Dr. Sudarshan Upadhyay

Comedy Drama

3.6  

Dr. Sudarshan Upadhyay

Comedy Drama

खुदा छेद और निकली अम्मा

खुदा छेद और निकली अम्मा

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फर्जी प्रदेश मे एक छोटा सा गांव था चौपटा। वहीं रहते थे श्रीमान फलाने चौपतिया। उनके परिवार में थी अर्धांगनी श्रीमती सुरसतियादेवी, जिन्हें पूरा गाँव प्यार से सुरती भाभी कहता था। एक बिटिया थी, नाम रखे थे शकीरा। शकीरा क्यों ? क्योंकि उनके अनुज ढमाके को शकीरा दीदी का बका-बका गाना बहुत पसंद आ गया था।

दो भैंसें थी जिनका दूध बेचकर घर चल जाता था। और हाँ, एक अम्मा भी थी अतिप्राचीन। वह इतनी पुरानी थी, कि कई बार तो पुरातत्व विभाग के लोग उनको ममी समझ के उठा ले गए थे। उनको देखकर लगता भी था कि अपने बचपन मैं वह जरूर डायनासोर के साथ खेलती होगी। नाम तो उनका अब किसी को याद नहीं था सो सब बूढ़ा ही कहके बुलाते थे।

फलाने और ढमाके की भी क्या जोड़ी थी। ना ना, राम लक्ष्मण जैसे नहीं, बल्कि जैसे लोटा और पानी, जैसे पायजामा और नाड़ा या फिर जैसे नाख़ून और खुजली। एक दूजे के बिना दोनों बेकार। ढमाके भी बड़ा मस्त प्राणी था। मशहूर होने की बङी इच्छा थी और उसी के लिए हमेशा कुछ न कुछ नया कांड करता रहता। एक बार तो उससे समझना पड़ा की भैया नागिन डांस वालो को डांस इंडिया वाले नहीं लेते और गोबर के किले बनाना कोई टैलेंट नहीं है।

तो ऐसे ही एक दिन टीवी देखते देखते ढमाके चिल्ला उठा: भैया इधर आओ।

पान को थूक कर फलाने बोले: आया।

ढमाके बोला: भैया आजकल रस नहीं आ रहा जीने में।

तो कहा तो है तुमसे, पान मे किमाम डलवाओ रस ही रस मिलेगा।

नहीं भैया, कुछ करना चाहिए, चौपटा का नाम हो और अपना भी।

इतना सुनते ही फलाने समझ गए की अब यह कोई और खुराफात करेगा। चौपटा गॉंव का नाम तो उसी दिन हो गया था, जब विद्या बालन का सन्देश गॉंववालों ने मान लिया था। मान तो लिया था, पर समझा नहीं था। जहाँ सोच वहाँ शौचालय, इसका मतलब की अच्छा सोचो और शौचालय बनाओ, न की यह की जहाँ सोचो वहीं शौचालय जाओ।

पर भाई था, क्या करते ठंडी आह लेते बोले: बताओ।

ढमाके आँख मटकाते बोला: बताओ कुछ दिन पहले क्या हुआ था ?

हुआ क्या था ढमाके, दो-तीन बार जुलाब ही तो हुआ था, दवा ले लिए थे हम।

वह नहीं भैया, टीवी पे क्या चल रहा था ?

क्या ?, सकपकाए फलाने।

वह लड़की नहीं गिर गयी थी बोरवेल में। हाँ, हाँ, बिहार में, फलाने को याद आया।

और वह प्रिंस भी तो था। कितना नाम हुआ था मीडिया वाले, पुलिस वाले, नेता...सब पहुँच गए थे।

तो क्या ? बोले फलाने।

भैया, बोरवेल तो अपने वहाँ भी खुद रहा है बस कोई गिर जाये तो.....

इस पर फलाने चिल्लाये: तो क्या शकीरा को धकेल दे उसमें।

नहीं, नहीं, हाथ फैला कर ढमाके बोला, शकीरा को नहीं, बूढ़ा को। वैसे भी दिन भर खटिया पर पड़ी रहती है, एक दिन छेद में रह लेंगी। सोचो भैया, कितना नाम होगा, और एक बार मशहूर हो गए तो फिर टीवी, बिग बॉस और तो और सरपंच का चुनाव भी जीत सकते हो। बात कुछ-कुछ फलाने को समझ में आई,

लेकिन बोले: कोई नहीं आया तो ?

तो क्या भैया, अपना बोरवेल तो अभी तीन फ़ीट ही गहरा है, सीढ़ी डाल के अम्मा को बाहर निकाल लेंगे लेकिन अम्मा मानेगी ?

वो हम पर छोड़ दो आप, ढमाके बोला।



अम्मा, हो की गयी ?

