Anoop Tiwari

Inspirational

4.6  

Anoop Tiwari

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कुछ गर्मियों की ऋतुओं से बातें

कुछ गर्मियों की ऋतुओं से बातें

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यह समय ऐसे ही चलता रहता है। क्यो की कोई ध्यान दे या न दे और इसके साथ मौसम भी बदलता रहता है। साल भर के अंतर छ ऋतुओं में एक मौसम ग्रीष्मऋतु का आता। गर्मी का मौसम आते ही यह लोगो से बातें करने लगता है। बात कुछ समय पुरानी है एक छोटे से गाओं में एक परिवार रहा करता था। उस घर के मुकिया का रवि इनके तीन बेटे थे। रवि के दो बेटे गाओ पिताजी के साथ जमीन करते थे। उनके लिए सभी मौसम एक थे। उनकी दोस्ती गर्मी सर्दी सभी से थी। उनके लिए सभी एक जैसा न कुछ इस तरफ न कुछ उस तरफ उनका तीसरा लड़का बाहर रहता था। उसकी उम्र कुछ ज्यादा नही थी वह बचपन से ही अपने माँ पिता से दूर सहर रहता। एक दिन रवि का तीसरा लड़का गर्मियों की छुटियो में गाओ आया घर पर सब उसे देखकर खुश हुए उसने अपनी माँ से आते ही पूछा माँ पिता जी कहा है तोह उसकी माँ ने कहा पिताजी जमीन पर गए है। साम होते होते बह पिताजी को देखता रहा। जब उसके पिताजी आये तो उसने पिताजी से पूछा पिताजी आप इतनी तेज गर्मी में काम करके आये हो आप को गर्मी नही लगती तोह उसके बाऊ जी जबाब दिया हमारी गर्मी से दोस्ती है हम उससे बातें करते है। उनके लड़के ने सोचा पिताजी मजे ले रहे। पर उनके बच्चे का नाम साम को क्या पता किसान के लिए गर्मी ,सर्दी, बर्षा , आधी ,तूफान उनके लिए एक जैसा है। किसान कोई समस्या आये तो बह भगवान को पुकारता है। यह बात साम कहा जाने रात होते साम सो गया और अगली सुबह उठकर अपनी माँ से बोला में अपने दोस्तों से मिलने जा रहा हु जाओ पर जल्दी आना जब वह बड़े दिनों बाद गाओ में निकला उसने अपने दोस्तों से मुलाकात की सभी खुश हुए गर्मियों की छुटियो में साम घर आया। उसके दोस्तो ने पूछा अब तू रुककर जाएगा बो बोला हा सभी दोस्तों ने मिलकर प्लान बनाया क्या खेला जाये साम बोला मैच खेलते है। साम सुबह का घर से निकला था। उसे मैच में समय लग रहा था और धूप होने लगी उसके माथे से पसीना टपकने लगा तब उसके दिमाग मे एक बात उसके पिताजी ने उससे कही थी। हम तो गर्मियों से बातें करते है। साम ने सभी लड़को की तरफ देखा सभी खेलने में मगन है।

उनको गर्मी लग रही है पर उनपर गर्मी का कोई असर नही था। साम सोच रहा था मानो इनकी गर्मियों से पुराना याराना हो और बही साम गर्मी से बिचलित हो रहा था। जैसे साम की गर्मी से बनती न हो इसी बिषय में साम अपने दोस्तों से पूछता है तुम लोगो को गर्मी नही लग रही उसका दोस्त उससे कहता है सामबाबू हमारी गर्मियों से वार्तातालाब होबे तब साम अपनी पिताजी की कही बात को याद करता है। और अपने घर की ओर चला जाता है जब बह घर पहुचता तो उसके पिताजी घर आ चुके होते है। और साम घर मे प्रवेश करता तब उसकी माँ उससे कहती है बेटा हाथ पैर धुल लो में खाना लगती हु तब साम के बापू जी साम से एक सवाल करते है। कैसी लगी गर्मी कुछ कहा गर्मी ने साम चुप हो गया। और खाना खाके चला गया। उसी सायंकाल साम ने अपनी माँ से एक बात पूछी माँ पिताजी यह क्यों बोलते है। मेरी गर्मियों से बातें होती है। और मेरा दोस्त भी बोला ऐसा क्यों तोह उसकी माँ ने उससे कहा तुम सब छोड़ो गर्मियों की छुट्टीया बनाओ उसकी माँ इतना कहकर बात टाल दी और साम सोचने में सिटी जाकर अपने दोस्तों को बताऊंगा जब बे मुझसे पूछेगें साम तुमने गर्मियों की छुट्टियां कैसी बनाई तो में उन्हें क्या कहुगा मेरे पिताजी कहते है। हमारी तो गर्मियों से दोस्ती है हम तो गर्मियों से बातें करते है। और मेरे गाँव के दोस्त भी यही बोलते है। तो मेरी यह बात सुनकर मेरे सिटी के दोस्त मुझपर हसेंगे। यह बात सोच साम डर गया क्यो की बह अभी इतना बड़ा नही था। जो हर बात समझ सके किन्तु उसके दिमाग मे उसके दोस्त की बात और पिताजी की बात थी। वह सोच रहा था। गर्मियों में हम नानियों के घर जाते है और कही घूम लेते है और गर्मियां इतनी तेज होती है। कि घरबाले गर्मियों में घर से निकलने नही देते कही लू न लग जाये या कही बीमार न पड़ जाये उसने सोचा में अपने सिटी के दोस्त से पुछूगा तो बह बोलेगा में मामा के घर गया था।

