कितने झूठे हो तुम
कितने झूठे हो तुम
एक सौ तीन बुखार में तप रही थी निकिता, सुध - बुध ही नहीं थी। पहली बार हुआ था उसे यूरिन इंफेक्शन। पूरी रात रवि बैठा रहा उसके सिरहाने। कभी पानी पिलाता, कभी सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रखता, कभी सर दबाता, कभी पाँव।
ऐसे बैठे - बैठे ही सुबह हो गई थी। चाय बना लाया था वो, पर निकिता को होश ही नहीं बड़ी मुश्किल से उठी, ब्रश करने बॉथरूम में गई तो देखा - उसकी चप्पलें धुली हुई पड़ी थी, टीशर्ट भी पानी में भिगोकर रखी हुई थी,उसने अपने दिमाग पर जोर डाला तो याद आया रात को यही टीशर्ट तो पहन रखी थी उसने ये यहाँ कैसे?उसने सोचा पर निकिता को कुछ भी याद नहीं आया।
वो बॉथरूम से निकल कर बेड पर आ बैठी तो बड़े प्यार से रवि ने चाय का कप उसकी ओर बढाया।
अदरक इलायची वाली चाय पीकर निकिता की जान में जान आई तो रवि की ओर मुखातिब होकर बोली- " रवि वो मेरी चप्पल, टीशर्ट सब बॉथरूम में?
" हाँ, रात को तुम्हें उल्टियां हो गई थी। कपड़े, चप्पल सब खराब हो गई थी। वही साफ करके रखी है और हाँ मैनें दो दिन ऑफिस से छुट्टी ले ली है सो अब खाना,पीना, सब मेरी जिम्मेदारी तुम आराम करो डियर" कहते हुए रवि ने निकिता को सहारा देकर तकिए पर लिटा दिया।
निकिता ने आँखें मूँद ली। कब रात को उसे उल्टियां हुई, कब रवि ने सफाई की उसे कुछ याद नहीं, उसकी नीम बेहोशी की हालत में रवि ने बिना किसी ग्लानि के उसकी सेवा की, कितना प्यार करता रवि पर कभी बोलता नहीं सोचते हुए निकिता की आँखें छलक आई ।
उसने धीरे से रवि का हाथ पकड़ा और बोली -" बहुत प्यार करते हो मुझे "।
अचानक पुछे गये सवाल से रवि अचकचाया पर फिर निकिता का हाथ अपनी हथेली में लेकर बोला - " ये भी कोई पूछने की बात है निकिता "।
" फिर कभी कहते क्यों नहीं हो" निकिता ने हिचकियाँ लेते हुए पूछा।
" अरे यार, क्या हुआ देखो रोओ मत, मुझे प्यार में दिखावा करना नहीं आता इसलिए इसका मतलब यह नहीं कि मैं तुम्हें प्यार नहीं करता। मैं बहुत प्यार करता हूँ तुम्हें। साल भर हुआ है हमारी शादी को। बात - बात पर आई लव यू कहने की मेरी आदत नहीं है पर तुम्हारी खुशी, तुम्हारा सुख मेरे लिए बहुत मायने रखता है " कहते हुए रवि ने निकिता को गले लगा लिया।
" चलो हटो,बड़े झूठे हो तुम " कहते हुए निकिता रवि ने रवि की छाती पर हल्का सा धौल जमाया और उसकी बाँहों में झूल गई।
बुखार से तपते बदन में निकिता को एक आनोखी शीतलता का अहसास हो रहा था।