Suraj Arya

Drama Inspirational Thriller

4  

Suraj Arya

Drama Inspirational Thriller

लाडली

लाडली

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संजना अब 15 साल की हो चुकी थी। और अपने जन्मदिन पर बहुत ही ज्यादा खुश थी।

घर में परिवार वाले भी खुश थे। और आपस में कह रहे थे ।हमारी "संजू" भी अब सयानी हो रही है।

संजना को भी अपना नाम संजू ही अच्छा लगता था। 

संजू के घर में उसके अलावा उसके दो भाई और उसकी मां थी। पिता का साया और प्यार संजू को कुछ ज्यादा नहीं मिल पाया । उसके जन्म के 2 साल बाद ही उसके पिता का हृदयाघात से निधन हो गया था। उसके भाई जो की जुड़वा थे,वंश और विवेक, संजना से करीब 5 वर्ष बड़े थे, जिन्होंने कभी संजना को पिता के प्यार की कभी कमी नहीं होने दी।

वे दोनो बहुत ही ज्यादा विवेकवान और समझदार थे, पिता के निधन के समय वे करीब 7 वर्ष के थे, और उनके निधन के बाद से उनकी मां जो दिन रात रोया करती थी। ज्यादा रोने से उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। जिससे दोनों भाइयों ने ही उतनी छोटी सी उम्र से ही अपनी बहन की बड़े प्यार के साथ परवरिश के साथ ही अपनी मां का भी भरपूर ख्याल रखा था। पढ़ना-लिखना शायद उनकी किस्मत में नहीं था। पर वो अपनी बहन की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने देते थे। उन्होंने गांव में दूसरो के खेत में मजदूरी कर कर अपने परिवार का गुजारा किया और कर रहे थे।

पर शायद संजू अब तक अपने भाइयों का परिश्रम और त्याग नहीं समझ पाई थी।

एक तरफ जहां उसके भाई इतने कर्मठ थे वहीं संजू उनकी एकदम विपरीत। जहां उसके भाई परिवार के बारे में ही सोचा करते थे । जिससे जो अपना बचपन तक भूल गए थे,

पर संजू को घर की छोड़कर पूरी दुनिया की ख़बर थी। वो घर का एक तिनका तक का काम नहीं करती थी। उसे मतलब था थी सिर्फ अपने दोस्तों से। उसकी नज़र में दोस्त ही सब कुछ थे। घर में मां की डांट पर अपनी मां को ही डांट देना अब उसे आने लगा था। क्योंकि ऐसा उसके दोस्त करते थे। भाइयों की सलाह उसे चुभने लगी थी।

जिससे दोनों भाई बहुत परेशान रहते थे । शाम को काम से घर आने पर संजू को पढ़ने को कहते तो संजू कुछ न कुछ बहाने लगा ही देती थी। 

ऐसा नहीं था की संजू पूरी तरह बिगड़ गई थी पर शायद ज्यादा घरवालों के प्रेम ने उसे उनकी स्थिति नहीं समझने दी।

उसके लिए दोस्तों के साथ खेलना, हंसाना,घूमना ही जिंदगी बन चुका था। या कहे तो दोस्त ही उसके लिए सब कुछ हो गए थे।

एक दिन संजू का खेलते समय बायां हाथ फ्रैक्चर हो जाता है। उसकी मां ने उसे मना किया था की आज बारिश हुई है खेलने मत जा ।पर वो कहां मानने वाली थी वो चली गई थी।

भाइयों ने अपने मालिक से जैसे तैसे पैसे कर्ज में लेके बहन का इलाज कराया। 

अब उसके हाथ में लग गया प्लास्टर और हो गया आराम एक महीने का घर के बिस्तर में।

करीब 5 7 दिन बीत जाने के बाद वो देख रही थी की और सोच रही थी की " मेरा कोई दोस्त मुझसे मिलने नहीं आ रहा और न ही कोई फोन ही कर रहे हैं।"

वो करते भी क्यूं वो मिलते भी क्यूं। क्योंकि थे तो वो भी संजू की प्रवृत्ति के उन्हें भी तो वो ही पसंद था जो संजू को था। उनके लिए भी तो किसी का सुख दुख से कोई मतलब नहीं था।

और दिन बीते संजू के घर में पर कोई दोस्त के न फोन और न ही कोई अब तक मिलने आया।

घरवाले तो घरवाले होते हैं वो तो उतने ही प्यार से संजू की देखरेख कर रहे थे । विवेक आजकल घर पर ही रहता था ।और संजू की देखरेख करता था।

ऐसा करते करीब 20 दिन हो गए थे। 

और विवेक, संजू से पूछता है कि तेरा तो एक भी दोस्त तुझसे मिलने ही नहीं आया।

और थोड़े गुस्से से कहती है भैया सब मतलबी हैं।

और उस समय विवेक थोड़ा हंस देता है।

संजू को अब धीरे धीरे समझ आने लगी थी अपने परिवार वालों की बातें।

और वो अपने भाइयों के बारे में सोचने लगी थी। उसके भी दिमाग में अब आ रहा था अपने भाइयों का त्याग और परिश्रम।

शाम को जब वंश काम से घर आता है तो संजू उसके लिए अपने एक हाथ से पानी ले जाती है। और कहती है _ भैया लीजिए पानी। 

वंश एक बार उसका चेहरा देखता है और उसको देखते हुए ही पानी पी जाता है। और कहता है _ तू ठीक तो है? कुछ चाहिए क्या तुझे? 

