चर्चा : मास्टर और मार्गारीटा-3

चर्चा : मास्टर और मार्गारीटा-3

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हमने देखा कि अध्याय 2 में विदेशी पत्रियार्शी पार्क में येशुआ-हा-नोस्त्री और पोंती पिलात का प्रसंग सुनाता है, जिसमें येशुआ को फाँसी की सज़ा सुनाई जाती है। और जब तक अभियुक्तों को गंजे पहाड़ पर ले जाया जाता है सुबह के दस बज जाते हैं।अध्याय 2 का घटनाक्रम घटित होता है येरूशलम में।

अध्याय 3 उसी वाक्य से आरम्भ होता है जिससे अध्याय 2 समाप्त हुआ था। दुबारा यह कहकर कि  ‘सुबह के दस बजे थे, आदरणीय इवान निकोलायेविच। ’ बुल्गाकोव पाठकों को उस स्थान एवम् समय पर वापस ले आता है जब बेर्लिओज़ और बेज़्दोम्नी ईसा के बारे में चर्चा कर रहे थे। इस विधा का प्रयोग बुल्गाकोव स्थान एवम् समय में मानो छलाँग लगाने के लिए करते हैं। इस समय तक पत्रियार्शी पर शाम हो चुकी है और आसमान में चाँद निकल आया है। बेर्लिओज़ इस ‘सिरफिरे’ जर्मन को गुस्सा नहीं दिलाना चाहता मगर फिर भी वह कह देता है कि प्रोफेसर की कहानी है तो बड़ी दिलचस्प मगर वह बाइबल की कहानियों से मेल नहीं खाती।

“आपकी कहानी बहुत रोचक थी प्रोफेसर, हालाँकि वह बाइबिल की कहानियों से ज़रा भी मेल नहीं खाती।” “माफ कीजिए,” प्रोफेसर शिष्ठतापूर्वक हँसकर बोला, “आप तो जानते ही होंगे कि बाइबिल में जो कुछ लिखा है, वैसा वास्तव में कभी हुआ नहीं। और यदि हम बाइबिल को ऐतिहासिक प्रमाण मानें।” वह फिर हँसा। बेर्लिओज़ सिटपिटा गया, क्योंकि ठीक यही बात उसने बेज़्दोम्नी से कही थी, जब वह ब्रोन्नाया सड़क से पत्रियार्शी तालाब की तरफ आ रहे थे।

 बेर्लिओज़ ने कहा, “बात यह है कि।मुझे डर है कि कोई भी इस बात का प्रमाण नहीं दे सकता कि जो कुछ आपने कहा, वह भी वास्तव में घटित हुआ हो।”

 “ओह, नहीं! कोई भी इस बात को सत्य सिद्ध कर सकेगा!” प्रोफेसर ने बड़े अन्दाज़ से दृढ़ स्वर में कहा

 प्रोफेसर बेर्लिओज़ द्वारा ही कुछ समय पहले कहे गए शब्दों को दुहरा देता है कि बाइबिल में वर्णित घटनाएँ असल में कभी हुई ही नहीं। बेर्लिओज़ भौंचक्का रह जाता है।गौर कीजिए कि इस बात को कहकर बुल्गाकोव इस बात की ओर इशारा कर देते हैं कि पाठक येशुआ-पोंती पिलात के प्रसंग को वाक़ई में ईसा की कहानी न समझ बैठें।।।ये तो कोई और ही बात है!

आगे के अध्यायों में भी आप देखेंगे कि बुल्गाकोव किसी घटना का वर्णन बड़े विस्तार से करते हैं और फिर एकदम यह कहकर उसे खारिज कर देते हैं कि ‘हमें कुछ मालूम ही नहीं है’, या ‘ऐसा हुआ ही नहीं था।’

बेर्लिओज़ प्रोफेसर से पूछता है कि वह मॉस्को में रुका कहाँ है, और प्रोफेसर जवाब देता है कि वह बेर्लिओज़ के ही फ्लैट में पूरे तीन दिनों तक रहने वाला है!बेर्लिओज़ बेज़्दोम्नी को इशारे से प्रोफ़ेसर पर नज़र रखने के लिए कहकर फ़ोन करने के लिए उठता है-

“आप यहाँ मेरे मित्र बेज़्दोम्नी के साथ एक मिनट बैठिए, और मैं नुक्कड़ पर जाकर एक टेलिफोन करके आता हूँ, फिर हम आपको जहाँ चाहें वहाँ छोड़ आएँगे। आप तो इस शहर में नए हैं न”                                                               

