्ता बना ने की तैयारियों में लगा होता है कि नैना आती है।और वो कन्हया से कहती है कि भैया आज खाना हम बनायेगे क्योंकि मुझे उनका और सबका दिल जीतना है।

कन्हया भी नैना को थिक है सिस्टर कहकर वह से कुर्सी लेकर बेठ जाता है।नैना फिर से सबकी चॉइस पूछती है।नैना वो सब नास्ता बनाने के बाद वो कन्हया से कहती है कि भैया तुम्हारा क्या पसंद है।

कन्हया की आँखे भर आती है वो कहता है कि सबकी पसंद याद रखते रखते मेरी क्या पसंद है वो मेभी भूल गया हूं।नैना सब नास्ता डैनिग टेबल पर रखती है।वही कोकिला और जय आता है।कन्हया उन्हें पिरोस्ता है कोकिला कन्हया की तारीफ करती है।कन्हया कहता है कि ये कहना मेरी नई सिस्टर ने बनाया है ।इतना सुनने के बाद कोकिला नास्ते की डिश जमीन पर फेक देती है।

वही मनोहर आता है।और ये देखकर वो जया और

कोकिला पर गुस्सा हो कर वह से चला जाता है।

नैना आनंद को नास्ता देने उसके कमरे में जाति है।वही आनदं उसे गेट लोस कह कर बाहर निकाल देता है।फिर नैना 10 बजे टिफिन देने जाती है।

आनंद उसे कहता है कि तुम फिर से आगयी तुम्हारी ये सकल मुझे बिल्कुल पसंद नही।इतना सुनने के बाद नैना सिर पर गुगट दाल देती है। और आनंद चला जाता है।

नैना टिफिन लेकर ऑफिस में जाति है ।वह आनंद इन्वेस्टटर के साथ मीटिंग कर रहा होता कि वही नैना लोक किये बिना अंदर आजाती है।

ये आनद को बिल्कुल पसंद नही होता ।और वो आखिर नैना का इंट्रोड्यूस करवाता है।और नैना उनकी बात ध्यान से सुन रही होती है।इन्वेस्टटर बाहर जाते है कि नैना उन्हें रोक लेती है और वो कुछ अच्छा आईडिया देती है जो उनको पसंद आता है।

दूसरे दिन इन्वेस्टटर शर्त रखते है कि नैना अगर आफिस में आएगी ।तो ही हम ये प्रोडक्ट की डिटेल आपको देगे ।उनके जाने के बाद आनंद को अब एक प्रोब्लम थी कि वो नैना से ठीक से बाटे भी नही करता तो में उसे कैसे मनाऊंगा।और पापा ने भी कहा है ये डील पक्की होनी चाहिए ।और वो गाड़ी में बैठ जाता है।

दूसरे दिन मनोहर बालकनी में न्यूज़ पेपर पढ़ रहा होता कि वह आंनद आता है।और वो कहता है कि इन्वेस्टटर नैना को स्पेशियल ऐड वाइस के लिए साथ ले जाता है।मनोहर भी मन मे खूह हो जाता है और वो आनंद से कहता है कि वही नैना को बुलाये।

फिर वो नीचे किचन में जाता है कि वहा नैना चाय बना रही होती है।और वो आनद को देखके फिर घूंघट डालती है।और आनंद कुछ बोलने जाता है कि नैना चाय लेकर किचन से बाहर चली जाती है।

फिर आनद कमरे में जाकर नैना को कहता है।नैना कहती है कि हमारी सास है बड़ी सास ,भाभी,ससुर ,पति इन सबकी सेवा के बाद टाइम मिलेगा तो जरूर करूँगी।

आनंद भी नैना से कहता है कि ज़्यादा भाव मत कहा और नैना चली जाती है और वो उसे रोक ने की पोसिस करता है कि वो दोनों गिर जाते है। और फिर नैना को कहता है कि ये घुघट का नाटक न करे ।

