कश्मीरी सेब
कश्मीरी सेब


आज दोपहर जब तलब से बेचैन हो कर श्याम घर से निकला तो उसने बिना गिने दस रुपये के कुछ नोट अपने ज़ेब में दबोचे लिये।घरवालों की न सुनकर बाइक शुरू कर के दोस्त ने बताई हुईं 'छुपी' जगह पर वो सिगरेट लेने के लिए रुक गया।आम दिनों की दाम से डेढ़ गुना पैसे लेकर एक सिगरेट जब 'बंद दुकान' के मालिक ने घर से लाकर उसे दी तो उसे ज्यादा पैसे देकर भी साँस में साँस आने का एहसास हुआ।
श्याम ने बाइक पर लपक के झाड़ियों वाला कोना पकड़ा जहाँ तक किसी पुलिस वाले की नज़र उसपर न पड़े।वही दूर से उसने देखा कि एक मौलवी भरे धूप में शायद सेब की हाथ गाड़ी लिए चौक में पुलिस वालों के साथ खड़ा है।श्याम को उन पुलिस वालों से कुछ डर नहीं था क्योंकि पुलिस वाले तो मौलवी की पूछताछ में मशगूल थे।श्याम ने सिगरेट जलायी और तीस दिन से लगातार चल रहें कर्फ़्यू में जब उसने सिगरेट का धुंआ खिंचा तो मानो उसे जैसे जन्नत का रास्ता मिल गया!एक-दोन कश् के बाद जब उसने चौक की तरफ नज़र डाली,तो पुलिस मौलवी को डंडो से नवाज रही थी।मौलवी की कुछ चींखे श्याम सुन पा रहा था।
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nbsp; कुछ देर बाद वही मौलवी हाथ गाड़ी लिए श्याम खड़ा था उन झाड़ियों की तरफ निकला तो श्याम ने सिगरेट खत्म करके फेंक दी थी।डंडे खाने के बाद मौलवी की बदली हुई चाल श्याम को सर्कस की कोई पेशकश लग रही थी!वो हस पड़ा।जब मौलवी उसके पास से गुज़रने लगा तब श्याम ने उससे पूछा,"क्यों फल-सब्जी को हाथ-मुंह लगाकर आइ हुई महामारी को और ज्यादा बढ़ा रहे हो तुम लोग?यह प्रशासन बड़े ढीठ और संजिदा लोगों की बदौलत अवाम के अच्छे के लिए खड़ा है!और तुम लोग मार खाके फिर वही करोगे ये भी खूब जानता है।अब यह सेब कहा फेंकोगे?" मौलवी ने दर्द से फुरसत लेकर कहा,"बेटे में तो सेब बेचने ही चला था।जब उन्ही में से एक पुलिस वाले ने मुझे इन सेबो को झूठ-मूठ से हाँथ-मुंह-जबान से छूने वाली विडियो निकालनी चाही तो मेरे मना करने पर मुझपे डंडे चले" सहमें हुए श्याम ने जब कहा कि "चाचा यह तो ग़लत है!" मुस्कुराते हुए मौलवी ने कहा,"सेब भी तो हमारी तरह कश्मीरी है बेटे।"
मौलवी चला गया लेकिन अब उस सर्कस वाली पेशकश पर श्याम हंस न सका।