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sikuu writer

Tragedy

4  

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Tragedy

माया एक दुखद प्रेम

माया एक दुखद प्रेम

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दो साल पहले मेरी शादी नील से हुई थी नील और मैं कॉलेज में एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे और इसी के चलते हमने लव मैरिज की मेरे परिवार में मेरे पिताजी इस शादी के खिलाफ थे लेकिन मेरी खुशियों के आढे आकर उन्होंने इस शादी को मंजूरी दे दी और बड़े ही धूमधाम से मेरी और नील की शादी करवाई ... 


कुछ महीनों तक तो मेरे और नील के बीच सब अच्छा चला पर वह कहते हैं ना अक्सर दो प्रेमियों को नजर लग ही जाती है ।शादी के 6 महीने बाद नील का बर्ताव काफी बदलने लगा था और सिर्फ नील का ही नहीं उसके परिवार का भी बर्ताव मेरे लिए बदलने लगा था मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों हो रहा था मैंने सब से बात करनी चाहिए लेकिन किसी ने भी मुझसे कुछ खास बात नहीं की मेरी सास अक्सर मुझ से नाराजगी ही दिखाती थी और मैं उनकी नाराजगी का कारण कभी नहीं समझ पाई ... 


नील अब मुझे कष्ट देने लगे थे कभी मुझ पर गुस्से में आकर हाथ उठा देते तो कभी रात भर मुझे अपने हवस की भूख मिटाने के लिए इस्तेमाल करते हैं इस 6 महीने की खुशियों के बाद जैसे मेरी जिंदगी में आग लग गई थी ... अब तो नील मेरे साथ जबरदस्ती किया करते थे .. मैं रोती रहती उन्हें कई बार समझाया कि यह सही नहीं पर मेरी बात समझने के उलट वह मुझ पर ही भड़क जाते हैं और गुस्से में आकर मुझ पर हाथ छोड़ देते या फिर मुझे हवस का शिकार होना पड़ता ... 


शादी को 1 साल होने को आए अब तो सब एकदम बिगड़ गया था मेरी मां नहीं थी सिर्फ पिताजी थे मैं चाची चाचा थे ना बड़े पापा और बड़ी मां थी मां बचपन में ही गुजर गई थी इसलिए पिताजी ने दूसरी शादी ना करके मुझे अकेले पाला था ... 


अपने जीवन की पूंजी लगाकर ₹300000 दहेज के साथ लाखों के गहने और लाखों का सामान देकर मुझे विदा किया था।अब तो मन में बहुत दुख भर आया था मैं जाऊं तो कहां जाऊं किससे कहूं अपना दुख पिताजी से कह नहीं सकती थी और कोई मित्र यार ही नहीं मेरी ... 


शादी के 1 साल तक मेरी हालत काफी बिगड़ गई थी शरीर पर अनेकों दाग धब्बे आ गए थे और वह दाग धब्बे मारने पीटने के थे .. 


नील एकदम बदल गए थे मैंने सोचा ना था कि नील जो मुझसे इतना प्यार करते हैं वह कभी इतने बदल जाएंगे वह भी शादी के बस 1 साल बाद ... ना वह मुझसे ठीक से बात करते और ना ही वह मुझसे कभी कोई राय सलाम लेते बस जब जी चाहता मेरे शरीर को नोच खाते थे और अपनी हवस की आग बुझा कर मुझे अकेला छोड़ चले जाते ... 


17 महीने बीत गए शादी के 1 दिन ऊपर वाले ने मेरी सून ली और मेरी कोख में एक नन्हीं सी जान पल्ले लगी पर मेरी सास और ससुर आपने कर्मों से बाज ना आए अपने एक रिश्तेदार के ही डॉक्टर साहब से मेरी कोख का पता लगवाया और जब पता लगा की कोख में बेटी पल रही है तो मुझे भोजन में दवा मिलाकर खिला दी गई और उसी रात एक तेज दर्द के साथ वह नन्ही सी जान मेरे कोख मे ही मर गई ... बहुत रोए बहुत चिल्लाई जब दर्द बर्दाश्त ना हुआ तो बेहोश हो गए सास ससुर ने दिखावे के लिए डॉक्टर को बुलाया डॉक्टर ने कुछ दवाइयां दी और फिर चला गया ... 