खटिया पे पड़ी बूढ़ा चिल्लाई: जिन्दा हूँ अभी।

साथ में कुछ मसालेदार गालियां भी जोड़ दी।

अम्मा, कितने बार बोला है, गरियाओ मत, तुम्हीं को लगता है सब गल्ली, खी,खी करता ढमाके बोला।

अम्मा, तुम सुनी ? बुदबुदेश्वर बाबा क्या बोले ? कल ग्रहण है न, तो जो भी कोई कल जमीन में तीन फ़ीट जाकर पूजा करेगा वह सीधा स्वर्ग जायेगा।

बक्क, मति मरी गई है मेरी जो जमीन में जाऊँ।

अरे अम्मा, सही में, देखो व्हाट्सप्प पे भी आया है।

अब अम्मा को कोई दिखता तो नहीं था, पर परबतिया चाची उनको हमेशा अपने मोबाइल के व्हाट्सप्प से कुछ न कुछ देव धर्म का संदेश पढ़ कर बताती थी, सो अम्मा को लगता था की व्हाट्सप्प पे सब सही ही आता था। हम्म, अम्मा बोली, तो अपना बोरवेल तो ३ फ़ीट है न ?

हाँ बूढ़ा।

बूढ़ा होगी तेरी अम्मा, इंतजाम करो, हम कल पूरा दिन गड्ढे में पूजा करुँगी।

जी अम्मा, ढमाके मुस्कुराते बोला।



तैयारी शुरु हो गयी। उनके पड़ोसी करिया को भी बुला कर समझा दिया गया, आखिर भीड़ उसी को इकट्ठा करनी थी। गड्ढे मे दरी डाल दी गयी। बूढ़ा का रेडियो भी पहुँचा दिया गया और पूजा-पाठ का सामान भी डाल दिया गया। फिर अम्मा सीढ़ी से नीचे उतरी और भसड़ शुरु हो गयी।

सुरती भाभी रोते हुई चीखी: अरे अम्मा गयी, अरे बूढ़ा गयी।

करिया और बाकि लोग भागे भागे: क्या हुवा भाभी ? बूढ़ा सिधार गयी का ?

आँसू पोंछते सुरती भाभी बोली: नहीं बोरवेल में गिर गयी।

तो उसमें क्या, इतना सा तो गड्ढे है यह, अभी निकाल लेते हैं।

तभी ढमाके बोला, पागल हो क्या ? बात को समझो, जाओ पुलिस को खबर दो और समाचार वालो को बुलवाओ ।



पुलिस आयी और अम्मा को निकालने ही वाली थी, तब तक विधायक फैंकूरामजी आ गए। अपना नाम बनाने का मौका देखा और बोले: आर्मी वाले ही बूढ़ा को निकालेंगे।

तब तक लोग जमा हो गया थे, न्यूज़ चैनल वाले, पत्रकार, सरकारी लोग, दोनो पार्टी के कार्यकारी और तो और समोसे और चाट वालों का भी ठेला लग गया था। उस दिन कई सालों बाद चौपटा में मेला लगा। सभी को इसमें अपना उल्लू सीधा करने का मौका दिखा। लोहा गरम था, सब अपना अपना हथोड़ा ले कर पहुँच गए।

इधर चुगली टीवी वाले पूरे परिवार का इंटरव्यू ले रहे थे,

ब्रेकिंग न्यूज़ में देखिये बूढ़ा का परिवार, पहली बार सिर्फ चुगली टीवी पर।

तो बताये ढमाके जी,

ढमाके बोला: हम तो बहुत कोशिश किये की टीवी पर आये, डांस भी करे, अकेले भी और हमारी भैंसों के साथ में भी पर कोई चैनल वाले नहीं आये। अब देखो, हम गाना भी गाते हैं…

रिपोर्टर ने टोका: वह नहीं बूढ़ा कैसे गड्ढे में गिरी वह बताये।

अच्छा वह, तो अम्मा सुबह उठी.....



उधर खुजली टीवी वालो का प्रसारण चालू था- देखिये कैसे गिरी एक मासूम सी बूढ़ा बोरवेल में। क्या इसके पीछे कोई साजिश है ? बताएँगे हम, मिटायेंगे आपकी न्यूज़ की खुजली, कैमरामन विमलेश के साथ में कमलेश सिर्फ खुजली टीवी पर। आइये बात करते हैं विधायक फैंकूरामजी से।

फैंकूरामजी आँख दिखाते हुए बोले: इसमें जरूर पड़ोसी देश की साजिश है। अभी आर्मी वाले आ गए। उनको लगा बूढा को तो आराम से निकल लेंगे, पर अब बूढ़ा निकलने को तैयार नहीं थी। पूजा खत्म किये बगैर कैसे बाहर आ जाती। बुदबुदेश्वर बाबा भी पहुंचे थे,

वह गरजे: अम्मा सही बोल रही है, ये हमारे धर्म पे प्रहार है, पूजा पूरी किये बिना, अम्मा को बाहर निकलने नहीं देंगे। तभी फलाने को ध्यान में आया की अम्मा का हाल तो पूछा जाये। सब भागे भागे छेद के पास पहुँचे।

फलाने ने आवाज लगायी: अम्मा, हो की गयी ?