देखा जाए तो बेर्लिओज़ का सोचा हुआ प्लान बिल्कुल सही था - निकट के टेलिफोन बूथ में जाकर विदेशियों से सम्बन्धित दफ़्तर में इस बात की सूचना देना था कि यह, विदेश से आया हुआ सलाहकार पत्रियार्शी तालाब वाले पार्क में बैठा है और उसकी दिमागी हालत बिल्कुल ठीक नहीं है। इसलिए कुछ ज़रूरी उपाय किए जाएँ, नहीं तो यहाँ कोई नाखुशगावार हादसा हो सकता ह “फोन करना है ? कीजिए,” मनोरुग्ण ने उदासी से कहा और अचानक भावावेश से मिन्नत की, “मगर जाते-जाते आपसे निवेदन करूँगा कि शैतान के अस्तित्व में विश्वास कीजिए! मैं आपसे कोई बड़ी चीज़ नहीं माँग रहा हूँ। याद रखिए कि शैतान की उपस्थिति के बारे में सातवाँ प्रमाण मौजूद है, यह बड़ा आशाजनक प्रमाण है! अभी-अभी आपको भी इस बारे में पता चल जाएगा

“अच्छा, अच्छा।” झूठ-मूठ प्यार से बेर्लिओज़ ने कहा और चिढ़े हुए कवि की ओर देखकर उसने आँख मारी, जिसे इस पागल जर्मन की चौकीदारी करने का ख़्याल बिल्कुल नहीं आया था। फिर वह ब्रोन्नाया रास्ते और एरमालायेव गली के चौराहे की तरफ वाले निकास द्वार की ओर बढ़ा। उसकी जाते ही प्रोफेसर मानो स्वस्थ हो गया और उसके चेहरे पर चमक आ “मिखाइल अलेक्सान्द्रोविच!” उसने जाते हुए बेर्लिओज़ से चिल्लाकर कहा।वह कँपकँपाया, फिर उसने पीछे मुड़कर देखा और स्वयँ को ढाढस बँधाया कि उसका नाम भी प्रोफेसर ने कहीं अख़बारों में पढ़ा होगा। और प्रोफेसर दोनों हाथ बाँधे चिल्लाता जा रहा थ“क्या मैं आपके चाचा को कीएव में तार भेज दूँ ?”

वह विचित्र, पारदर्शी आदमी जिसे बेर्लोओज़ ने पार्क में हवा से बनते देखा था, दुबारा प्रकट होता है। अब वह साधारण इंसान की तरह प्रतीत हो रहा है।

ब्रोन्नाया वाले निर्गम द्वार के पास बेंच से उठकर सम्पादक के पास वही व्यक्ति आया जो तब सूरज की धूप में गरम हवा से बनता नज़र आया था। फर्क इतना था कि अब वह हवा से बना हुआ प्रतीत नहीं होता था, बल्कि साधारण व्यक्तियों की भाँति ठोस नज़र आ रहा था। घिरते हुए अँधेरे में बेर्लिओज़ ने साफ-साफ देखा कि उसकी मूँछें मुर्गी के पंखों जैसी थीं, आँख़ें छोटी-छोटी, व्यंग्य से भरपूर, आधी नशीली, और चौख़ाने वाली पतलून इतनी ऊँची थी कि अन्दर से गन्दे मोज़े नज़र आ रहे थे।

मिखाइल अलेक्सान्द्रोविच वहीं ठिठक गया, मगर उसने यह सोचकर अपने आपको समझाया कि यह केवल एक विचित्र संयोग है और इस समय उसके बारे में सोचना मूर्खता है।

 “घुमौना दरवाज़ा ढूँढ रहे हैं साहब ? कड़कते स्वर में लम्बू ने पूछा,“इधर आइए! सीधे, और जहाँ चाहे निकल जाइए। बताने के लिए आपसे एक चौथाई लिटर के लिए।हिसाब बराबर।भूतपूर्व कॉयर मास्टर के नाम!” शरीर को झुकाते हुए इस प्राणी ने अभिवादन के तौर पर अपनी जॉकियों जैसी टोपी हाथ में ले ली।

इस तरह हमें दो बातों का पता चलता है - वह स्थान जहाँ विदेशी रुकने वाला है; और यह कि बेर्लिओज़ का एक चाचा है जो कीएव में रहता है।

बेर्लिओज़ अन्नूश्का द्वारा गिराए गए तेल पर फिसल कर रेल की पटरियों पर गिर जाता है और फौरन तेज़ी से आती हुई ट्राम द्वारा कुचल दिया जाता है। ट्राम एक महिला द्वारा चलाई जा रही थी। इस प्रकार प्रोफेसर की भविष्यवाणी सही साबित होती है- मासोलित की मीटिंग जिसकी अध्यक्षता बेर्लिओज़ करने वाला था हो ही नहीं सकती; बेर्लिओज़ का सिर काट दिया जाता है, एक महिला द्वारा।अगले ही पल लोगों की भीड़ जमा हो गई जो बेर्लिओज़ के कटे हुए सिर को देखकर सकते में आ गए थे।

हम कह सकते हैं कि यह अध्याय आगे होने वाली घटनाओं की प्रस्तावना है।

यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रोफेसर भविष्यवेत्ता है, यह भी यक़ीन हो जाता है कि मनुष्य का अपने भविष्य पर कोई नियंत्रण नहीं है, वह तो यह भी नहीं जानता है कि अगले पल उसके साथ क्या होने वाला है।

बेज़्दोम्नी की क्या प्रतिक्रिया होगी ? अगले अध्याय में।

 


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