मां
मां
मां हमें पूर्णता का शब्द बताती है मां हमें जीने की राह दिखाती है। हर दुख हर सुख में मुझे तो मां तुम ही याद आती हो। सच है मां बचपन में बातें कम समझ आती थी पर बचपन की बातें अब याद बड़ा आती है शायद समझ भी ज्यादा आती है। ना वो पल आएंगे ना वो दिन वो रात आएंगे, पलो की बड़ी हेरा फेरी हो गई है मां। दर्द में अब कोई परवाह नहीं करता कोई चाहे कुछ भी हो मां अब उठ के खड़ा होना पड़ता है।
अब समझ आने लगा है तेरा दर्द में दवा खाना आज तेरी जगह मैं खड़ी हूं। मां चाहे अनपढ़ ही क्यों ना हो पर मां के पास हर सवाल का जवाब मिल जाता था। शादी के बाद हर सवाल पे हमारा खानदान हमारी परवरिश पे सवाल कर दिये जाते है। हम अपना समझ कर घर मे कदम रखते है अक्सर वही हमें सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर देते है। मेरी गलती होने पर भी मां ने कभी सवाल नहीं किया। हां समझाया था। मां सच में सुपर होती है।
कई रूप कई किरदार है तेरे मां। जब खुद उस साँचे में ढलने लगे तो। समझ आने लगे। हां ठीक है निभाए जाने चाहिए। हर फर्ज हर रिश्ता।
पर आत्मसम्मान भी जरूरी है ना मां।