है, ससुर, जिन्दा है अभी।

अम्मा सब ठीक है न ? कोई परेशानी ?

सब ठीक है, बस थोड़ा हवा कम है और भूख लग रहा है।

इस पर जो डॉक्टर्स थे वो ऑक्सीजन टैंक ले आये पर बाबा फिर गुर्राये: इस पाश्चात्य ऑक्सीजन की हमें जरूरत नहीं है। हम बताते हैं आयुर्वेदिक योग का तरीका। इतना कहकर बाबा जीभ निकाल के साँप की तरह फूसफूसाने लगे।

अम्मा तुम इनकी तरह फूस-फूसा के साँस लो। साँप भी तो बिल में रहता है पर साँस तो लेते है न, यही तरीका है। और अंदर से फूस- फूस आने लगी।

लेकिन, तब तक ढमाके से सब का ध्यान हट गया था तो उसे लगा की कुछ और करना चाहिए। वह चिल्ला कर बोला, बूढ़ा के लिए अब हम अपनी भैंसों के साथ बर्फ की बाल्टी चैलेंज करेंगे और एक बाल्टी बर्फ ले कर उसने अपने और भैंसों के ऊपर डाल दिया।

ढमाके को तो कुछ नहीं हुआ, पर भैंसें बिदक गयी। वो दोनों पगहा छुड़ा कर भागी और बाबा के ऊपर चढ़ गयी। जब तक उनके भक्त भैंसों को हाँकते, तब तक बाबा का शुद्ध आयुर्वेदिक गोबर स्नान हो चूका था।

ये देख गाँव के और आवारा बच्चे, जो अभी तक बूढ़ा के साथ सेल्फी लेने की कोशिश कर रहे थे; उनको भी जोश चढ़ गया और वो अपनी-अपनी साइकिल से खुद किकी चैलेंज नाचने लगे।

सुरती भाभी कहाँ पीछे रहने वाली थी। वो शकीरा को ले कर उंगली टीवी वालों के पास पहुँच गयी और तब बनी अगली ब्रेकिंग न्यूज़: देखिये पहली बार बूढ़ा की नातिन का नाच सिर्फ हमारे साथ। सब चैनल की न्यूज़ में उंगली करने देखे उंगली टीवी।

शामियाने मैं गाना बजने लगा और शकीरा बका-बका करने लगी।



पूरे देश अम्मा की सलामती के लिए प्रयत्न चालू हो गए। कहीं लोगों ने हवन किया तो कही रोजे रखे लेकिन बूढ़ा ने पिज़्ज़ा मँगवा कर खूब छापा।

आखिर शाम को तमाशा खत्म हुआ और बूढा को बाहर निकाल लिया गया। पूरे देश में ख़ुशी की लहर दौड़ गई, अमेरिका से भी किसी ट्रम्प ने बधाई का ट्वीट भेजा। प्राइम-मिनिस्टर ने इसका पूरा श्रेय अपने आप को दिया।

सब खुश थे पर करिया नाराज बैठा था। पता चला उसने अम्मा से कहा था कि सनी को भुलवाना तभी बाहर निकलना, पर अम्मा ने लियॉन की जगह देओल को भुलाने की माँग कर दी थी।

अगले दिन खबर आई कि सरकार ने छेद का कारण का पता लगाने के लिए एक सदस्य की समिति बनायी थी। उसी के द्वारा भेजा गया एक साइंटिस्ट गॉंव में सब से पूछता फिर रहा था कि बूढ़ा कहाँ है। लोगों को लगा कि कोई बुढ़िया चुराने वाला है और सब ने मिलके उसको सूत दिया।

सब ने खुप माल कमाया । गाना बना डीजे वाले बाबू मेरा गड़हा खना दो; नया सीरियल बना खड्डे में मेरा ससुराल; एक नयी फिल्म एलान हुई जिसमे अफ़ग़ानिस्तान की ओर से आया एक तनाशा देश की बुढ़ियो को खड्डे में डालने लगता है पर इसपे भी बुद्बुधेश्वर बाबा ने बखेड़ा खड़ा कर दिया बोले हमारी महिलाओं को कोई बहार से आकर खड्डे मे नहीं धकेल सकता ये सिर्फ हमारा अधिकार है ।उधर हॉलीवुड मे भी ऐसी ही फिल्म पे काम सुरु हुआ पर इसमें बुढ़ियो को छेद से पतलून के ऊपर हॉफपैंट और पीठ पे टॉवल पहनने वाले सुपरहीरो निकालेंगे ।



चौपटा मशहूर हो चुका था पर सुरती भाभी मुँह बना के बैठी थी।

पूछने पर बोली, बोरवेल नहीं कुँवा खुदवाओ, अगली बार गड्ढे में मैं खुदूँगी।


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