2 दिन तक आराम करने से आराम मिला पर सास के ताने हर मिनट हर सेकेंड सुनने को मिल रहे थे .. 15 दिन ही बीता था कि फिर से मेरे पुराने दिन शुरू हो गए हर रात नील की रंगरेलियां और हर सुबह जीत और घर के काम .. 


अब मुझे लगने लगा था कि मैं खुद को ही खत्म कर लूं पर पिताजी ने काफी समझाया बुझाया और एक नहीं आज मिली मुझे तब जब मुझे पता चला कि मैं फिर से मां बनने वाली हूं ... 


पहले बच्चे को मरे 2 महीने ही हुए थे जब यह पता चला सास ससुर कुछ वक्त बाद मुझे फिर डॉक्टर के पास ले गए और डॉक्टर ने चेक कर बताया कि इस बार लड़का है ... 


सास के चेहरे पर खुशी का ठिकाना ही नहीं था पर मेरे चेहरे पर वह खुशी नहीं थी जो उस वक्त थी जब मेरी नन्हीं सी बेटी है रे कोख में पल रही थी .. 


9 महीने तक मुझे रानी बनाकर रखा गया ना घर के काम ना रोज रंगरेलियां नील भी इन 9 महीने में मुझसे काफी प्यार से बर्ताव किया करते थे घर के सभी लोग मुझे रानी सा सम्मान देते थे क्योंकि मेरी कोख में लड़का था ... 


नवा महीना लगा और वह दिन भी आ गया कि जिस दिन मेरे बच्चे को इस दुनिया में आना था। .. अस्पताल ले जाया गया और कुछ वक्त बाद पता चला कि बच्चा होते ही मर गया ... 


इस बात से मुझे इतना सदमा लगा कि मैं दिमाग की संतुलन खोने लगी और इस बीच मुझे मेरे ससुराल वालों ने भी छोड़ दिया मेरे पिता के पास ... 


कुछ महीना भर ही बीता था कि पता चला नील की शादी तय हो गई और मेरे लिए तलाक के पेपर आ गए ... पिताजी के काफी समझाने बुझाने पर मैंने तलाक के कागजात पर अपने साइंन कर दिया ... 


उस दिन मुझे नील से हमेशा के लिए मुक्ति मिल गई पर कहते हैं की पहली शादी के बाद तलाक और उस तलाक पर एक कलंक लग जाता है ... 


" बदचलन ".. 


बदचलन नाम ने मेरी जिंदगी में आग लगा दी और अब मेरे साथ मेरे पिता की भी बदनामी होने लगी और ऐसे ही एक दुख की घड़ी फिर आई और उस सुबह मुझे पता चला कि पिताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे ... उस दिन मैं इतना रोई कि शायद उतना मैं कभी नहीं रोई पिताजी मेरी दुनिया थे उनके जाने के बाद अब मेरा कोई भी नहीं रह गया इस दुनिया में रिश्तेदार तो फिर भी रिश्तेदार होते हैं अपना वह शहर सब कुछ छोड़ आई मैं दूसरे शहर अपने बीते कल को भुलाने के लिए अपने जीवन में सफल बनने का सोचा .... 


पिताजी की मौत को साल भर हुआ कि मेरी जिंदगी में फिर से एक इंसान ने अपने कदम रखे ... 


मुझे एक बार फिर प्यार हूआ .. लेकिन अपने उम्र से 6 साल बड़े आदमी से ... 


" अनिकेत ने मेरी जिंदगी में अपने कदम पसारे अनिकेत 32 साल के थे लेकिन वह काफी में चोर और समझदार के साथ-साथ एक बहुत ही अच्छे इंसान भी थे अनिकेत की यह पहली शादी थी अनिकेत और मैंने शादी की उन्हें भी मैंने अपने बीते हुए कल की हर एक बात बताएं अनिकेत ने मुझे समझा और मुझे अपना लिया ..."... 


हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे मैं भी अब अपने बीते हुए कल को भूल चुकी थी कुछ अच्छे यादो को छोड़ .. 


अनिकेत और मैं अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर चुके थे शादी के साल भर बाद मेरी जिंदगी में फिर से खुशियों का मेला लगा और इस बार मैं फिर से मां बनी मेरे मां बनने की बात सुन अनिकेत बहुत खुश हुए उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था यह हम दोनों के प्यार का पहला बच्चा था ... 


9 महीने तक अपने कोख में पालने के बाद आखिर मैंने एक प्यारे से बेटे अमन को जन्म दिया ... 


