Sanju Pathak

Tragedy

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Sanju Pathak

Tragedy

कचरे का डिब्बा

कचरे का डिब्बा

2 mins
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स्नेहा और उसके पति ने बड़े संघर्ष के साथ अपने दो जुड़वा बच्चों को पढ़ाया। किराए के छोटे से मकान में दो जुड़वा बच्चे और बूढ़े दादा जी के साथ पूरा परिवार स्नेहा बड़ी लगन और तन्मयता से अपनी जिम्मेदारियां निभाती थी। पति ऑटो चलाकर परिवार का जीवन निर्वाह करते थे। उसके दोनों बच्चे सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गए थे। लगभग छः वर्ष के अंतराल में कंपनी बदलने पर अब दोनों बेटों की तनख्वाह भी अच्छी हो गई थी।


दादाजी की इच्छा अनुसार अब बेटों की शादी का उपक्रम था। रिश्ते आने लगे। बात चीत का दौर प्रारंभ हुआ। एक रिश्ता आ जाओ स्नेहा को समझ में आया वहां आगे बात बढ़ाई लड़की के पिता ने स्नेहा से बोला , "आप अपने बेटे का मोबाइल नंबर दे दें,मेरी बेटी भी आपके बेटे से बात कर लेगी और दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझ लेंगे।"

    

स्नेहा ने अपने पांच मिनट बड़े बेटे रोहन का मोबाइल नंबर लड़की के पिता को दे दिया। लड़की अनन्या जो एम बी ए थी और मुंबई में जॉब कर रही थी ने रोहन से बात करने के लिए फोन लगाया-   " हैलो रोहन , मैं अनन्या।पहचाना मुझे।मेरे पापा ने मुझे तुम्हारा नंबर दिया है बात करने के लिए। एक्चुअली मैं ये जानना चाहती हूं रोहन कि तुम्हारे घर में कितने डस्टबिंस हैं?" रोहन को समझ नही आया ।उसने फिर पूंछा, "घर में कितने डस्टबिंस से तुम्हारा क्या तात्पर्य , अनन्या?"

 "आई मीन, तुम्हारे मम्मी पापा के साथ साथ और कितने बूढ़े लोग हैं तुम्हारे घर में?"उधर से अनन्या का बेरुखा सा स्वर था। रोहन को लगा जैसे अनन्या ने उसके कान पर पत्थर दे मारा हो।वह सिर पकड़कर बैठ गया और मोबाइल उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया।



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