कहानी ‘सीधी बात’ की
कहानी ‘सीधी बात’ की
अर्जुन पुरस्कार लेकर जब रोहित वर्मा, सीधे दोशी साहब के घर पहुंचे तो दोशी साहब को बड़ी खुशी हुईI
रोहित वर्मा ने आते ही दोशी साहब के पैर छू लिये और बोले साहब आज मुझे जो ये पुरस्कार मिला है, आज मैं जिस ऊंचाई पे पहुंचा हूँ इस में आपका और आपसे दी गई सलाह का बड़ा योगदान है I आपने अगर मेरे चयन के दिन मुझे झटका दे कर सलाह ना दी होती तो मैं ये मुकाम तक शायद नहीं पहुंचता. उस के बाद रोहित वर्मा और दोशी साहब के बीच बहुत सारी बाते हुई, जाते जाते रोहित वर्मा ने फिर एक बार दोशी साहब के पैर छूए और इतने बड़े पुरस्कार की खुशी में, अपने साथ लाये मिठाई से उनका मुंह मीठा करवाया I
रोहित को जाते देख, दोशी साहब भूतकाल में चले गये ओर उन्हें वो हर बात याद आने लगी जो बात रोहित वर्मा के चयन के दिन हुई थी I
प्रेकटीसींग सेशन के बाद, दोशी साहब की जो खुद क्रिकेट सीलेकशन कमिटी के अध्यक्ष थे, उन्होंने रोहित वर्मा का साक्षात्कार लिया I रोहित वर्मा के जो रेकोर्ड्स थे, जो प्रदर्शन थे उसके आधार पर तो रोहित का चयन निश्चित ही माना जाता था I लेकिन, साक्षात्कार के बाद, दोशी साहब ने रोहित को संदेश भेजा की आपका चयन नहीं हुआ है I
जैसे ही दोशी साहब का संदेश मिला, रोहित भाग खड़े हुए I आते ही गिड़गिड़ाने लगे, साहब मेरे प्रदर्शन में कहां कमी रह गई ?
दोशी साहब ने उसकी ओर पानी का ग्लास सरकाते हुए बोले, बेटा शांत हो जाओ, आपके प्रदर्शन में कुछ भी कमी नहीं थी I और मैं आपको ये बात बता देना चाहूंगा की निश्चिंत रहे आपका चयन हो गया है I आप जैसी क्रिकेटींग प्रतिभा को कोई कैसे नजर-अंदाज कर सकता है? आपको एक शौक ट्रीटमेन्ट देनी थी जिससे आपके बातचीत के व्यवहार को सुधारा जा सकेI
बेटा, आपका मैंने जब साक्षात्कार लिया तो मुझे यह पता चल गया की आप में बात करने का कौशल बिलकुल नहीं है I “सीधी बात” का कोई गुण आपके साक्षात्कार में प्रतीत नहीं हो रहा था I
मैं तो तुम्हारा चयन कब का कर चुका थाI लेकिन, क्योंकि आपको जिंदगी में सिर्फ क्रिकेट ही नहीं खेलना है, रिश्तों को भी निभाने है, जिंदगी में आगे भी बढ़ना है जिसके लिए बातचीत का कौशल बहुत जरूरी हैI इसलिये आपका चयन नहीं हुआ है ऐसा संदेश भेज के आपको शोक ट्रीटमेन्ट दी गई I
बेटा, जब मैंने आपका साक्षात्कार लिया तब मुझे ख्याल आ गया की आप में बच्चों की हरकतें थी I आप का बात करने का तरीका गलत था I जिसे बातचीत में “सीधी बात” कहते है, वो आप में थी ही नहीं I
साक्षात्कार में आपने बताया था की आने वाले समय में देश के लिये मैं ये कर दूँगा, वो कर दूँगा लेकिन वो कैसे करेंगे इसके बारे में आपके पास कुछ द्रष्टि नहीं थी I हम जब भी बात करते है, उस बात की सही कीमत का अंदाज होना चाहिए I आपकी बातों में पारदर्शिता नदारद थी I
आपने मुझे ये भी बताया की समिति और साथी खिलाड़ियों का साथ मिला तो आप कमाल कर देंगे I यहां आपकी बातों में प्रतिबद्धता की कमी जाहिर हो रही थी I आपके बलबूते पे आप टीम को कहां तक ले जाएंगे ये नहीं बता पा रहे थे I ‘सीधी बात’ में हमारी प्रतिबद्धता प्रतीत होनी चाहिए I
जब आप से आपकी आय, बैंक लोन और सम्पत्ति की बाते हुई तो आपकी बाते घुमाने वाली लग रही थी, ईमानदारी का इजहार नहीं था आपकी बातों में I जब आपकी बात में ईमानदारी की महक होगी, तब उसमें आगे बढ़ने की चहक सुनाई देगी I
बस यही बात बताने और जताने के लिये मुझे ये सब करना पड़ा I आपकी क्रिकेटींग प्रतिभा को अगर ‘सीधी बात’ का कौशल मिल जाये तो आप बहुत सारी सिद्धि प्राप्त करेंगे – आप क्रिकेट के साथ, रिश्तों कि दुनिया में भी अच्छा कर पाएंगे जो जिंदगी में आपको बहुत आगे तक ले जायेगा ओर आपको सुख और सुकून का एहसास भी दिलाता रहेगा I
दोशी साहब को आज बहुत खुशी हो रही थी की उनकी ‘सीधी बात’ की नसीहत से रोहित वर्मा की जिंदगी मस्त और जबरदस्त बनी हुई है I
“ जिंदगी में सफलता पाने का है ये आधार
‘सीधी बात’ है तंदुरुस्त रिश्तों का सूत्रधार “
