Upendra Kesvani

Inspirational

4.0  

Upendra Kesvani

Inspirational

खुशी

खुशी

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306


ऑफिस से बधाइयों का ताँता लिए साहिल कैब(टैक्सी) में जा बैठा। आज उसे रास्ते का ट्रैफिक कुछ अधिक और कैब की स्पीड कुछ ज्यादा ही कम लग रही थी। उसने ड्राइवर से जल्दी चलाने को कहा परंतु शायद उसने गिनती नहीं की थी पर वह पिछले 5 मिनट में तीन बार ड्राइवर को जल्दी चलाने को बोल चुका था।जैसे ही वह चौथी बार बोलने को हुआ ड्राइवर ने भी पलट कर जवाब दिया-


ड्राइवर:  “सर हॉस्पिटल पहुंचना है कि सीधे हॉस्पिटल में भर्ती ही हो जाना है।”

साहिल:  “अरे नहीं बस थोड़ा जल्दी में हूं।”

ड्राइवर:  “हॉस्पिटल में कोई सीरियस है?”

 साहिल: “नहीं नहीं मेरी वाइफ प्रेगनेंट है घरवाले उसे हॉस्पिटल लेकर गए हैं, आज शायद डिलीवरी हो सकती है।”

ड्राइवर:  “यह तो खुशी की बात है, आप इतना टेंशन क्यों लेते हैं मैं समय से पहुंचा दूँगा।”

साहिल:  “बस थोड़ा जल्दी।”

ड्राइवर:  “आप जितनी जल्दी मुझे भी है।”

 साहिल: “आपको किस बात की जल्दी?”

 ड्राइवर: (अपने सामने लगी एक तस्वीर की ओर इशारा करते हुए) “आज मेरी बेटी का जन्मदिन है। आज वह 7 साल की हो गई है। घर में छोटी सी पार्टी रखी है, देर से पहुंचा तो नाराज़ हो जाएगी।”

साहिल:  (तस्वीर की तरफ देखकर) “आपकी बेटी बहुत प्यारी है क्या नाम है इसका?”

ड्राइवर:  “खुशी”

साहिल:  “नाम भी बहुत प्यारा रखा है।”

ड्राइवर:  “यह नाम मैंने ही रखा था क्योंकि जिस दिन यह पैदा हुई थी शायद उस दिन मैं अपने जीवन में सबसे अधिक खुश था। आज भी उस को हंसते हुए देखता हूं तो उससे ज्यादा खुशी और कहीं नहीं मिलती।”


साहिल भी अपने आने वाली खुशी को मन में महसूस कर सकता था। लगभग 15 मिनट बाद हॉस्पिटल के पास उतरते हुए उसने जैसे ही पर्स निकाला ड्राइवर ने उसे रोका-

ड्राइवर:  “नहीं सर आज पैसे नहीं।”

साहिल:  (आश्चर्य से) “क्यों?”

ड्राइवर:  “पिछले 7 साल से हर साल अपनी बेटी के जन्मदिन पर फ्री सर्विस देता हूं, पहले रिक्शा चलाता था तब भी और आज कैब चलाता हूं तब भी।”

साहिल:  “पर आपको भी तो जल्दी थी फिर भी आपने इतने ट्रैफिक में मुझे यहां तक पहुंचाया। आपको ऐसे कैसे जाने दूं?”(पैसे निकालते हुए)

ड्राइवर:  “नहीं सर, आज मैं पैसे तो नहीं ले सकता अच्छा मेरी तरफ से अपने होने वाले बच्चे को कोई छोटा सा गिफ्ट दे दीजिएगा।”

साहिल: (आसपास देखते हुए ) “अच्छा फिर आप भी 1 मिनट रुके” पास की दुकान से कुछ ख़रीद कर वापस आता है।

“तो फिर मेरी तरफ से आप भी यह चॉकलेट खुशी को दीजिएगा और हैप्पी बर्थडे विश कीजिएगा।”

ड्राइवर:  “थैंक यू सर और आपको भी होने वाले बच्चे के लिए एडवांस में बधाई हो।अच्छा चलता हूं।”

 साहिल:“थैंक यू।”


 वह चला जाता है। साहिल मन ही मन उस ड्राइवर से बहुत खुश होता है, खासकर ड्राइवर का अपनी बेटी के लिए जो प्यार है वह उसे आकर्षित करता है और वह भी मन में ठान लेता है कि वह भी अपने बच्चे से इतना ही प्यार करेगा।

साहिल हॉस्पिटल की तरफ बढ़ ही रहा था कि उसने देखा उसके पिता भी हॉस्पिटल की तरफ ही आ रहे थे।वह जल्दी से उनके पास गया।

साहिल:  “क्या हुआ, आप यहां बाहर कहां गए थे?”

पिता:  “मिठाई लेने गया था तुझे बेटी हुई है।”

इस वाक्य ने साहिल की चेहरे की चिंता को खुशी में बदल दिया पर उसे यह अजीब लगा कि यह खुशी उसके पिता के चेहरे पर नहीं थी।

साहिल: “आपको क्या हुआ सब ठीक तो है?”