संजू रुहांसे मुंह से कहती है नही और वंश के गले लगकर रोने लगती है और कहती है _"भैया मुझे माफ कर दो और यही कहते वो विवेक के भी गले लगकर रोती है।

और फिर अपनी मां के पैरो को छूकर उसे गले लगाकर रोती है।

दोनो भाई उसे पास बुलाकर समझते है और कहते है. 

"संजू जिंदगी में लगभग सब जरूरी है पर हद तक" और हमें पता है की तू बहुत होनहार है और तू बहुत करेगी।

संजू फिर मुस्कुराके कहती है आपसे ही सीखा है।

और फिर सब खुश होकर खाना खाने लगते है।

संजू भी अब जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण पाठ समझ चुकी थी। 

कहते हैं ना जिसकी कुंडली में सर्प कुंडली मारकर बैठा हो वहा सिर्फ जहर ही होता है,


अब संजू ने भी गांव के स्कूल से 12वीं पास कर ली थी। इसके साथ ही उसने अपना जिला टॉप किया । मन लगाके जो पढ़ाई की थी। 

उसका सपना था एक अच्छी साइकोलॉजिस्ट बनने का जिसके लिए उसे शहर जाना था।

भाई भी उसके सपने को अपना सपना मानते थे।। और उन्होंने भी उसके लिए दिल्ली में बेस्ट कॉलेज ढूंढ लिया था।

अब वो दिन आ ही गया था जब संजू को घर छोड़कर शहर जाना था। 

वो अपने भाइयों को गले लगाकर, मां के चरणस्पर्श कर जाने लगती है,और भाई भी उसे बस स्टॉप तक छोड़ने जाते हैं। और जाते वक्त वंश,संजू से एक वादा लेता है की चाहे कुछ हो जाए तू अपनी पढ़ाई के प्रति कोई बहाना नहीं बनाएगी। और न ही उसे बीच में छोड़ने के बारे में सोचेगी।

और संजू भी मुस्कुराते हुए हां कही जा रही थी।

अब थोड़ी और सलाह के साथ ही बस स्टॉप आ ही गया था। और वो दोनो भाइयों से विदा लेती है।।

इसके साथ ही संजू का एक नया सफर शुरू होता है।

बस में संजू बस अपने परिवार के बारे में ही सोच आत्मविभोर हो रही थी।

इस बीच सफर भी खत्म हो गया था। और संजू भी अपने कॉलेज पहुंच गई थी।

और कॉलेज पहुंचकर वो घर फोन करके भाईयो को पहुंचने की सूचना देती है।

सफर से थकने के बाद वो कुछ आराम कर लेती है।

"कल कॉलेज का पहला दिन है"  सोचते संजू अगले दिन की तैयारी में लग जाती है।

 आज आ ही गया था कॉलेज का पहला दिन। थोड़ी उत्सुकता थोड़े डर से वो कॉलेज का पहला दिन पढ़ने जाती है। और पूरे दिन क्लासरूम और टीचर को निहारने के बाद वो कमरे पर आती है।तो देखती है कि उसके रूम में एक और लड़की बेड पर आराम कर रही होती है।

 "कौन हो तुम और यहां क्या कर रही हो?" संजू एकदम तेज आवाज में कहती है।

"क्या?" दूसरी लड़की एकदम से डरते हुए कच्ची नींद में जागकर कहती है।

संजू फिर कहती है -मैने कहा कौन हो तुम और यहां क्या कर रही हो?

वो कहती है तुम्हारा नाम संजना है क्या?

हां तुम्हे कैसे पता? संजू पूछती है।

दूसरी कहती है मेरा नाम प्रीति है और मैं तुम्हारी रूममेट हूं। ठीक है।

संजू भी सोचती है एक और मुसीबत पड़ गई मत्थे।

पहले के कुछ दिन तो दोनो के बीच मतलब तक का बोलना भी नहीं था।  पर धीरे धीरे वो दोनों एक दूसरे की मदत करके एक दूसरे से बोलने लगे थे।

एकतरफ जहां संजू अपना ज्यादा समय पढ़ने में बिताती थी वहीं प्रीति को पढ़ने में कम ही रुचि थी। उसको तो खाना  खाना ही पसंद था।

संजू की भी हफ्ते में 1 बार परिवार से बात हो ही जाती थी।

और परिवार वाले भी खुश हो जाते थे उसकी पढ़ाई की खबर सुनके।

धीरे धीरे समय बीत रहा था और प्रीति और संजू भी अब एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए थे।

वो दोनो भी एक दूसरे को अपनी अपनी पुरानी बातें एक दूसरे को बताते रहते थे।

एक रात रोने से पहले प्रीति संजू से पूछती है की कभी तुझे किसी से प्यार हुआ है? संजू एकदम से कहती है नहीं।

"सच्ची में" प्रीति बड़ी आंखे करके कहती है। "हां हां नही हुआ"  संजू फिर एकदम से कहती है।

