baburaj jain

Drama

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कोरोना में छिपा गणित

कोरोना में छिपा गणित

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एक देश में एक राजा रहता था। वह न्यायवादी, पराक्रमी और सर्वोच्च शासक था। वह बेहतरीन ढंग से शासन चला रहा था। उसके राज्य में जनता बहुत खुश थी। एक बार उसके राज्य के सभी मंडलों में चर्मरोग अपना पंख पसार रहा था। जिसके चपेट में आकर लोग मर रहे थे। सारी जनता बहुत परेशान थी। यह राज्य की एक बड़ी समस्या के रूप में उबरकर आई। राजा बहुत परेशान होकर अपने मंत्रियों और वैद्यों की मदद से इस समस्या को हल करने की कोशिश की परंतु समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई थी। अंत में राजा ने एक निर्णय लिया उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में यह घोषणा कर दी जाए कि जो इस समस्या को हल करेगा उसे मनचाहा इनाम दिया जाएगा। यह खबर सुनने के बाद रामपुर गाँव में रहने वाला रामन्ना नामक वैद्य दरबार में आया और उसने बड़े सूझबूझ और अथक परिश्रम के बाद राज्य की समस्या का समाधान कर दिया।

राजा बहुत खुश हुआ। वह वैद्य को देखकर बोला, "तुमने जनता की समस्या का समाधान कर दिया है, अब बताओ तुम्हें क्या चाहिए ?"

महाराज ! सबसे पहले एक बड़ा शतरंज का बोर्ड बनवाइए। राजा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करना चाहता है ? फिर भी उन्होंने एक बड़े आकार में शतरंज बोर्ड बनवाया।

राजा ने उस वैद्य को देखकर बोला, “अब बताओ, बोर्ड बन गया आगे क्या चाहिए ?”

महाराज! अब इस शतरंज बोर्ड के पहले खाने में एक सोने का सिक्का रखिए।

राजा ने कहा, "बस, इतना ही। सुनो मंत्री ! इस शतरंज बोर्ड के पहले खाने में एक सोने का सिक्का रख दो।

सोने का एक सिक्का रख दिया गया।

महाराज! अगले खाने में पहले खाने से दुगुने सिक्के रखिए। 

यह सुनकर दरबार में उपस्थित लोग सभी वैद्य पर हँस पड़े और कहने लगे यह कैसा मूर्ख है ! इतना सुनहला अवसर मिला। उसका सदुपयोग नहीं कर रहा है ...

राजा ने भी इसमें निहित गणित को न समझकर दुगुने-दुगुने सोने के सिक्के रखने का आदेश दिया।

सिक्कों की संख्या 1, 2, 4, 8, 16, 32, 64, 128..

पहली पंक्ति का परिणाम 256 सिक्कों तक पहुंच गया।

दूसरे क्रम का परिणाम 65536 नकदी तक पहुंच गया।

तीसरी पंक्ति का अंत 16,777,216 नकद पर पहुंच गया।

राज्य के खजाने का अधिकांश भाग समाप्त हो गया था। अब स्थिति की गंभीरता को महसूस किया जा रहा था। अब राज्य में संकट की घड़ी मँडरा रही थी।

चौथी पंक्ति का परिणाम 4294967302 पर पहुंच गया।

पांचवीं पंक्ति हेतु सिक्के गिनने के लिए कई दिन लग गए। इसका मूल्य 1099511629312 तक पहुंच गया। राजा ने महसूस किया कि अपने राज्य को देने पर भी उसकी आपूर्ति नहीं हो सकता। अब पाँचवीं पंक्ति की पूर्ति नहीं हो पा रहा था।

राजा को लगा कि 8 वें क्रम तक पहुँचने के लिए पूरी दुनिया को बेचने पर भी उसकी आपूर्ति संभव नहीं था।

राजा को वैद्य की समझदारी का एहसास हुआ और उसने आत्मसमर्पण कर दिया।

यही प्रसरण विधि है कोरोना वायरस की।

कोरोना का समाज में फैलाव लगभग 2.6 गुना है। 2 की हिसाब से 8 दिनों में 256 लोगों तक फैल गया।

यदि यह बिना किसी रोक-टोक या बिना किसी लॉकडाउन के सभी लोग स्वतंत्र रूप से रहने को छोड़ दिया जाए तो यह इस प्रकार फैलता है ...

कोरोना वायरस का फैलाव पहले 8 दिनों में, न्यूनतम ही रहता है। फिर

9 वें दिन इस वायरस का प्रभाव 512 दिन तक फैल जाएगा।

10 वें दिन 1024

11 वें दिन 2048

12 वें दिन 4096

13. वें दिन 8192 है

14. वें दिन 16384 हैं

इस प्रकार

20 वें दिन 1,048,576

25 वें दिन 33,554,432।

ठीक है, चलो इस गणित में निहित श्रृंखला को तोड़ते हैं। तो क्या होगा?

8 वें पर 512। अगर हम उन्हें अलग-थलग कर दें और खुद को अलग कर लें तो क्या होगा?

512 --- अलगाव।

फैलने वाले वायरस को अगला शरीर उपलब्ध नहीं होने पर।

अलगाव के कारण कोरोना वायरस फैलने हेतु नए शरीर न मिलने पर 14 दिनों में यह वायरस मर जाता है और यह संख्या धीरे- धीरे घटने लगती है।

256, 128, 64, 32, 16, 8, 4, 2, 1

इस प्रकार उलटना क्रम संभव है।

कोरोना वायरस का अंत तभी संभव है जब हम अपने आपको अलग रखें।

इस वायरस को शरीर में फैलने से रोकना है। इस वायरस की शृंखला को तोड़ना है।अपने आपको समाज से अलग रखना है।

अगर लोग अनजान बने रहें तो यह वैश्विक तबाही की शुरुआत मान सकते हैं।

यह दुनिया के लिए नया नहीं है। सन 1918 - 1920 में, स्पैनिश फ्लू से 1.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए और 40 मिलियन लोगों की मौत हुई। इस दौरान भी अलगाव पर जोर दिया गया था पर लोगों ने इसका पालन नहीं किया इसलिए उस समय अधिक जन हानि का सामना करना पड़ा।

निष्कर्ष यह है कि स्व नियंत्रण ही कोरोना नियंत्रण है। नियंत्रण में रहें और कोरोना को नियंत्रण में रखें।


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