फिर साम ने अपने गांव के दोस्त से पूछा तुम सभी बोलते हो हुम् गर्मियों से बातें करते है।कैसे करते हो में यह बात कैसे अपने सिटी के दोस्तो को बताऊंगा। तब उसके दोस्त ने कहा सही बात है सिटी के बच्चों को गर्मियों में घूमना फिर चाहिए वो क्या जाने गर्मियों के मजा ओर तू भी क्या जाने साम के दोस्त ने साम से पूछा अगर तेरे पास समय हो तो मेरे साथ चल तुझे बताऊ तेरे पिताजी गर्मियों से तेरे पिताजी कैसे बातें करते है। साम यह जानने के लिए उत्सुक हो गया। ओर सोचने लगा यदि में जान जाउगा गर्मियों से बातें कैसे करते है तो में बड़ी आसानी से अपने सिटी के दोस्तो के समझा पाऊँगा ओर सभी मुझे ओर हुशियार समझेगे क्यों कि सभी लोग एक ही बातें बताते है हम नानी के घर गए या कहीं घूमने हमने यह खाया पर में उन्हें कुछ नया बताउगा जिससे बह बच्चे अपने ममी पापा को बताएंगे ओर उनके ममी पापा समझेगे ऐसा भी होता है। और यह सोचते सोचते वह अपने दोस्त के साथ चल दिया। उसके दोस्त ने सबसे पहले उसे गांव का चक्कर लग बाया ओर साम ने गांव में देखा चारो तरफ लोग अपने काम मे मगन है।ओर उसने कई ऐसे लोगो को देखा सर पर लकड़ी का बोझ रखे हुए थे और कई लोग अपने जानबरो के लिए हरीघास लेकर रहे है और सभी ऐसी भरी गर्मी में ओर पसीने में लितर्पितर तब साम ने सोचा में तो उसदिन थोड़ी गर्मी में पागल हो गया था। और साम सोचने लगा पिताजी कहते है।

