कोरोना काल में इग्नू
कोरोना काल में इग्नू


इग्नू (इन्दिरा गाॅधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ) की स्थापना का उद्देश्य ही था कि जो लोग चाहे जिस किसी भी कारण से नियमित शिक्षा से वंचित हो चुके हैं , उन सभी को घर बैठे गुणवत्तापूर्ण व सस्ती शिक्षा दी जा सके। इग्नू की स्थापना 1985 में संसद में पारित एक अधिनियम के अंतर्गत की गयी थी। 1987 से कुछ चुने हुए पाठ्यक्रमों से आरंभ यह अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय ( क्योंकि भारत के अलावा लगभग 20 से ज्यादा देशों में इग्नू के केन्द्र आज संचालित हो रहे हैं ) आज दुनिया का संख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा विश्वविद्यालय बन चुका है। इसके बावजूद इग्नू ने अपनी गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं किया जिससे आज यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन से लेकर देश के तमाम सम्मानित संस्थानों में इग्नू के लर्नर अच्छे पदों पर न सिर्फ आसीन है अपितु देश को बेहतर सेवाएॅ प्रदान कर रहे हैं।
आज हम इग्नू के ज्ञानवाणी व ज्ञानदर्शन माध्यम से दी जा रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर चर्चा कर रहे हैं। जापान की सरकार के सहयोग से इग्नू में शैक्षणिक उद्देश्य को ध्यान में रखकर देश का सबसे बढिया स्टूडियो तैयार किया गया। 1996 में इसके पहले निदेशक बने प्रो0 अब्दुल वहीद खान जो बाद में इग्नू के कुलपति भी बने पुनः " काॅमन वेल्थ ऑफ लर्निंग " में सम्मानित पद को सुशोभित किया।
प्रारंभ में यहाॅ से टेलीकाॅन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से इग्नू के विद्वज्जन देश भर के अपने क्षेत्रीय केन्द्र के माध्यम से छात्रों से सीधे पठन पाठन पर चर्चा करते थे। हमें अच्छी तरह याद है जब हम 6 दिसम्बर 1996 को क्षेत्रीय केन्द्र करनाल पर सहायक क्षेत्रीय निदेशक के पद पर पदभार ग्रहण किए थे तब यह माध्यम इतना लोकप्रिय हुआ था कि लुधियाना और चण्डीगढ़ से भी छात्र करनाल आकर टेलीकान्फ्रेन्सिंग में भाग लेते थे।
हम एक दूसरी उल्लेखनीय गटना को भी उद्धृत करना जरूरी समझते हैं। क्षेत्रीय केन्द्र पर इसकी लोकप्रियता को देखते हुए इग्नू ने इसे विस्तार देते हुए अच्छे पंजीयन वाले बड़े अध्ययन केन्द्रों पर टेलीकान्फ्रेन्सिंग हेतु डिस इन्स्टाॅल करने का निर्णय लिया और तेजी से डिस इन्स्टाल करने का काम किया गया।
इसी समय 1997 के अंत में हम 1996 बैच के सहायक क्षेत्रीय निदेशकों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम हैदराबाद में आयोजित किया गया। तत्कालीन सम कुलपति प्रोफेसर एस के गान्धे साहब ने टेलीकाॅन्फ्रेन्सिंग पर चर्चा करते हुए कहा कि - "अब चूॅकि तमाम अध्ययन केन्द्रों पर टेलीकांफ्रेन्सिंग की सुविधा उपलब्ध हो रही है ऐसे में क्षेत्रीय केन्द्र की भूमिका कम हो जायगी।"
