Manish Solanki

Fantasy Others

3.5  

Manish Solanki

Fantasy Others

कॉलेज लाइफ

कॉलेज लाइफ

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156


Dear friends याद आते हे ना पीछे छूटा हुआ वो सुकून सा वक्त। पीछे छूट गए हुए वो लम्हे और वो कॉलेज के दिन। बीती हुई ढेर सारी बाते और कुछ हसीन पल। 

सच कहो याद आते हे ना वो colleg के दिन जहाँ सिर्फ पढ़ाई का टेंशन और दोस्तों की मस्तियां थी। ना जिंदगी से कोई शिकवा और ना लोगों से कोई शिकायते थी। बस कॉलेज की एक हसीन दुनिया और दोस्तों की महफिल थी। जहां लेक्चर के बीच में चुपके से लंच हुआ करते थे और एक ही लंच बॉक्स पे 10 लोग टूटा करते थे।

पूरा साल कुछ नहीं पढ़ा करते थे। क्लास बंक कर मूवी देखने चले जाया करते थे। और जब आती थी exam नजदीक तो क्लास के किसी topper से एक ही दिन में पूरा सिलेबस रट लिया करते थे। कैंटीन में बैठ के खाने से ज्यादा गप्पे लड़ाया करते थे। चलती हुई लड़कियों को एक दूसरे की बीवी बताया करते थे। जहां कैंटीन और कैंपस में कही प्रपोजल तो कही ब्रेकअप और पैचअप हुआ करते थे। जहां की प्रोफेसर से भी कभी प्यार किया करते थे। पढ़ना और प्यार करना लाजमी था उस वक्त। जिंदगी का सबसे कीमती था वो कॉलेज का वक्त।

जहां की बेंचिस पे खुद के नाम का सिंबल लगाया करते थे। तो exam के कुछ वक्त पहले पूरी बेंचिस को प्रश्नों और सवालों से भर दिया करते थे। जहां असाइनमेंट का वो late submmision को मेडम को मना के ठीक करवा लेते थे। सब लोग एक हो जाते थे और आज नहीं पढ़ना हे कह के लेक्चर ही फ्री करवा देते थे। जहा techer भी दोस्त हुआ करते थे।

वो कम्प्यूटर लैब जिसमे ढेर सारी error से लड़ लिया करते थे।

नहीं होती थी सॉल्व कोई एरर तो कंप्यूटर को ही dabba हे ऐसा बताया करते थे। जहां प्रोग्राम पूरा कॉपी करते थे फिर भी एरर आ जाया करती थी तो तब mam/sir को ही कुछ नहीं आता ऐसा बोला करते थे।

उस लफ्ज को कैसे भूल जाए, जब exam के दिन बोला करते थे की " आज तो पेपर बहुत खराब जायेगा कुछ पढ़ा ही नहीं है, आज पक्का फैल, अरे तुझे तो कोई टेंशन ही नहीं , अरे तेरा पेपर कैसा गया, अबे साले ये तो मुझे आता था, अबे ये तो syllubus में था ही नहीं " और फिर दूसरे पेपर की तैयारियां किया करते थे।

जब सुबह पढ़ने के लिए तीन से चार एलार्म लगा दिया करते थे। और imp के लिए एक दूसरे की नींद हराम किया करते थे। 

जहां की मस्ती सच्ची थी। लाखों वादे और हजारों किस्से थे।

ढेर सारी टेंशन तो थी लेकिन उसको मिटने वाले जिगरी जान दोस्त भी हुआ करते थे।

जहां कोई फंक्शन की तैयारी के बहाने पूरा दिन क्लास छोर के फ्री गुमा करते थे। बहुत सारे जेरॉक्स के पन्ने और कॉपी नोट्स को बैग में लिए गुमा करते थे। लाइब्रेरी में जाते तो थे लेकिन टहलकर वापस आ जाया करते थे। जहां वक्त पे ना कोई सबमिशन होता था और ना ही वक्त पे कॉलेज आना।

वो कॉलेज के दोस्तों का whatsapp group और वो इंस्टाग्राम पे लाइक्स , कमेंट और मेंशन बहुत किया करते थे।

जहां क्लास में मोबाइल की रिंग बजवा कर सबको disturb करवा दिया करते थे। थोड़ा सा दोस्त का मजाक बनाकर पूरे क्लास को हंसा दिया करते थे।


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