पिता:  “सब ठीक है।”

उसे सब ठीक नहीं लगा वह पूछना तो नहीं चाहता था पर पूछ पड़ा-

साहिल:  “ क्या बेटी हुई है इस वजह से…”

वह अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही उसके पिता ने टोका-

पिता:  (गुस्से से) “तू क्या पागल हो गया है? अभी तेरा पिता इतनी छोटी सोच वाला इंसान नहीं बना और यह कैसे कह सकता है जब तेरी खुद की एक बहन है और उसी मैं तुझ जितना ही प्यार करता हूं।”

 साहिल:  “सॉरी पर फिर आप खुश क्यों नहीं है?”

 पिता: “इस समाज की वजह से!”

साहिल: “मतलब?”

पिता:  “अभी चौराहे के पास मैं मिठाई लेने गया तब एक लड़की के साथ दो लड़के छेड़खानी कर रहे थे। जब उसने हिम्मत करके विरोध किया तब सब लोगों को पता चला मैंने और कुछ लोगों ने उन्हें रोका तो बाइक से भाग गए।”

 साहिल: “यह तो अच्छी बात है, आप लोगों ने उसकी मदद की।”

पिता:  “यह अच्छी बात नहीं है, ऐसी घटनाएं समाज में बढ़ती जा रही हैं।हर एक ने दूसरे दिन अखबार में भी ऐसी घटनाएं निकलती रहती हैं।आज तो लड़की ने हिम्मत दिखाई और सब ने उसका साथ दिया पर बहुत बार या तो लड़कियाँ हिम्मत नहीं दिखा पाती या तो समाज उन्हें नज़रअंदाज़ कर देता है इसलिए टेंशन में हूं कि आगे के समाज में अपनी बेटी सुरक्षित रह भी पाएगी।”

साहिल:  “मैं आपके डर को समझ सकता हूं पर आप कुछ लोगों की वजह से पूरे समाज को गलत नहीं ठहरा सकते।समाज में अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग हैं। अभी आप ही ने बताया कि लोग उसकी मदद करने आगे आए..”

पिता:  “परंतु हर बार आसपास मदद के लिए कोई हो यह जरूरी तो नहीं?”

साहिल: “तो हमें उसे मजबूत बनाना पड़ेगा कि उसे किसी से मदद नहीं मांग पड़े।”

 पिता: “यह सब कहने-सुनने में ही अच्छा लगता है।”

साहिल:  “ऐसा क्यों? आपने दीदी को भी तो मजबूत बनाया वह भी तो अकेले ऑफिस जाती और आती है..”

पिता:  “डर तो मुझे तेरी बहन के लिए भी लगता है पर उसकी इच्छा की वजह से रोकता नहीं हूं।”

साहिल:  “आप कब से इतना डरने लगे? मैंने तो आपको हमेशा दीदी को सपोर्ट करते देखा है चाहे वह पढ़ाई हो, उनके डांस सीखने की जिद हो या कुछ और आपने तो आज तक उसे ऑफिस जाने से रोका टोका नहीं तो फिर आज क्यों?”

पिता:  “तुम शायद न्यूज़ नहीं सुनते उसमें दिखाते हैं कि अब तो एक लड़की को अपने भाई और पिता पर भी शक करना चाहिए मतलब क्या भाई बहन और पिता बेटी का भी रिश्ता सुरक्षित नहीं रहा?”

साहिल:  “आप कहां की बात कहां ले जा रहे हैं! अभी मैं जिस कैब में आया, उसका ड्राइवर अपनी बेटी के जन्मदिन पर सबको फ्री सर्विस दे रहा था।क्या अब आप उस पर भी शक करेंगे? अगर आप न्यूज़ की नज़र से ही दुनिया को देखेंगे तो आपको सब गुनहगार लगेंगे, यहां तक कि हम भी.. इसलिए न्यूज़ से बाहर की दुनिया को देखिए यहां अच्छे लोग भी हैं।”

पिता:  (मुस्कुराते हुए) “शायद तुम सही कह रहे हो, मैं आजकल कुछ ज्यादा ही न्यूज़ देखने लगा हूं और कल के डर से आज की खुशी को भूल गया।अब जल्दी चलो सब अंदर इंतजार कर रहे होंगे।”


अंदर साहिल की मां उसकी बेटी को गोद में लिए उसकी पत्नी के पास बैठी थी।साहिल अपनी बेटी को देखते ही मां से उसे गोद में ले लेता है। 

मां: “आप दोनों इतनी देर कहां थे? इतनी देर में तो हम दोनों ने इसका नाम भी सोच लिया।

साहिल:  (उत्सुकता से)“क्या?”

मां:“ खुशी”


"यह नाम सुनकर उसे उस कैब ड्राइवर की बेटी की तस्वीर याद आ गई और वह मुस्कुराता हुआ अपनी "खुशी "को देखता रहा।"


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