हमने इसपर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि - " सर , अब हमलोगों की भूमिका और भी बढ़ जायगी क्योंकि अध्ययन केन्द्रों पर जो छात्र जाएँगे वह केवल चर्चा देछ व सुन सकेंगे जबकि क्षेत्रीय केन्द्र पर एस टी डी सुविधा के साथ फोन होने से छात्र अपने सवाल भी पूछेंगे। ऐसे में अध्ययन केन्द्र के छात्र अगले सत्र में यथासंभव क्षेत्रीय केन्द्र पर जाने को प्राथमिकता देंगे। "
चूॅकि हमने इस विधा में काम किया था , हमारी अपनी समझ थी , जिसे समकुलपति महोदय ने भी सराहा।
यही नहीं जब हम पहली बार इग्नू मुख्यालय गये तो प्रबंध संकाय की निदेशक प्रोफेसर मधुलिका कौशिक से हमारी पहली रूबरू मुलाकात थी। उन्होने बहुत मान दिया और उस समय जो भी उनके कक्ष में आया उससे मेरा विशेष परिचय कराया कि यह डाॅ त्रिपाठी हैं जिनके कारण करनाल में टेलीकान्फ्रेन्सिंग में बहुत भारी संख्या में छात्रों की भागीदारी रहती है।
खैर , बाद में समय के साथ तकनीकी विकास हुआ और प्रोफेसर एच पी दीक्षित साहब जब कुलपति बने तो ज्ञानवाणी स्टेशन को सक्रिय किया गया साथ ही ज्ञान दर्शन चैनल भी आरंभ हुआ।
वर्तमान में तकनीकी सुविधाओं से तालमेल मिलाते हुए ज्ञानवाणी के कार्यक्रमों को ज्ञानदर्शन से सीधे जोड़ने की सराहनीय पहल की है।
इस समय देश भर में कुल 14 ज्ञानवाणी केन्द्र सक्रिय हैं जिसमें वाराणसी , लखनऊ , नागपुर , औरंगाबाद तथा जयपुर के केन्द्र का जीवन्त प्रसारण ज्ञानवाणी दिल्ली से ही हो रहा है जबकि दिल्ली के अतिरिक्त 08 अन्य ज्ञानवाणी केन्द्र अपने कार्यक्रम का शिड्यूल बनाकर अपने क्षेत्र की माॅग के अनुसार प्रोग्राम प्रसारित कर रहे हैं। इस समय प्रतिदिन सुबह 10.00 बजे से शाम 7.00 बजे तक जीवंत शैक्षणिक कार्यक्रम रेडियो के एफ एम 105.6 मेगा हर्त्ज तथा ज्ञानदर्शन के टी वी चैनल से प्रसारित हो रहा है। इसे छात्र व अन्य लोग न सिर्फ सुन व देख सकते हैं अपितु टाॅल फ्री नम्बर 1800112347 पर फोन कर अपने सवाल पूछकर अपनी जिज्ञासा भी शान्त कर सकते हैं।
इसमें विचारणीय प्रश्न यह है कि सुबह 10.00 बजे से शाम 7.00 बजे तक के समय का ठीक से योजना बनाकर सही सदुपयोग किया जा सकता है। यही नहीं इसमें अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को विश्वास में लेकर उनके पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर उनके यहाॅ जो योग्य प्रोफेसर हैं उनकी विद्वत्ता का भी लाभ उठाया जा सकता है।
आज जब हम " एक भारत , श्रेष्ठ भारत " की बात कर रहे हैं। एक आधार कार्ड , यहाॅ तक की आगामी अगस्त से एक ही राशन कार्ड लागं किया जा रहा है। ऐसी अनुकूल स्थिति में बहु चर्चित व बहु प्रतीक्षित पूरे देश के विश्वविद्यालयों में एक पाठ्यक्रम को लागू करते हुए इग्नू की इस तकनीकी " ज्ञानवाणी व ज्ञान दर्शन " का भरपूर उपयोग कर पूरे देश तक एकरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ पहुॅचाया जा सकता है।
उम्मीद है इग्नू के इलेक्ट्रानिक मीडिया व प्रोडक्शन सेन्टर के निदेशक , सभी विद्यापीठों के निदेशक , इग्नू के माननीय कुलपति महोदय इस दिशा में सकारात्मक पहल कर इग्नू के इस संसाधन से देश के शिक्षकों व शिक्षार्थियों के हित पूर्ति में एक अहम् भूमिका निभाने का काम करेंगे।