फिर वो लोग तैयार हो कर गाड़ी में बैठ कर आफिस में जाते है।

नैना और आनंद रात को ऑफिस से घर आते है।आनंद नहाने जाता है।और वहा कोकिला और जया आते है ।जया कहती है कि स्पेशल एडवाइसर बनके तुम हमारे बिटवा का दिल जीतने चाहती हो।

कोकिला जया की बात बीच मे काट कर कहती है कि ये रामजी की बेटी सीधी तरह निकल जा पता नही कोनसे मनहूस गडी में आई है।इतना सुनने के बाद नैना कहती है कि आखिर में भी एक इंसान हु।

।आपका घर हुआ नही की आप मेरा घर होने नही देते ।वही आनंद आता है।कोकिला नैना को चाटा मारती है।वही आनंद नैना का हाथ पकड़ कर कहता है कि तुम्हारी औकात मेरे घरकी नौकरानी तक कि नही है।

दूसरे दिन,

सुबह के 10 बजे,

आज मनोहर ने भी योग खत्म कर लिया था ।लेकिन नैना अभी तक मनोहर का जूस लेकर नही आई थी।वो नैना को आवाज़ देता है।कोकिला की भी आँख खुलती है ।

वो सोचती है कि 10 बज गए लेकिन मेरी चाय नही आई।कोकिला की आवाज सुन आनंद भी उठ जाता है।वही कोकिला बाहर आती है ।उसे सामने जया मिलती है और कहती है ।नैना सुबह से नही है।ये सुन कोकिला कन्हया कहती है ।की रामजी की बेटी कहा गयी ।कन्हया कहता है कि सिस्टर तो सुबह से किचन में भी नही आई सायद ऊपर होगी।

ये सुन मनोहर आनंद को अपने रूम से बाहर बुलाकर कहते है कि नैना कहा है।आंनद भी कहता है कि सायद नीचे होगी। मनोहर सब लोग नैना को धुंध ते है लेकिन कहि नैना नही मिलती।और अचानक एक गाड़ी आती है और उसमें से नैना के बापू यानी रामजी होता है।

रामजी- क्या हुआ समधीजी कोई बात हुई है क्या नैना से कोई गलती हो गयी।

ये सुन कर मनोहर चुप होता है।लेकीन कोकिला रामजी को बोहोत कुछ सुनाती है।

मनोहर-बस......बस कोकिला ऐसे इंसान दुनिया मे कम मिलते है इन्होंने अपनी इज़्ज़त बचाने के वास्ते उनकी छोटी बेटी नैना का विवाह आनंद से करवाया क्यों कि संध्या बेटी तो विवाह के दिन करंट लगने से मर गयी।

 ये सुन ने के बाद आनंद के सामने जैसे संध्या की यादे आगयी।लेकिन वो अपने आंसू छूपा न सका।

वही आनंद पर व्हाटसअप पर एक वीडियो आता है जो नैना भेजा होता है।

video

आज आपको भी जागने में बहुत देर हो गयी होगी।सासु मा भी चाय की इंतज़ार कर रही होगी और कोकिला माँ भी रामजी की बेटी कह कर चिल्लाती होगी ।

बाबूजी भी जूस का इंतज़ार कर रहे होंगे।हमारे बापु मजबूर थे और बापूजी हम सबके दिल न जीत सके हम को माफ कर दीजिए।हम ये जंग हार गए।

ये वीडियो देखने के बाद आनद और सब नैना के साथ जो गलत बर्ताव किया था वो याद कर ते है।

उतनी ही देर में कन्हया कहता है कि इस वीडियो में जो वो नदी है।में उस जगह को जनता हु।

आनंद और मनोहर सब गाड़िया लेकर निकल जाते है।

उधर नैना नदी की पाली पे चढ़ जाती है।और वही आनंद और सब आते है कि नैना नदी में कूद जाती है

दोस्तो आशा राखता हु।की ये आपको कहानी जरूर पसंद आई होगी।तो दोस्तो आप को इस कहानी में किसकी लव स्टोरी पसंद आई आनंद और संध्या की आंनद और नैना की रिप्लाई जरूर करना।


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