శ్రీదేవిమురళీకృష్ణ ముత్తవరపు

Drama Classics

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శ్రీదేవిమురళీకృష్ణ ముత్తవరపు

Drama Classics

कैलेंडर

कैलेंडर

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कभी कभी जिन्दगी में कुछ चीजों से प्यार, कुछ चीजें से नफरत, कुछ से डर हैं तो कुछ चीज से बदन कांपता हैं।किसी को छिपकली को देख के डर हैं तो किसी को प्यार न तो सही, डर बिल्कुल नही लगता होगा।

मेरी एक मजबूरी ओर पसंद भी एक चीज से हैं कैलेंडर।जब भी उसकी ओर देखता हु तो, ओ पुराने दिन याद आते हैं स्कूल केलिए छुट्टी कब होगी ?और अगर हो भी जाती हैं तो इतना खास नही था जितना अभी।ज्यादा गुमाऊंगी नही बताती हु।

मेरा घर बहुत बड़ा हैं बिल्कुल राजमहल जैसा।बहुत खेती होती थी जिले के लगबग हर गाँव में हमारी रिश्तेदार , ओ भी रिच क्लास की।हुम् चार बहने एक भैया।भैया की शादी को लेकर बड़ी सपने देखती थी मा।पापाजी बोलते की हमारे बद्दू केलिए सीधी साधी लड़की को मैं ढूंढूंगा।आपकी हाई क्लास की नही, बल्कि मेरी गाँव से।

ये मा को पसंद नही।जो लड़की बहु बनके आएगी ओ बड़े घर की ही होनी चाहिए।लेकिन हमारी सपने कहा पूरा हो ने देता हैं भगवान।ओ जो भी चुनेगा सही चुनेगा।पहले कड़वा लगने पर भी आगे जाकर मधुर फल बन जाते हैं।

पापाजी की ख्वाईश पूरा किया भगवान।चार बहनो में सिर्फ एक ही को भाभी अच्छी लगी।मुझे उनसे सबसे ज्यादा नफरत हैं।कोई शुकायत नही बस साधारण क्लास मुझे पसंद नही। बड़े बड़े लोग आते जाते घर में, अबसे नोकर की बराबरी वाली, बहु बुलाया जाएगा।

में, ओर बाकी दोनों बहनें मिलकर इतना मज़ाक उड़ाते थे भाभी को, लेकिन ओ कभी फिसली नही।एक सब्द बोला तक नही हमको।पापाजी बोलै एकबार, आपलोग इतना थांग करती हो, फिर भी किसी की शिकायत की नही बहु ने।आखिर करती कैसी, उसको सुनने वाला हैं कौन घर में।न मा, ना हुम् तीनो, ना पति जिसको उससे प्यार मिलना था।छोटी दीदी पूनम से उसे बहुत मिलती थी।

पहली बार में, माँ बनने की खबर पता चली मुझे , मेरा पाव जमीन पर न था।ओ खुश खबर मा को सुनाने केलिए फ़ोन किया तो भाभी उठाई।अपनो को फ़ोन करती रहती हो सारा दिन, ओर काम भी क्या हैं, मिट्टी की घर से सोने की होगई हो।तेरे जैसे नसीबवाला कम हैं ।चलो मा को फ़ोन दो ।मैं बोली

माजी घर पर नही हैं दीदी।बोलिये क्या बात हैं, कुछ बात कहनी हैं माजी से ?

ओ।ओ। ज्यादा मत उड़।मेरी ओर माँ की बीच में किसी की जरूरी नही।पीछेसे मेरे पति बोल रहे थे उस दिन, किसी का कमी निकालो मत।देखा जाय तो ओ तुमसे भी बड़ी घर की बहू हैं।याद रखो।जब खुश खबर बोलनी थी, तो मूड क्यो खराब कर लेते हो तुम।भाभी भी मा समान हैं।उससे भी अपना खुश बांट सकती हो।

आप रूकिये जी।ओ बस उस घर की नॉकरानी हैं।मेरी भाभी बनने की लायक नही।ओर भैया केलिए सही पत्नी भी नही हैं तो।

ये तुम कैसे तय करोगी।सब भगवान की देन हैं प्यारी।सबको हमारी मानकर चलना सीखो।कल कौन सही समय पर काम आएगा ? किसको पता। मेरी पाती जी भाषण देते हुए वहां से जा चुके हैं लेकिन दिल में गब्राहट हो रही हैं मुझे।नॉवी महीने में मा घर जाके इस माहान, सुशील भाभी को कैसे फेस कारु ?इतना बड़ा घर हैं लेकिन अच्छी भाभी की कमी हैं।सोचते सोचते नींद लग गई मेरी।

रात को मा का फ़ोन आया।में ये खबर सुनाया।तब मा भोली ये ढक्कन मुझको बताई नही।इतनी अच्छी खबर ये नालायक को सुनाई तुमने पहले ?

नही मा।मैं उससे क्यो बोलती ?जब खबर अच्छी हैं तो अपनोसे शेयर किया जाता हैं।बाहर के लोग से नही।वो हैं ना उसकी फेवरेट छोटी दीदी , , , ओ बोली होगी ?