अब हमारे परिवार में मैं अनिकेत और मेरा प्यारा सा बेटा अमन थे हम काफी खुश थे एक दूसरे के साथ अनिकेत के बढ़ते बिजनेस को मैंने भी संभाला था और हम अब मिलकर अपना काम संभालते थे कहते हैं वक्त कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता ... 


" अमन 4 साल का हो गया और मैं एक बार फिर मां बनने वाली थी अनिकेत की दी हुई इस खुशी को मैं कभी नहीं भूल पाती इन 5 सालों में अनिकेत ने मुझे हमेशा खुश रखा इतना खुश कि मैं भूल चुकी थी उन सभी कड़वी यादों को ... 


ऐसे ही एक शाम की बात है .. 


" 3 मई ... की शाम मैं हॉस्पिटल में थी और अपना चेकअप करा रही थी अनिकेत किसी काम से बाहर शहर गए थे ... 


घर आने पर अनिकेत की मां मुझे रोती हुई मिली मैं समझ ना सकी कि वह क्यों रो रही है क्योंकि इन 5 सालों में मैंने कभी भी मां को रोते हुए नहीं देखा था अनिकेत की तस्वीर को अपने सीने से लगाए वह चीख कर रो रही थी ... 


उनके पास में खड़े दूर के ही एक देवर जी भी अपने आंसू पूछ रहे थे मुझे कुछ समझ नहीं आया कि क्यों यह सब रो रहे हैं आखिर में जब मैंने देवर जी से गुस्से में पूछा ... तब उन्होंने रोती हुई आवाज में बस कुछ शब्द कहे और उन शब्दों ने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया .. 


" भाभी भैया अब नहीं रहे आज शहर से आते ही एक एक्सीडेंट में उनकी जान चली गई "... 


यह कुछ शब्द मुझे अंदर तक हिला गए और कुछ ही पल में मेरी आंखें बंद हो गई फिर जब मेरी आंखें खुली तो मैंने खुद को अस्पताल के बेड पर पाया मेरी सास अनिकेत की मां मुझे पकड़कर रो रही थी उन्होंने मुझे हमेशा बेटी का प्यार दिया था और आज वह अपनी बेटी को पकड़ कर रो रहे थे उन्होंने रोते हुए मुझे संभाला था वही दूर के देवर जी भी वहीं बैठे थे .. डॉक्टर ने मुझे चेक किया और फिर कुछ दवाइयां दे वहां से चले गए ... 


अगले दिन तक में ऐसे ही पड़ी रही ना कुछ बोलती ना हिलती बस मेरे आंखों से वह आंसू निकलते जाते मेरी ऐसी हालत देख अनिकेत की मां ने मुझे बहुत समझाया और जैसे तैसे कर दूध पिलाया क्योंकि मैं गर्भवती थी तो मेरा कुछ खाना तो जरूरी था ... 


" अगले दिन मुझे घर लाया गया अनिकेत की लाश सफेद चादर से ढकी हुई मेरे आंखों के सामने पड़ी थी अमन मेरी गोद में बड़ा रो रहा था उस बच्चे को भी इतना समझ आ गया था कि अब उसके पापा नहीं रहे ... 


एक महीने बाद ... 


मैंने एक बेटी को जन्म दिया और उसका नाम मैंने बड़े ही प्यार से " आनिका "... रखा .... 


अनिकेत को गए 1 महीने हो गए थे पर अब भी मेरे आंखों के आंसू नहीं रुकते थे अनिकेत के बारे में सोच कर कितना प्यार करते थे अनिकेत मुझसे ... 


और फिर मेरे कंधों पर सौंप दी गई अनिकेत के व्यापार की जिम्मेदारी वह वक्त बहुत ही मुश्किल था जब मैंने अनिकेत की बूढ़ी मां के साथ अपने 4 साल के बेटे और अपने नवजात बच्ची को संभालते हुए बिजनेस को संभाला और ... मुझे भी अब यकीन हो गया था कि मेरे नसीब में खुशियां नहीं थी और जो खुशियां थी वह सिर्फ अनिकेत था और अनिकेत का दिया हुआ वह बेपनाह प्यार था ... मैं अपने अनिकेत को बहुत याद करती हूं और आज ।।।।। 


2 साल बाद मैं अनिकेत के सपने को पूरा करने जा रही हूं ... आज का दिन बिजनेस अवार्ड को लेने वाली हूं 



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