प्रीति कहती है मुझे तो हुआ है यार।बल्कि वो अब मेरा बॉयफ्रेंड भी है।

थोड़ी ही देर में संजू कहती है मुझे तो नहीं हुआ पर मुझे ऐसा लगता है की हाईस्कूल के समय एक लड़का था जिसकी आंखों में मैं खुद के लिए कुछ देखा करती थी।पर उसे एकदम अनदेखा करके। वो मुझसे एकदम से बोलता नहीं था पर मेरी मदत करने के मौके भी नही छोड़ता था।

उसकी आंखों में मैं खुद के लिए इज्ज़त देखती थी।

बस वो कभी बोल नहीं पाया। खैर बोल भी देता तो करना तो मैने मना ही था।

ये कहते हुए संजना चुप हो जाती है।

तब प्रीति कहती है यार ये एकतरफा प्यार करने वाले मुझे बड़े पसंद है। काश मुझसे कोई ऐसा एकतरफा प्यार करता। मैं भी उसकी आंखों में कुछ देखा करती। 

ऐसा कहते दोनो सो जाते हैं।

अब ऐसे करते करते समय आ गया था। पहले वर्ष की परीक्षा का।

और पहले वर्ष की परीक्षा में संजू प्रथम स्थान हासिल करती है। और इसके साथ ही वो सबकी नजरों में भी आ जाती है। रूम में पहुंचने पर प्रीति गाना गाते हुए संजू का स्वागत करती है। और कहती है तू तो बड़ी होशियार निकली यार। 

संजू कहती है ऐसा कुछ नहीं है।

तू भी मन लगाके पढ़ तू भी फर्स्ट आ जायेगी।

ये कहते हुए संजू घर वालो को फोन लगाने चली जाती है।

और परिवार को अपने फर्स्ट आने की सूचना देती है।

जिससे घर वाले भी बहुत खुश हो जाते हैं। और कहते हैं ऐसे ही मन लगाके पढ़ना।

संजू परिवार वालो से बात करके खुश थी।

ऐसे ही अच्छी पढ़ाई और झल्ली रूममेट के साथ समय बीत रहा था।

एक दिन शाम को पढ़ते समय अचानक से एक जोर की आवाज आती है संजना आपके लिए फोन है।

और संजू, प्रीति से कहती है मैं अभी आई हां बात करके।

प्रीति कहती है चल मैं भी चलती हूं वैसे भी यहां पर बोर हो जाऊंगी अकेली।

चल फिर। और दोनो फोन की तरफ चल देते हैं।

संजू जैसे ही फोन कान में लगाकर हैलो बोलती है तो फोन पे एक आवाज आती है।

"संजू जल्दी घर आजा, वंश और विवेक दोनो अब हमारे बीच नहीं रहे" ये सुनते ही संजू बेहोश हो जाती है।

प्रीति फोन दोबारा कान में लगाती है। बोलती है"हेलो"

तो फोन से आवाज आती है। संजू के भाईयो की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है। वो दोनो बाइक से अपने मालिक के काम से शहर गए थे। शहर जाते वक्त उन्हें किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी। जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो है। 

प्रीति भी एकदम से हक्की बक्की रह जाती है। पर किसी तरह संजू को होश में लाकर सांत्वना देती है।

"कुछ नहीं हुआ मेरे भाईयों को, मैं कुछ नहीं होने दूंगी अपने भाईयों को । मैं आ रही हूं भैया" संजू लगातार रोते हुए यही कही जा रही थी।

जैसे तैसे अफरातफरी में दोनो ऑफिस से परमिशन लेकर निकल जाते है गांव की तरफ।

रास्ते भर संजू सिसकते हुए कही जा रही थी। "मेरे भाई बहुत बहादुर हैं कुछ नही होगा उन्हें।"

बस यही शब्द बार बार प्रीति के कानो में गूंज रहे थे।

और प्रीति भी अपने आंसू छुपाते हुए संजू को गले से लगा लेती थी।

और ऐसे ही गांव भी आ जाता है।

दोनो फटाफट संजू की घर की तरफ तेजी से बड़ते हैं।

और घर पहुंचते ही एक साथ दो शव, वो भी उसके भाई के देखते ही संजू चीखते हुए रोने लगती है । बगल में बैठी मां जो अब सदमे में जाने से पागल हो चुकी थी। संजू बस शवों को गले लगाते रोते हो जा रही थी।"भैया आप मुझे क्यों छोड़कर चले गए? क्यू भैया क्यों?" प्रीति के भी आंसू गिरने लगे थे। पर वो संजू को भी संभाल रही थी।

अब गांव वाले शवों को उठाने लगते है। और महिलाओं से कहते हैं की संजू को संभाले।

"कहां ले जा रहे हो मेरे भाईयों को" ,"मैं कहीं नहीं जाने दूंगी अपने भैया को।

इतना कहना ही था की संजू की मां भी एकदम से बैठे बैठे गिर जाती है। औरते जल्दी से संजू की मां की तरफ जाती है।

पर अफसोस संजू की मां भी उसे अब छोड़ चुकी थी।

ये देख संजू एकदम से बदहवाश हो जाती है।

प्रीति भी एकदम से जमीन में बैठ जाती है।उससे पहले वो भी कुछ सोच पाती। पर उसने भी शायद जिंदगी का सबसे दर्दनाक पल देख लिया था।

कुछ घंटों में ही संजू की पूरी दुनिया और जिंदगी ही उजड़ गई थी।

अब जल्दी से उसकी मां की अंतिम यात्रा की तैयारी की जाती है।

अब समय आ गया था एक ही परिवार के एक साथ तीन शवों का उठना।

गांव के पुरुष,महिलाओं से संजू को संभालने की बात करते हुए तीनों शवों को उठाने लगते हैं।

