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pratima dkhanka

Inspirational

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ख्वाबों की जमीन पर यथार्थ के कदम

ख्वाबों की जमीन पर यथार्थ के कदम

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ये कहानी केवल मनोरंजन की दृष्टि से लिखी गयी काल्पनिक कहानी है, लेकिन मैं ये नहीं कहूगीं कि इस कहानी की घटनायें आधारहीन हैं। इसमें उकेरी गयी घटनायें जरूर काल्पनिक हैं, लेकिन मेरी इस कल्पना का कोई आधार जरूर है। हम अक्सर ही ऐसा बहुत कुछ सुनते. अनुभव करते हैं, जो कि हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी से बिल्कुल अलग सा होता है। हमें ऐसी चीज़ों पर यकीन करने में व़क्त भी लगता है और अक्सर हम उन पर यकीन करना भी नहीं चाहते, क्योंकि वह चीजें या घटनायें हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं। आत्मा के अस्तित्व पर तो यकीन करते होगें आपए यदि नहीं भी करते हैं, तो भी मैं आपको ऐसा करने को नहीं कहूँगी । तो, यदि इंसान के मरने पर आत्मा नाम की कोई एनर्जी वातावरण में चली जाती है, तो उसके बाद उसका क्या होता है, क्या वह आजाद होतीं हैं, या उन्हें वहॉ पर इंसानों की जिन्दगी की तरह ही कुछ नियम.कानूनों के दायरों में रहना होता है? मैं ये इसलिए पूछ रही हूँ कि अगर वह आजाद होती हैं, तो हर वह व्यक्ति जो किसी दुर्घटना या अपराध का षिकार हुआ हो, वह आपबीती का बदला लेता क्यों नहीं, और यदि वहॉ उन्हें नियमों में बंध कर रहना होता है, तो कौन हैं वह, जो उनसे नियमोंका पालन कराता हैं?

क्यों गिनती की ही रूहें अपनी आपबीती दुनिया को बताने के लिए बार-बार लौट कर आती है, और क्यों हर रूह ऐसा करने के लिए आज़ाद नहीं होती यानि उस दुनिया में भी ऐसी कोई कानून व्यवस्था जरूर है, जो इंसानों और रूहों की दुनिया को अलग रखती है। खैर. ये कहानी समीक्षा की है, जिसकी ज़िन्दगी में इसी तरह की घटनायें होने लगती हैं। वह भी आप ही की तरह कुछ वक्त तक इन घटनाओं को मनोवि़ज्ञान और दिमागी कमजोरियों से जोड़कर ही देखती है, लेकिन सच तो सच है, एक दिन सामने आ ही जाता है। इस कहानी में समीक्षा नाम आप दो किरदारों के लिए पढे़गें....ये ही एक नाम नायिका और खलनायिका , दोनों के लिए है।



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