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Sanyogita Dwivedi

Inspirational

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Sanyogita Dwivedi

Inspirational

माँ

माँ

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इस कहानी में एक माँ का चित्रण है ।

एक माँ थी जिसके दो बच्चे थे, एक बेटा और एक बेटी । मा़ँ विधवा होने के बावजूद अपना फर्ज निभाया दोनों को पढ़ाया और बेटे का विवाह कर दिया । बहू के आते ही बेटा माँ को भूल गया ।जब बेटी पढ़ने के लिए दूसरे शहर चली गई,तब बहू ने सास पर बहुत जुल्म किए जिससे कुछ दिनों में सास पागल हो गई ।

बेटे ने माँ पर कोई ध्यान न दिया ।बल्की उसने अपनी माँ को पागलखाने भेज दिया।कुछ दिनो बाद जब उसकी बेटी कलेक्टर बनकर वापस आयी तब उसे अपनी माँ के बारे मे पता चला तब उसने अपनी माँ का इलाज करवाया,जिससे दो साल बाद पहले जैसी हो गयी ।

माँ अपनी बेटी को सबकुछ बता कर रोने लगी । तब बेटी ने अपने भाई के खिलाफ ऐक्शन लिया और उन दोनों को जेल भिजवा दिया ।लेकिन माँ ने अपनी बेटी को समझाया तब बे़टी ने उन दोनों को आजाद करने का हुक्म दिया ,वो दोनो बहुत लज्जित थे ।

बेटा और बहू दोनो ही माँ से माफी मांग रहे थे पर उसने किसी को माफ नहीं किया और अपनी बेटी के साथ रहने लगी..




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