किन्नर
किन्नर
क्या खोया क्या पाया
नादाँ था जो विषय उठाया
लेकिन जब-जब करीब से देखा
गलते देखा, तपते देखा
हाँ, अटल अविरल सिन्धु धारा सी चलते देखा
गति, विचार तो सबने देखा
हाँ, उठ खड़ा वो चलते देखा।
क्या खोया क्या पाया
नादाँ था जो विषय उठाया
