कोरोना से जंग
कोरोना से जंग


कौन किसी को बाँध सका है ये तो ना नामुमकिन है।
अनुशासन ही शासन है खुद के ही अनुशासन में बध बना ही मुमकिन है।
उबन सी हो गयी है, चुभन सी लगाती है तनहाई घर कि चाहरदिवारी कैद सा लगने लगा है
सब्र का बाँध टूटने लगा है पैमाना नहीं खनकता है मैखाने में जिंदगी का जोश जश्न ख्वाब लगाने लगा है
मज़बूरी है या डर इंसान दोनों से बाहर निकलने को तड़फढाने लगा है
जिंदगी रहेगी तो जश्न के दौर भी बहुत होंगे जहाँ महफूज रहेगा तो महफ़िलों मजलिसों हुश्न इश्क के किस्से और भी होंगे।
मगर कहर कम नहीं है, दहसत का दंश बंद नहीं है संक्रमण का आक्रमण ठहरा नहीं है।
युद्ध जारी है आक्रान्ता के आक्रमण के दौर अभी बाकि है।
अब हर इंसान कि जिम्मेदारी का जंग बाकी है। ।
जंग में घायल मर्ज के मरीज से नफ़रत ना नफ़रत करो, तो मर्ज के मिज़ाज़ से उसके सबाब से।कमबख्त कोरोना के सबाब के करिश्मे को ख़त्म करो।
हर इंसान का ईमान निज़ाम की हिदायत का हथियार ताकत हो।
दिल से दिल का प्यार बना रहे मगर जिस्मानी दूरी जरुरी हो।
साँस से सांस कि दुरी साँस की दुरी ढंके मुहँ नाक करे नमस्कार प्रणाम हाथ मिलान ना कोइ मज़बूरी हो।
भीड़ मत जुटाईए बेमतलब का सड़क, गली, मोहल्लों में गप्पे मत लडाईऐ खुद को महफूज रख औरों की जान बचाईये।
जंग के मैदान के सिपाही खाकी वर्दी के जज्बे को सलाम फरमाईये उनकी कद्र में अपनी शान सौकत को पाइए।
डॉक्टर, नर्स, अस्पताल के मुलाजिम जंग के जाबाज़ है आपकी हिफाज़त के लिये दाव पर लगा राखी अपनी जान है।
जंग के जाबांजों के लिये कुछ न कर सकें तो अपनी इबाददत में दुआ कर जाइए।
इस जंग का सिपाही भी आपका ही है भाई बस इतनी तो समझदारी दिखाईये।
ये जंग एक आफत है अपने आप में बिन बुलाई इंसानियत पर कहर काल है।
आफत के इस दौर में नेक इरादों के इंसान कम से कम बन जाइए।
यही हथियार है इस आफत सी जंग के फतह का जिंदगी के खास खुशी के करिश्मे का जरा इसे दिल से आजमाईये।
एक इंसान दिन रात आपको करता आगाह वह भी ईमान का एक इंसान करता दिल से आपकी परवाह।
नरेंद्र के गुरुर को मत करो शर्म सार बस इतना करो संजीदा, क़ौल से आफत की जंग का करो साफ़।
कोरोना से डरोना हौसलों और हिम्मत नेक नियत के इरादों कि धार से लड़ोना हार जाएगा कोरोना भाग जाएगा कोरोना।
अपने अजीम मुल्क कि बढेगी शान जंग के फतेह का मुल्क दुनिया में होगी वाह वाह प्यारा भारत दुनिया में होगा बेताज बादशाह।