संजू कहती है "मुझे भी ले चलो"

गांव वाले कहते है नहीं लड़की नहीं जा सकती ।

अपशगुन होता है।

संजू कहती है। ये मेरा परिवार है। जो अब उजड़ चुका है। क्या इससे बड़ा भी कुछ अपशगुन हो सकता है।

अगर आप लोगों को लगता है की आपके लिए हो सकता है ।।अपशगुन । तो आप लोग अपने अपने घर जा सकते हैं।

ऐसा कहते हुए संजू एक शव को कंधा देने लगती है।

गांव वाले भी आत्मविभोर होकर संजू को ले ही जाते है। प्रीति भी उनके साथ चल देती है।

 किसी की जिंदगी में इससे भयानक पल और कुछ नहीं हो सकता। की वो अपने पूरे परिवार की चीता को अग्नि दे।

 घर लौटकर संजू अपने घर को देखती है।

 और उसके सामने सारी परिवार की बाते और भाइयों और मां के चेहरे घूमने लगे थे।

 अब करती भी क्या संजू उसके लिए अब उसका परिवार एक ठूठ सा घर, आंखो में आंसू और जिंदगी भर का दर्द छोड़कर चला गया था।

 संजू प्रीति को गले लगाकर फूट फूट कर रोने लगती है।

 संजू अब पूरी तरह टूट चुकी थी।

 अब वो प्रीति से कहने लगती है "प्रीति तू चली जा कॉलेज,मैं अब नहीं पढ़ना चाहती"

 फिर उसे एकदम से अपने भाइयों से किया वादा याद आता है।

और कहती है"पर मैं ऐसा भी तो नहीं कर सकती"

अब प्रीति को लगने लगा था की संजू सदमे में जा रही है।

और वो ऐसा नहीं चाहती थी।

अब प्रीति उसका अलग अलग तरीकों से मन लगाने और ध्यान भटकाने की कोशिश करती जा रही थी।

प्रीति के लिए भी ये बहुत मुश्किल था।

पर वो अपनी दोस्त को ऐसे नही देखना चाहती थी।

अब वो दिन पर दिन संजू को बातों में लगाके पटरी पर ला रही थी।

तेरहवीं के अगले दिन ही दोनो कॉलेज के लिए निकल जाते हैं।

और ऐसे ही करके प्रीति,संजू को उसके मुश्किल दिनों से निकाल रही थी।

दिन बीत रहे थे। और संजू भी मजबूत हो रही थी।

एक दिन प्रीति संजू को कुछ बड़बड़ाते हुए कुछ समझा रही थी। और संजू उसे जोर से गले लगा लेती है।और कहती है

"मेरे भी बहुत दोस्त थे पर सभी मतलबी और तू।" अब से तू ही मेरी दोस्त मेरी बहन और मेरा परिवार।

और प्रीति भी भरी आंखों से कहती है "हां बाबा हां"।

अब उस बात को महीने हो गए थे।

और अब संजू के दूसरे वर्ष की परीक्षा का समय आ गया था। पर साथ ही कॉलेज की फीस भी जमा करनी थी।

और संजू के पास भी अब पैसे नहीं थे। हर महीने जो पैसे भेजा करते थे वो तो अब इस दुनिया में नहीं थे।

संजू आज अपनी बैंक पासबुक लेकर बैंक जाती है और सोचती है की जितने भी पैसे खाते में होंगे सब निकाल लाऊंगी।

ये बात उसने अब तक प्रीति को नहीं बताई थी।

वो बैंक में कर्मचारी से खाता चेक करने को कहती है तो वो दंग रह जाती है।


उसे पता चलता है की उसके भाइयों ने जाने से पहले सारी पूंजी संजू के खाते में डलवा दी थी।

संजू फीस लायक पैसे लेकर रूम में आती है।और अगले दिन फीस जमा कर परीक्षा देती है।

और इस बार भी वो प्रथम स्थान प्राप्त करती है।

पर इस बार वो किसी को खुशखबरी दे इसके लिए उसके भाई और मां नहीं थी।

वो बस उनकी तस्वीर को देखते हुए कहने लगती है "देखो भैया मैं इस बार भी फर्स्ट आई हूं"

पर एकदम से उसके ध्यान में आता है की

"भैया का मेरे खाते में सारे पैसे डालना"

और एकदम से उसके आंखो के आगे उसके भाइयों के क्षत विक्षत शरीर आ जाते हैं।

और वो फिर सोचने लगती है "भैया का जाने से पहले मेरे खाते में सारे पैसे डालना और उनका इतनी बुरी तरह से एक्सीडेंट एक बार की टक्कर तो नहीं हो सकती"

"और ये कोई संयोग नहीं हो सकता।"

संजू के मन में ऐसे ही कई शंका भरे शब्द घर कर जाते हैं।

और उस रात वो यही सोचते सो जाती है।

दूसरे वर्ष की परीक्षा के बाद कुछ दिनों की छुट्टी पड़ी थी।

तो प्रीति संजू से कहती है।"चल मेरे घर चल।कभी आई भी नहीं है। छुट्टी के अभी दिन बचे हैं".

