माँ का कर्तव्य
माँ का कर्तव्य
आज मेरे बेटे, मयंक, का परिणाम आया। वह आई.ए. एस. की परीक्षा में प्रथम आया था। बधाई देने वालों का तांता लगा था। सभी मेहमान के जाने के बाद मैं भी खाना खाकर पलंग पर लेटी। मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मै अतीत में खोती चली गई।
आंठवीं कक्षा में मयंक फेल हो गया था। घर आने पर उसके पापा ने उसे बहुत बुरा भला कहा।
मयंक उदास रहने लगा। दुखी मैं भी थी।
मगर मैंने ठान लिया था कि मैं इस समय एक माँ के कर्तव्य से पीछे नही हट सकती। माँ का कर्तव्य है 'अपने बच्चे को विपरीत परिस्थिति में भी आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना'।
मैं उसके साथ ज्यादा से ज्यादा रहती। उससे कहती 'एक बार असफल होने से कुछ नहीं होता। इस असफलता से सबक लो और आगे बढ़ो।" मयंक भी खूब मेहनत करने लगा। परिणामस्वरूप अगले वर्ष वह वर्ग में प्रथम आया। फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज वह आई.ए.एस. बन गया था।