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Karm Jeet Singh

Tragedy

3  

Karm Jeet Singh

Tragedy

मासूमियत

मासूमियत

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"ओ बाबूजी ओ बाबू जी"जोर-जोर से चिल्लाते हुए एक लड़का करीब 10 साल का मासूम सा चेहरा कॉलोनी में आया दरवाजे के सामने वाली खिड़की से देखने लगा बाबूजी अंदर है क्या ?तभी दरवाजा खोलो उसके हाथ में एक थैला था

"क्या है" उसने पूछा

 "बाबूजी बाबूजी आलू बेच रहा हूं "

"नहीं लेना हमें इसकी कोई जरूरत नहीं हम पहले से बाजार से ले आए "

उस आदमी ने कहा और कुछ है नरम मन से पूछा

लड़का "नहीं बाबू जी केवल आलू ही है अभी तक कोई लिया नहीं है "

"क्यों" आदमी ने जोर से बोलो "कोई क्यों नहीं लिया?'

लड़का धीरे से आलू कल शाम के छिले हुए हैं छिले, आलू.... कौन बेचता है"

" ओ ओ मेरी मां कल खाने के लिए लाई थी मेरे गुल्लक के पैसे से तुम्हारे पैसे से तो तुम उसको बेच दोगे"

"इसको ले जाओ अपने घर कोई नहीं लेगा 1 किलो आलू छिले हुए" आदमी ने जोर से कहा कैसे कैसे बच्चे हैं आजकल के


लड़का नरम मन से "नहीं बाबू नहीं बाबू जी रोते हुए मनसे बोला मेरे पिताजी ने मेरी मां को कल से बहुत मारा है और का कि अगर दारू का पैसा नहीं लाई तो मैं तुम्हें बेच के दारु पी लूंगा मां बीमार है 4 दिन से काम पर नहीं जा पा रही है "


बच्चे का चेहरा देख आदमी बैठ गया, बगल में खड़ी उसकी औरत और एक बेटी आदमी की तरफ देखने लगे,"हाथ में दारू की बोतल सिगरेट के पैके थे मैं मैं ऐसा नहीं करूंगा बोतल छुपाते हुए कहा"

औरत ने लड़के को अंदर बुलाया और खाना खिलाया और खाना उसकी मां के लिए ले लिया "बेटा तुम्हारा घर कहां है" उसके साथ चल दिए बच्चे के घर पहुंचने पर एक औरत टूटी हुई चारपाई पर लेटी हुई है, पति जोर जोर से चिल्ला रहा है "महारानी लेटी रहोगे कुछ लाओगी खाने के लिए मेरा दारू मंगवाया?" औरत दर्द से कराहते, हुए आवाज नहीं निकल रही "छोटू कल से कुछ नहीं खाया है देखो उसको कहां गया उसे कुछ खिला दो अपने पल्लू से बांधे दो रोटी खोलते हुए कहा...… "



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