मध्यम वर्ग
मध्यम वर्ग
मध्यम वर्ग...... क्या ही कहना..... समाज के सारे नियम कायदे यहीं वर्ग निभाता हैं क्योंकि अमीर को कोई कुछ कह नहीं सकता क्योंकि वो अमीर है और गरीब को कोई देखना पसंद नहीं करता क्यों की वो गरीब हैं।
इस चक्की में पीसने वाला वर्ग मध्यम वर्ग न खुल कर खुश हो सकतें न खुल कर दुःखी क्योंकि समाज क्या सोचेगा।
ज़रूरत हो उतना ही खर्च करना क्योंकि उससे अधिक आय नहीं होती व्यय का सवाल ही नहीं और कभी अधिक खर्च हो जाए तो पूरे महीने जेब पकड़ कर रखनी पड़ती है।
ना ही अमीरों की तरह ठाट से रह सकतें है ना ही गरीबों की तरह सरकार पर निर्भर रह सकें अर्थ यह है की गरीबों को सरकार की ओर से राशन मिल ही जाता है। अब रही मध्यम की बात तो वो इस स्थिति में है की अगर घर बना लिया तो आधा जीवन लॉन की किश्त चुकाते चुकाते ही निकाल जाय और फिर कार ले आए फिर आधा जीवन लॉन की किश्तें......
उधार और उधार और फिर चुकाना .. तो भी जेब पकड़ कर हंस लेते है मध्यम वर्ग।