संजू कहती है "नहीं यार अभी नहीं ।" "फिर कभी"

आऊंगी।

क्योंकि वो चाहती थी कि जो उसके मन में संदेह है । उसका वो हल निकाल सके। जो उसके लिए जरूरी के साथ भावनात्मक भी था।

पर प्रीति की ज़िद जीत ही जाती है। और प्रीति उसे अपने घर ले जाने के लिए मना ही लेती है।

और अगले दिन दोनों निकल जाते है प्रीति के घर की तरफ।

घर पहुंचकर दोनो का बड़े ही प्यार से स्वागत किया जाता है।

प्रीति के घर में उसके परिवार को देखकर अपने परिवार की याद आ जाती है।प्रीति जब अपने परिवार को कॉलेज की बाते हंसते हुए बता रही थी तो उसका परिवार हंसते हुए प्रीति की मज़ाक बनाते हुए प्रतिक्रिया दे रहा था।

संजू भी ये सब देख मंद मंद मुस्कुरा रही थी। और अंदर भावुक हो रही थी।

और संजू उनसे वाशरूम कहां है पूछकर वाशरूम चली जाती है।

प्रीति की मां संजू के पीछे वाशरूम जाती है तो देखती है की संजू आईने में देखकर रो रही है।

प्रीति का परिवार भी संजू की आपबीती जानते थे।

संजू को रोता देख,प्रीति की मां समझ जाती है कि उसे अपने परिवार की याद आ रही है।

"क्या हुआ बेटा? आप क्यों रो रहे हो?"

"कुछ नहीं आंटी" "बस आप लोगों को देखकर मुझे अपने परिवार की याद आ गई थी।"

तो संजू की मां कहती है।"बेटा। होनी को कोई नहीं टाल सकता।"

और वैसे भी तुम्हारा परिवार तुम्हारी यादों में और उनके सपने तुम्हारे दिल में जिंदा हैं।"

"जो हो गया वो तुम्हारे हाथ में नहीं था पर अपने परिवार के सपने पूरे करना। ये तुम्हारे हाथ में है।"

संजू हल्की आवाज में कहती है " जी"।

प्रीति की मां कहती है "चलो खाना भी पक गया है आओ फिर खा लो। ठंडा हो जाएगा।"

और सब खाना खाने टेबल में पहुंच जाते हैं।

प्रीति,प्रीति का छोटा भाई(जो अभी क्रिकेट खेलकर आया होता है।) सब के सब खाना खाने लगते हैं।

प्रीति संजू से अपने भाई का परिचय कराती है।

और सब हंसते हुए खाना खाते हैं।

और ऐसे ही हंसते खेलते,प्रीति के परिवार के प्यार के साथ संजू की छुट्टी बीत रही थी।

प्रीति का परिवार भी संजू को घर की बेटी की तरह ही प्यार करता था।

और ऐसी ही खुशी के बीच संजू के ध्यान से उसका संदेह भी निकल जाता है।

अब समय आ जाता है कॉलेज की तरफ दोबारा प्रस्थान करने का।

सारी तैयारियां पूरी करने के बाद सुबह का नाश्ता करके दोनों परिवार से प्रेमपूर्वक विदा लेकर निकल पड़ते हैं कॉलेज की तरफ।

संजू प्रीति के घर से कई प्यारी यादें लेकर जा रही थी।

दोनों को पहुंचने में शाम हो जाती है। दोनो कॉलेज पहुंचकर 

तरोताजा होकर निकल जाते है कॉलेज परिसर की ओर टहलने। और जिंदगी के हसीन लम्हे बताने लगते है एक दूसरे को।

कैंटीन से रात का खाना खाकर दोनों कमरे में पहुंचते हैं। 

और ज्यादा थके होने से दोनों जल्दी सो जाते हैं।

और अगले दिन शुरू हो जाता है उनका तीसरा वर्ष।

और इस वर्ष की फीस के लिए जब संजू बैंक पासबुक निकालने जाती है। तो उसके दिमाग में वही संदेह घर कर जाता है। और इस वर्ष की फीस और थोड़े खर्च लायक पैसे निकालकर आ जाती है।

और एक हफ्ते बाद वो अपने गांव दोबारा जाने का मन बनाती है।

और प्रीति से कहती है "मैं गांव जा रही हूं 2 3 दिन के लिए।

प्रीति कहती है "क्यूं?"

तो संजू कहती है "मेरी मौसी के लड़के का यज्ञोपवीत है। अभी थोड़ी देर पहले फोन आया था। 2 3 दिन में पक्का आ जाऊंगी।"

प्रीति कहती है" चल मैं भी चलती हूं"

संजू कैसे न कैसे कोई बहाना बनाकर प्रीति को कॉलेज रुकने के लिए मना लेती है।

और संजू निकल लेती है गांव की ओर।

और मन ही मन प्रीति से माफी मांगती है झूठ बोलने के लिए। क्योंकि उसकी कोई मौसी ही नहीं होती है।और उसने गांव जाने का असली कारण नहीं बताया था।

और संजू पहुंच जाती है सीधे अपने घर। घर कोई इंसान न होने पर बंजर सा पड़ गया था।

संजू घर पहुंचते ही घर की सफाई में जुट जाती है।

और थोड़ी देर में संजू के पड़ोसी भी उसकी आने की खबर से उसके घर आने लगते है। और संजू के हालचाल,उसके आने का पूछने लगते हैं।

संजू कहती " कॉलेज की छुट्टी पड़ी थी,घर की बहुत याद आ रही थी,इसलिए सोचा कुछ दिन के लिए आ जाऊं"।

पड़ोसी कहते हैं " तेरी दोस्त नहीं आई?"

