क्रांतिकारी शहादत
क्रांतिकारी शहादत
वो महामानव क्रांतिकारी शहीद, बिरसा, टंट्या, राघोजी, बाबा साहब फुले, शंकरशाह, रघुनाथशाह, सिधू कानू, तिलका मांजी थे। अपना बलिदान जल जमीन जंगल, आत्मसम्मान और सुरक्षा के लिये अपने कौम के लिये दिये थे।
कुर्बानी ऐ उलगुलान था अपनी जल जमीन जंगल और संस्कृति की खातिर। हमारे लिये आज जल जमीन जंगल,आत्मसम्मान, और सुरक्षा के लिये व्यवस्था स्थापित कर गये। फिरंगियों, सामंतवादी, पूंजीवादी,जमीदारों ने की कुनीति की तानाशाही जब
परेशान हुए शोषण, अत्याचार, और दमन से सारे आदिवासी मूलनिवासी इतिहास बने बाद में।
वो दिन कुछ, क्रिमल ट्राइब, डकैत, चोर, और देशद्रोही के आरोप लिये निर्दोष आदिवासी को मारे, नहीं देखा गया इनसे फिरंगियों, सामंतवादी, जमींदारों, और तानाशाही कुनीति के शोषण, अत्याचार, और दमन का दर्द और जल जमीन जंगल आत्मसम्मान और सुरक्षा के अधिकार के लिए उलगुलान कर रहे सारे।
अपने जल जमीन जंगल, आत्मसम्मान सुरक्षा, सामाजिक पहचान, अस्तित्व, अस्मिता, और भावी पीढ़ी की पहचान बचाने और मानव मुक्ति की खातिर उलगुलान के मार्ग पर चल पड़े।
बलिदान हुये महामानव क्रांतिकारी शहीद, बिरसा, टंट्या, राघोजी, बाबा साहब फुले, शंकरशाह, रघुनाथशाह, सिधू कानू, तिलका मांजी।
हमारा वास्तविक इतिहास, सामाजिक पहचान, अस्तित्व, अस्मिता का प्रमाण हमारे लिये इस दुनिया में छोड़ गये।
हम महामानवों, क्रन्तिकारियों का संघर्ष याद कर जुनून, हिम्मत, जोश से हमारा खून उबल उठे उलगुलान की मशाल सीने में जला गये।
वो महामानव क्रांतिकारी शहीद, बिरसा, टंट्या, राघोजी, बाबा साहब फुले, शंकरशाह, रघुनाथशाह, सिधू कानू, तिलका मांजी थे।
अपना बलिदान जल जमीन जंगल, आत्मसम्मान सुरक्षा और अपनी कौम व मुक्ति के लिए दिये थे।
