मैं भारत हूँ
मैं भारत हूँ
मैं भारत हूँ, और मुझे लोग भारत, इंडिया, और हिन्दुस्तान इन सभी नामों से पुकारतें हैं।
और मुझमें रहतीं हैं, मेरी हज़ारों करोड़ों संतानें...मेरे बेटे और बेटियाँ। यूँ तो पहले के हिसाब से बहुत कुछ बदल चुका है मेरे घर में पर यहाँ आज भी बहुत कुछ बदलना बाकी है।
खासकर सोच को बदलना यूँ तो यहाँ एक स्त्री को पूजा जाता है मंदिरों में, और वहीं दूसरी तरफ उसे ही रोका जाता है। पूजा के कार्यक्रमों से।
क्यों आख़िर क्यों लोग बदलना नहीं चाहते ? एक बच्ची को देवी का स्वरूप समझकर उसका पूजन किया जाता है। वहीं उसके पीरियड्स शुरू हो जाने पर उसे ही अशुद्ध करार दे दिया जाता है।
ये लोग जो ये सब दखियानुसी बातें करतें हैं, ये जो बेबुनियादी उसूल बनातें हैं। उन्हें ये हक़ आखिर दिया किसने है।
क्या वो ये नही जानते??? जिस खून के बहने से एक स्त्री को वो अशुद्ध करार दे रहें हैं, वो खुद उसी खून से बने हैं, फिर खुद कैसे पवित्र हो गए ?
एक स्त्री के खून से बने एक माँस के लोथड़े से ज्यादा कुछ नही हो सकते थे तुम, जो वो तुम्हे ना दुलारती, ना सवारती, और न अपनी रातें तुम्हारे लिए जागकर गुजरती।
सोचा है कभी उस स्त्री के मन की दशा ? क्या अब भी बदलना जरूरी नहीं लगता ? मैं भारत हूँ। और अब एक बदलता हुआ भारत बनना चाहता हूँ।