"वो अपने घर गई है।" संजू कहती है।

और ऐसे ही सवाल जवाब से संजू ने भी घर की सफाई कर ली थी। रात का खाना भी पड़ोस से आ गया था संजू के लिए। और संजू से उनके वही सोने के लिए कहते है। संजू कहती है "नहीं। मैं अपने घर में ही सोऊंगी"।

और संजू अकेली ही अपने वीरान घर में सो जाती है।

और आधी रात में संजू को अचानक से सपना आता है जिसमें उसके भाई उससे कह रहे होते है "संजू । संजू। हमें मारा गया है। हमें मारा गया है।" और संजू की नींद अचानक से खुल जाती है। और वो पूरी रात नहीं सो पाती।

.......


संजू के मन में ऐसे ही कई शंका भरे शब्द घर कर जाते हैं।

और उस रात वो यही सोचते सो जाती है।

दूसरे वर्ष की परीक्षा के बाद कुछ दिनों की छुट्टी पड़ी थी।

तो प्रीति संजू से कहती है।"चल मेरे घर चल।कभी आई भी नहीं है। छुट्टी के अभी दिन बचे हैं".

संजू कहती है "नहीं यार अभी नहीं ।" "फिर कभी"

आऊंगी।

क्योंकि वो चाहती थी कि जो उसके मन में संदेह है । उसका वो हल निकाल सके। जो उसके लिए जरूरी के साथ भावनात्मक भी था।

पर प्रीति की ज़िद जीत ही जाती है। और प्रीति उसे अपने घर ले जाने के लिए मना ही लेती है।

और अगले दिन दोनों निकल जाते है प्रीति के घर की तरफ।

घर पहुंचकर दोनो का बड़े ही प्यार से स्वागत किया जाता है।

प्रीति के घर में उसके परिवार को देखकर अपने परिवार की याद आ जाती है।प्रीति जब अपने परिवार को कॉलेज की बाते हंसते हुए बता रही थी तो उसका परिवार हंसते हुए प्रीति की मज़ाक बनाते हुए प्रतिक्रिया दे रहा था।

संजू भी ये सब देख मंद मंद मुस्कुरा रही थी। और अंदर  भावुक हो रही थी।

और संजू उनसे वाशरूम कहां है पूछकर वाशरूम चली जाती है।

प्रीति की मां संजू के पीछे वाशरूम जाती है तो देखती है की संजू आईने में देखकर रो रही है।

प्रीति का परिवार भी संजू की आपबीती जानते थे।

संजू को रोता देख,प्रीति की मां समझ जाती है कि उसे अपने परिवार की याद आ रही है।

"क्या हुआ बेटा? आप क्यों रो रहे हो?"

"कुछ नहीं आंटी" "बस आप लोगों को देखकर मुझे अपने परिवार की याद आ गई थी।"

तो संजू की मां कहती है।"बेटा। होनी को कोई नहीं टाल सकता।"

और वैसे भी तुम्हारा परिवार तुम्हारी यादों में और उनके सपने तुम्हारे दिल में जिंदा हैं।"

"जो हो गया वो तुम्हारे हाथ में नहीं था पर अपने परिवार के सपने पूरे करना। ये तुम्हारे हाथ में है।"

संजू हल्की आवाज में कहती है " जी"।

प्रीति की मां कहती है "चलो खाना भी पक गया है आओ फिर खा लो। ठंडा हो जाएगा।"

और सब खाना खाने टेबल में पहुंच जाते हैं।

प्रीति,प्रीति का छोटा भाई(जो अभी क्रिकेट खेलकर आया होता है।) सब के सब खाना खाने लगते हैं।

प्रीति संजू से अपने भाई का परिचय कराती है।

और सब हंसते हुए खाना खाते हैं।

और ऐसे ही हंसते खेलते,प्रीति के परिवार के प्यार के साथ संजू की छुट्टी बीत रही थी।

प्रीति का परिवार भी संजू को घर की बेटी की तरह ही प्यार करता था।

और ऐसी ही खुशी के बीच संजू के ध्यान से उसका संदेह भी निकल जाता है।

अब समय आ जाता है कॉलेज की तरफ दोबारा प्रस्थान करने का।

सारी तैयारियां पूरी करने के बाद सुबह का नाश्ता करके दोनों परिवार से प्रेमपूर्वक विदा लेकर निकल पड़ते हैं कॉलेज की तरफ।

संजू प्रीति के घर से कई प्यारी यादें लेकर जा रही थी।

दोनों को पहुंचने में शाम हो जाती है। दोनो कॉलेज पहुंचकर 

तरोताजा होकर निकल जाते है कॉलेज परिसर की ओर टहलने। और जिंदगी के हसीन लम्हे बताने लगते है एक दूसरे को।

कैंटीन से रात का खाना खाकर दोनों कमरे में पहुंचते हैं। 

और ज्यादा थके होने से दोनों जल्दी सो जाते हैं।

और अगले दिन शुरू हो जाता है उनका तीसरा वर्ष।

और इस वर्ष की फीस के लिए जब संजू  बैंक पासबुक निकालने जाती है। तो उसके दिमाग में वही संदेह घर कर जाता है। और इस वर्ष की फीस और थोड़े खर्च लायक पैसे निकालकर आ जाती है।

और एक हफ्ते बाद वो अपने गांव दोबारा जाने का मन बनाती है।

और प्रीति से कहती है "मैं गांव जा रही हूं hu 2 3 दिन के लिए।

प्रीति कहती है "क्यूं?"

