क्यों रानी बनी भिखारी ?
क्यों रानी बनी भिखारी ?
एक बार की बात है, एक राजा का नाम था राजा उदयभान। उसके साथ एक रानी भी रहती थी। उसका नाम था, मधु। वो बहुत सुंदर थी। राजा को रानी मधु बहुत पसंद थीं।
तो 1 दिन रानी ने कहा कि मैं यमुना नदी में नहाने जाऊंगी। तब सर्दियों का मौसम चल रहा था। सबके मना करने के बावजूद,वह अपनी सहेलियों के साथ नदी में नहाने के लिए चली गई। नदी का पानी ठंडा था। उसे ठंड लग रही थी। उसने अपने दोस्तों और सेविकाओं को बोला कि," कुछ भी करो और आग जलाने का प्रबंध करो।"
वे लोग घने जंगल में लकड़ियां ढूंढने जा ही रहे थे कि रानी मधु की नजर वहां पर बनी झोपड़ियों पर पड़ी। उसने कहा रुको! इन झोपड़ियों को ही जला दो।
उसकी सहेलियों और सेविकाओं ने उसे बहुत मना किया पर वह नहीं मानी। उसने कहा यदि तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं तुम्हें दंड दूंगी। दंड के भय से अंततः सभी को वह झोपड़ियां जलानी पड़ीं। धीरे-धीरे सभी झाड़ियों में आग लग गई।
वहां पर रहने वाले लोग तो जैसे-तैसे बचकर रोते-रोते राजा के पास शिकायत लेकर गए। राजा रानी से गुस्सा हो गए। जब रानी वापस आई तो राजा उदयभान ने उनसे कहा," क्या तुमने इन की झोपडी जलाई?" रानी ने कहा ,"हां" राजा ने कहा," तुमने इनका सब को जला दिया अब यह कैसे रहेंगे ?कैसे खाएंगे ?" मधु का सिर शर्म से झुक गया। फिर राजा उदय भान ने कहा," अब तुम अगले 1 साल तक दरवाजे से दरवाजे पर जाओगी और रुपए इकट्ठे करके उनकी झोपड़ी बनाओगी। तुम अपने सारे आलीशान गहने और कपड़े त्याग दो और आज से अगले एक साल तक तुम भिखारी की तरह रहोगी।"
रानी मधु के मना करने पर भी राजा अपने निश्चय पर टिके रहे और रानी को भिखारियों की तरह धक्के देकर बाहर निकाल दिया। रानी को बहुत शर्म आई। एक साल बाद, रानी राजा के पास गई और क्षमा मांगी और उनके लिए झोपड़िया भी बनवा दी।और राजा ने बोला कि आज के बाद तुम किसी भी भिखारी को परेशान नहीं करोगी और उसे महल में रख लिया।