उस बात में कुछ तो है। और इसी के साथ साम अपने दोस्त के साथ चलते चलते जमीन पर पहुँच गया। तब उसके दोस्त ने साम से कहा देख अपने पिताजी को वो कैसे कड़कती गर्मी में जमीन पर काम कर रहे है। और उसके दोस्त ने ओर लोगो को काम करते हुए दिखाया तब देखर साम बोला यह गर्मी से कैसे बात करते है। यह बता तो उसका दोस्त साम से बोला तू अभी नही समझा तो तो उसके दोस्त ने बोला तुम क्या जानो सामबाबू मजबूरी तब साम सुनकर बोला तू मुझे सीधे सीधे समझा कि गर्मियों से बातें कैसे करते है। तब उसका दोस्त बोला अगर जानना है तो तुझे अपने पिताजी के साथ जमीन पर आना होगा। और दोनों दोस्त अपने लौट गए सायंकाल साम अपने पिताजी रवि से कहता है पापा में भी कल जमीन और चलूँगा तब उसके पिता जी कहते है तुमको क्या काम जमीन से आ गया। में आपके साथ काम करूंगा। ओर पता करूँगा आप गर्मियों से कैसे बातें करते हो अच्छा ठीक है तुम कल चलना सुबह हुई साम अपने पिताजी के साथ जमीन पर काम के लिए चल गया। जब वह जमीन पर पहुचा तब उसके पिताजी उससे बोले बताओ साम तुम क्या करोगे साम ने कहा मजबूरी तब उसके पिताजी ने कहा फिर बोलो वो फिर से बोला मजबूरी तब साम पिता रवि ने साम से पूछा तुम्हे यह किसने बताया खेत मे मजबूरी परस्थि के लिए काम करना पड़ता है। तब तुम गर्मियों से बात करोगे बिना इन चीज़ों के तुम गर्मियों से बात नही कर सकते क्या तब साम अपने पिता जी से बोला कल मेने गांव घूमा ओर बहुत कुछ देखा सभी आपकी तरह गर्मियों से बातें करते हुए मुझे महसूस हुये तब भी मेरी समझ नही आया मेने आने दोस्त से पूछा कैसे गर्मियों से बातें होती है तो वो मुझसे बोला तू अभी नही समझा मेने कहा नही तो वह बोला परिस्थि तब मैंने सोचा परिस्थि के जरिये से में गर्मियों से बातें कर सकता हूं। यह बात सुन उसके पिता रवि हश पड़े और साम से बोले चलो तुम एक काम करो खेत मे से छोटी छोटी लकड़ीया निकालो ओर साम यह करने लगा। ओर धूप तेज होने लगी और साम के सिर से पसीना बहने लगा और साम धीरे से बोला है। राम गर्मी ब हयेरेगर्मी ओर अपने हाथो से पसीना पोछने लगा और सूरज की तरफ मुह कर बोला अब तोह थम जाओ तब उसको महसूस हुआ यह कोई क्लास की गर्मी थोड़ी है। जो सांत हो जायेगी। जब उसने सूरज से कहा थोड़ा इदर से उधर हो जाओ और सूरज वैसे भी अपने समय से पूर्व से उत्तर की ओर बढ़ रहा था।

तब कही साम को थोड़ी सी छाया मसूस हुई और सुबह से साम होने आई साम ओर उसके पिता दोनो खेत पर थे सायंकाल होते होते सूरज भी ढलने लगा और साम ने दिन भर काम के साथ खूब गर्मियों से बातें की सायंकाल हुआ दोनो लोग घर को चल दिये और राश्ते में साम के पिताजी ने साम से पूछा पता चला गर्मियों से कैसे बातें करते हैं। यह सुन साम सांत हो गया तब उसके पिताजी ने जवाब दिया बेटा गर्मियों से बात का मतलब होता है। तुम क्या समझते हो हमे क्या गर्मी नही लगतिगर्मी तोह सभी के लिए एक जैसे है। गर्मियों से बास्त करने का मतलब ऐसी गर्मियों में भी अपना काम करना और सूरज से कहना हये रे सूरज ओर गर्मी से कहना कैसी गर्मिदिन भर सूरज सर के ऊपर से निकाल देना तब कही जाकर दो टाइम का कहना कहा पाना तुमने जो कल गांव में देखा लोग मेहनत करते है। और दिन भर गर्मी काम करते है तब कही समन्जोड पाते है। बीटा तुम एक चीज से अनुमान लगा लो सूरज सुबह निकला कभी धूप भी हुई तो कभी चाओ पर सूरज अपने टाइम से छिपा यदि वो चाहता तो वह कभी भी छिप सकता था। पर उसने ऐसा किया नही कभी बादल हुए कभी छाया हुई उसके सामने कितनी परितस्थि आई पर बह हिला तो पर छिपा नही वह छिपा तो अपने समय से बेटा ऐसे ही जिंदगी में गर्मियां आएगी जाएगी गर्मियों से बाते भी होंगी और हमे गर्मियों के सूरज से सीख लेनी चाइये परिस्थि आती जाती रहेंगी धूप छाया जैसे सूरज के सामने आती है। बैसे ही हमारे जीवन मे धूप छाया आती गति रहेगी। हमे हमे बिल्कुल गर्मियों के समय के सूरज से सीख लेनी चाइये हमे अपने समय से छिपना चाइये कैसा भी दौर आये गर्मियों के मौसम की तरह हस्ते खेलते घूमते फिरते सूरज से बात करते हुए निजल देना चाहिए।


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