तो संजू कहती है "मेरी मौसी के लड़के का यज्ञोपवीत है। अभी थोड़ी देर पहले फोन आया था। 2 3 दिन में पक्का आ जाऊंगी।"

प्रीति कहती है" चल मैं भी चलती हूं"

संजू कैसे न कैसे कोई बहाना बनाकर प्रीति को कॉलेज रुकने के लिए मना लेती है।

और संजू निकल लेती है गांव की ओर।

और मन ही मन प्रीति से माफी मांगती है झूठ बोलने के लिए। क्योंकि उसकी कोई मौसी ही नहीं होती है।और उसने गांव जाने का असली कारण नहीं बताया था।

और संजू पहुंच जाती है सीधे अपने घर। घर कोई इंसान न होने पर बंजर सा पड़ गया था।

संजू घर पहुंचते ही घर की सफाई में जुट जाती है।

और थोड़ी देर में संजू के पड़ोसी भी उसकी आने की खबर से उसके घर आने लगते है। और संजू के हालचाल,उसके आने का पूछने लगते हैं।

संजू कहती " कॉलेज की छुट्टी पड़ी थी,घर की बहुत याद आ रही थी,इसलिए सोचा कुछ दिन के लिए आ जाऊं"।

पड़ोसी कहते हैं " तेरी दोस्त नहीं आई?"

"वो अपने घर गई है।" संजू कहती है।

और ऐसे ही सवाल जवाब से संजू ने भी घर की सफाई कर ली थी। रात का खाना भी पड़ोस से आ गया था संजू के लिए। और संजू से उनके वही सोने के लिए कहते है। संजू कहती है "नहीं। मैं अपने घर में ही सोऊंगी"।

और संजू अकेली ही अपने वीरान घर में सो जाती है।

और आधी रात में संजू को अचानक से सपना आता है जिसमें उसके भाई उससे कह रहे होते है "संजू । संजू। हमें मारा गया है। हमें मारा गया है।" और संजू की नींद अचानक से खुल जाती है। और वो पूरी रात नहीं सो पाती।

..........................

संजू को ये सपना आया था। जिसमे उसके भाई कह रहे थे।

"संजू","संजू" "हमारे साथ बहुत गलत हुआ है"। और इसके बाद ही संजू की नींद खुल गई थी।

संजू को भी अब लगने लगा था कि शायद सच में उसके भाइयों के साथ कुछ न कुछ गलत जरूर हुआ है।

और वो उस सुबह पड़ोस से आए नाश्ते को आधा अधूरा खाकर निकल पड़ती है।

कुछ अलग उम्मीद से कुछ अलग खोजने।

वो उसी जगह पर पूछताछ करती हुई जाती है। जहां पर उसके भाइयों का एक्सीडेंट हुआ था।


उस जगह में पहुंचने से पहले वो थोड़ी उदास सी हो जाती है। और सोचती है "क्या मैं उस जगह को देख पाऊंगी?"

पर खुद को हिम्मत देते हुए सोचती है। "पर मुझे ऐसा करना पड़ेगा।"

और संजू पहुंच ही जाती है उसी जगह पर।

एक तरह से संजू बचकानी और नादानी भरी हरकतें कर रही थी।

क्योंकि उस घटना को करीब एक वर्ष हो गया था।

और उस रास्ते में उसके बाद भी कई लोग गुज़रे होंगे,कई वाहन गुजरे होंगे। तो इस तरह से संजू को कुछ मिलने से तो 

रहा था। और होता भी ऐसा ही है।

संजू वहां पर कुछ नहीं ढूंढ पाती।

और बहुत देर एक तरह से खाली मेहनत करके थक ही जाती है। और उतरा हुआ मुंह लेकर लौट आती है।

और घर  आकर सोचने लगती है शायद ये सब संयोग हो। और अगले दिन लौटने का मन बना लेती है।

पर फिर एकदम से एक और सवाल उसके अंदर बोल रहा होता है"क्या सच में ये संयोग ही होगा।" इस बार उसका अंतरमन भी शायद हारकर कहता है। "हां"।

और अगले दिन ही वो चली जाती है कॉलेज ।

कॉलेज पहुंचने पर प्रीति से मिलने पर प्रीति पूछती है "कैसा 

रहा फिर तेरी मौसी के वहां सारा प्रोग्राम?" 

