लघुकथा--विरोध
लघुकथा--विरोध
शिक्षकों के साथ पक्षपात हो तो वह कैसे बरदाश्त कर सकता था, ''सरजी ! यह प्रक्रिया गलत है ?'' उस ने पूरजोर विरोध किया।
''लेकिन, हम ने कोई पक्षपात नहीं किया है,'' शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार के आयोजक ने कहा, '' हम ने बाकायदा परीक्षक के तीन दल बनाए थे। तीनों दलों ने मिल कर निर्णय किया है। सीमा की शैक्षिक सहायक सामग्री सब से बढ़िया थी,'' कहते हुए आयोजक ने तीनों के नाम गिना दिए।
'' मगर सरजी, विनोद सर ने बहुत ही उपयोगी, व्यावहारिक और अनोखी शिक्षण सामग्री का निर्माण, बिना किसी खर्चें से किया था। सही अर्थे में वही शून्य निवेश नवाचार था। उस को प्रथम, द्वितीय, तृतीय किसी लायक ही नहीं समझा ?''
'' ऐसी बात नहीं है। उस को अगली बार स्थान मिल जाएगा।''
'' नहीं सरजी, मेरे कहने का मतलब यह है कि शैक्षिक सहायक सामग्री तो सामग्री होती है। उस में इस तरह की प्रतियोगिता को कोई मतलब नहीं होता है। ऐसी प्रतियोगिता नहीं होनी चाहिए जिस से दूसरा शिक्षक हतोत्साहित हो, '' उस ने पूरी प्रक्रिया का विरोध किया।
इस पर आयोजक ने उस का जवाब देना उचित नहीं समझा। वे निर्णायक के पास जा कर बोले, '' वह शिक्षक निर्णय प्रक्रिया का चुनौती दे रहा है। कह रहा है कि आप ने सीमा को प्रथम इसलिए चुना है कि।।।''
"क्या कहा हैं ?"
'' अरे जाने दो।'' आयोजक ने धीरे से कहा तो निर्णायक बोले,'' गत वर्ष इस प्रतियोगिता में उसे प्रथम स्थान मिला था । मगर, इस वर्ष वही पुरानी सामग्री ले कर आ गया था।''
यह सुन कर आयोजक के चेहरे पर संतोष की मुस्कान तैर गई।