Rajendra Jat

Drama Inspirational Children

4.1  

Rajendra Jat

Drama Inspirational Children

किसान की बेटी

किसान की बेटी

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एक फटी धोती और फटी कमीज पहने एक गांव का किसान अपनी 15-16 साल की बेटी के साथ एक बड़े होटल में पहुंचा। 

उन दोनों को कुर्सी पर बैठा देख एक वेटर ने उनके सामने दो गिलास साफ ठंडे पानी के रख दिए और पूछा- आपके लिए क्या लाना है?

किसान ने कहा- "मैंने मेरी बेटी को वादा किया था कि यदि तुम कक्षा दस में जिले में प्रथम आओगी तो मैं तुम्हें शहर के सबसे बड़े होटल में एक डोसा खिलाऊंगा। इसने वादा पूरा कर दिया। कृपया इसके लिए एक डोसा ले आओ।"


"वेटर ने पूछा- "आपके लिए क्या लाना है?"

 उसने कहा-"मेरे पास एक ही डोसे का पैसा है।"


पूरी बात सुनकर वेटर मालिक के पास गया और पूरी कहानी बता कर कहा-"मैं इन दोनों को भर पेट नाश्ता कराना चाहता हूँ। अभी मेरे पास पैसे नहीं है, इसलिए इनके बिल की रकम आप मेरी सैलेरी से काट लेना।"


"मालिक ने कहा- "आज हम होटल की तरफ से इस होनहार बेटी की सफलता की पार्टी देंगे।"

होटलवालों ने एक टेबल को अच्छी तरह से सजाया और बहुत ही शानदार ढंग से सभी उपस्थित ग्राहकों के साथ उस गरीब बच्ची की सफलता का जश्न मनाया।


मालिक ने उन्हें एक बड़े थैले में तीन डोसे और पूरे मोहल्ले में बांटने के लिए मिठाई उपहार स्वरूप पैक करके दे दी। इतना सम्मान पाकर आंखों में खुशी के आंसू लिए वे अपने घर चले गए।     

 

समय बीतता गया और एक दिन वही लड़की I.A.S.की परीक्षा पास कर उसी शहर में कलेक्टर बनकर आई।

उसने सबसे पहले उसी होटल में एक सिपाही भेज कर कहलाया कि कलेक्टर साहिबा नाश्ता करने आयेंगी।

 

होटल मालिक ने तुरन्त एक टेबल को अच्छी तरह से सजा दिया।

यह खबर सुनते ही पूरा होटल ग्राहकों से भर गया।

कलेक्टर रूपी वही लड़की होटल में मुस्कराती हुई अपने माता-पिता के साथ पहुंची।

सभी उसके सम्मान में खड़े हो गए।

होटल के मालिक ने उन्हें गुलदस्ता भेंट किया और आर्डर के लिए निवेदन किया।


उस लड़की ने खड़े होकर होटल मालिक और उस वेटर के आगे नतमस्तक होकर कहा- "शायद आप दोनों ने मुझे पहचाना नहीं। मैं वही लड़की हूँ जिसके पिता के पास दूसरा डोसा लेने के पैसे नहीं थे और आप दोनों ने मानवता की सच्ची मिसाल पेश करते हुए, मेरे पास होने की खुशी में एक शानदार पार्टी दी थी और मेरे पूरे मोहल्ले के लिए भी मिठाई पैक करके दी थी। आज मैं आप दोनों की बदौलत ही कलेक्टर बनी हूँ। आप दोनों का एहसान में सदैव याद रखूंगी। आज यह पार्टी मेरी तरफ से है और उपस्थित सभी ग्राहकों एवं पूरे होटल स्टाफ का बिल मैं दूंगी।"


कल आप दोनों को "श्रेष्ठ नागरिक " का सम्मान एक नागरिक मंच पर किया जायेगा। 

शिक्षा-- किसी भी गरीब की गरीबी का मजाक बनाने के बजाय उसकी प्रतिभा का उचित सम्मान करें।


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