संजू कहती है "बहुत बढ़िया रहा।"

और संजू प्रीति से कहती है "तूने लंच कर लिया"

प्रीति कहती है "नहीं" संजू कहती है "चल फिर मुझे बहुत तेज भूख लग रही है" क्योंकि संजू इसलिए भी इतनी तेज ये सब कर रही थी। ताकि प्रीति को उसके ऊपर कोई शक नहीं हो।

क्योंकि वो उससे झूठ बोलके जो गई थी।

और संजू कम से कम प्रीति से एक छोटा सच छुपाने में कामयाब जरूर हो जाती है।

और इस तरह से संजू के मन से भी वो ख्याल अब निकल ही जाता है।

अब संजू सिर्फ उन बातों को संयोग मानकर भूल रही थी। अब वो सिर्फ पढ़ाई में ही अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहती थी। और ऐसे ही चलते शुरू हो जाता है। कॉलेज का तीसरा वर्ष।

कहते हैं ना कि खरबूजे को देखकर खरबूजा भी रंग बदलता है।

इस वर्ष प्रीति को भी संजू को देखकर पढ़ने की धुन लग गई थी।

और दोनों इस वर्ष मन लगाके पढ़ाई कर रहे थे।

एक दिन संजू देखती है की प्रीति आज सुबह से कमरे पर नहीं है।

और उस समय तो संजू कक्षा लेने चली जाती है।

कक्षा में भी बहुत देर देखने पर भी प्रीति नहीं आती है।

तो संजू को चिंता होने लगती है।

और संजू कक्षाएं लेने के बाद तुरंत कमरे पर पहुंचती है और दिखती है प्रीति सो रही होती है।

तब जाके संजू की सांस में सांस आती है। थोड़ी देर में प्रीति 

उठती है।तो संजू पूछती है "कहां गई थी रे बिना कुछ बोल"

प्रीति कहती है "बस बाहर तक गई थी।"

प्रीति का मुंह पूरी तरह उतरा था और संजू को उसकी सक्ल देखके लग रहा था कि प्रीति बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस कर रही थी।

तो संजू समझ जाती है की प्रीति उससे कुछ तो छिपा रही है।

और संजू उससे पूछने लगती है "सच सच बता क्या हुआ?"

प्रीति कहती है "कुछ नहीं"

संजू को यकीन हो जाता है की प्रीति उससे कुछ न कुछ तो छिपा रही है। 

अब संजू उससे भावनात्मक रूप से प्रश्न पूछने लगती है।

और थोड़ी देर मससक्त के बाद प्रीति रोते हुए कहने लगती है "उसने मुझे धोखा दिया"

संजू कहती है "उसने किसने? क्या कह रही है?"

प्रीति कहती है "मैं आज एबॉर्शन करा के आ रही हूं।"

संजू एकदम से अवाक रह जाती है।

"क्या कह रही है?" संजू पूछती है।

 प्रीति कहती है "हां सच कह रही हूं। राहुल ने मुझे धोखा दिया है।"

 संजू कहती है" मुझे कुछ समझ नही आ रहा है अच्छे से समझा मुझे । और ये राहुल कौन है।"

प्रीति कहती है "हां"

"बताती हूं सब"

"राहुल हमसे 2 साल सीनियर है और इस साल वो कॉलेज पास करके चला गया है। वो मुझसे और मैं उससे पहले साल से ही प्यार करते थे। जब 3 महीने पहले तू अपनी मौसी के वहां गई थी तब वो मेरे कमरे में आया था। और मुझे अपनी बातों में फसाकर अपनी काली करतूतों को अंजाम देकर चला गया। "

संजू कहती है "तूने पहले मुझे क्यों नही बताया"

"अरे मैं डर जाती थी।"

संजू पूछती है "तूने अपने घर में बताया "

प्रीति कहती है "कभी नहीं अगर मेरे घर में पता चलेगा तो मेरे घर में मेरे परिजन शर्म से खुद ही आत्महत्या कर लेंगे।

"तो तूने पुलिस को क्यूं नहीं बताया?" संजू पूछती है।

प्रीति कहती है "कोई फायदा नहीं है उसके पापा विधायक के साथ साथ एक अच्छे बिजनेस मैन भी हैं तो हमारी कहीं से कहीं तक नही चल पाएगी।"

इससे संजू को और भी ज्यादा गुस्सा आ जाता है।

पहले तो वो प्रीति को गजब जी भरकर डांटती है। फिर गले लगाकर कहती है हम मिलके राहुल को मजा चखाएंगे।

प्रीति कहती है"क्या करेंगे हम दोनो?"

संजू कहती है "तू बस देखती जा?"

"जैसे तुझे उसने फसाया है ना वैसे ही हम उसे फसाएंगे"

"जो खेल उसने तेरे साथ खेला है ना वही खेल हम उसके साथ खेलेंगे।"

प्रीति कहती है "पर हम उस तक पहुंचेंगे कैसे?" 

संजू कहती है " बस थोड़ा इंतजार कर"

"हमारे फाइनल एग्जाम होने वाले हैं।"

तब तक मन लगाके पढ़ाई करते है।"

और तब तक राहुल के लिए ये मामला बहुत हद तक भूलने लायक हो गया होगा।

और इस तरह दोनों लगन से पढ़ाई में डूब जाते हैं। और अंतिम वर्ष की परीक्षा में संजू का परिणाम उत्कृष्ट रहता है। पर साथ ही प्रीति भी इस बार बहुत शानदार प्रदर्शन करती है। कुछ दिन बाद दोनों को मिल जाती है डिग्री।।

और दोनों अपने अपने घर चले जाते हैं। और एक दूसरे से ठीक एक महीने बाद एक साथ मिलने को कहते हैं।

संजू भी अब घर पहुंचकर घर की साफ सफाई करके, अपने परिवार की तस्वीर देखकेे उनसे बात करने लगती है।और सो जाती है।








 


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