हा।मेरे आने से पहले मिठाई बनाकर खुद बांटी हैं पूरा मोहल्ले मैं।मुझे शर्मिंदा होना पड़ा इसकी वजह से।में क्लब गई थी कलेक्टर साहब की पत्नी से मिलने।ओ आज ही लंदन से आई हैं।कुछ हुमारे लिये ख़रीदके लाई तो मै स्वीट वगैराह देकर आई अभी तो आपकी भाभी बता रही हैं ये बात।

मा।।। बड़की में समनदर की तरह।उसको मेरी भाभी मत बोलो।

अरे। बेटी, , , गलती से मुँह से निकल गया।छोड़ दो ।इस वक्त में टेंशन लेना अच्छा नही हैं तबियत केलिए ओर ओ नन्हा केलिए भी।खुश रहो सदा।अभी फ़ोन रखती हूं कल पहुंचूंगी आपके घर।ठीक बेटा ?

खुशी खुशी में नॉवी महीने आगयी।डेट भी दिया गया।जून 5 को।

पाती रोज फ़ोन करके हालचाल पूछ रहे हैं।

एक दिन वो फोन करके पूछा कि आज तारिख क्या हैं ?

में बोली पता नही ?

एक बार याद करलो जी, इस भक्त को भूल गयी हो वहां जाकर क्या ? हस्ते हुए पूछ रहा हैं।

डेट देखने गई में कैलेंडर के पास।हाथ में लिया।और झांक रहा हु की आज क्या हैं इतनी खास चीज ?

ज्यादा तांग नही दूंगी आपको।आज मेरा जन्मदिन हैं ।भूल गए हो क्या आप ?चलो माफ की में ने, हालात को मद्दे नजर रखते हुए, आज हम खुद पहुंचेंगे वहां। अभी फ़ोन रखते हैं ।फ़ोन कट गई।।।

इस नॉकरानी की सोच में पड़कर हर चीज भूल जाती हु मैं।दो तीन दिन की मेहमान मैं, मुझे ऐसा महसूस होता हैं तो, भैया का हाल क्या होगा ?

ओ जूस लेकर आई।दीदी जल्दी पी लीजिये।मेरी ज्यादा यहां रहना आपको पसंद नही, इस हाल में आपको टेंशन नही होना चाहिए।इसलिए जल्दी पीलीजिये।गिलास दे दीजिए।गूंगाट सजाटी हुई खड़ी हैं सामने।

ओर नॉकर कहा मरगये हैं ?तुम लेकर आई हो ?

माजी ये काम मुझे सौंपकर गए हैं तो आगयी दीदी।बाहर खड़ी रहती हूं बुलाइये नही तो।उसकी आंखें प्यार भरी हैं बोले तो माँ से ज्यादा।क्या मै ने कभी पलट के देखी नही या मेरी ये मा बनने की हालत में ऐसा लग रहा हैं।

रूखिये ।पहली बार में मर्यादापूर्वक बात की उनसे

मेरी खयाल बहुत रखती हैं।भैया शादी के बाद ज्यादा टूर पे रहता हैं ।मा की बात पहले जैसे ही हैं।क्लब जाओ, साथियो से बैठक , घंटो तक बात कभी कभी बाहर टूर जाती हैं।आज भी वरणासि गई हैं।दो दिनकेलिये।डेट खरीब आ रही हैं शिवजी से मन्नत मांगने गई हैं।मा इतनी प्यार करती हैं मेरा।एक बार सर हिलगायी मेरी ।

अपने हाथ से कैलेंडर ओर फ़ोन उसकी ओर फेंकी ।मुझे पता नही चल रहा था क्या हो रहा हैं मेरे साथ।

दीदी।दीदी। चिल्ला रही हैं भाभी।।

सबको बुला रही हैं।नॉकर आगये।रामु काका नाम के नॉकर ड्राइवर को बुलाने गया।लेकिन उन्होंने बोला की कार सब माजी, भैया, पापा लेकर गए हैं।फ़ोन किया तो पापाजी लाइन पर आगया।ओ बोले कि आधे घण्टे में पहुंचूंगा।।रामूकाका ये सब सभाल रहा था इस बीच भाभी बाहर निकली एक ऑटो को रोकी।

ऑटोवाले ने मुझे ऑटो में लेटाया।बहुत तेज चलाने को बोल रही हैं भाभी।उसको क्या पता क्या करना हैं।अभी डेट नही हैं।फिर ये कैसे।तरह तरह के सोच के बादल छा गए।बीच में मेरी चीक सुनकर भाभी मुझे अपने गले में लेकर बोल रही हैं ।दीदी।सब ठीक होगा।घबराईये मत।सर पे हाथ रख के पसीना पोंछ रही हैं।इतनी हिम्मत दी भाभी ने मुझे, ये नही लगा कि माँ मेरे साथ नही हैं।

अपने बैग से फ़ोन निकाल के रामू काका को फ़ोन किया।सबसे कहना काकू हुम् अपने ही अस्पताल पहुंच रहे हैं।मेरे पास किसीका नंबर नही हैं।आप जरा जल्दी कीजिये।

ऑटोवाले भैया जरा तेज चलाइये।बोली

मेरी खून भी निकल आ रही हैं।दीदी आप घबराईये मत में हु न।मैं भाभी की हाथ इतनी भरोसे के साथ पकडली ओ शायद भरोसा नही भूल की माफी मांग रही हैं मेरी हाथ।

ऑटो से निकल के खड़ा नही हो पाईं में।हाथोंमें ली भाभी जैसे शायद फिल्मो में होता हैं।और कभी काभी कोई हाथ बढ़ानेवाला नही रहे तो खुद ताकतवान बन जाता हैं आदमी।इतने में भगवान भेजा होगा भैया आ गया।बाद में पाप।बस मेरी आंख लग गई।।

ऑटोवाले से बोल रही थी बहु, की मेरे पास पैसे नही, जल्दभाजी में भूल औई।ये लीजिये आप बोलके, हाथ की अंगूठी निकाली हैं।तो ऑटोवाले बोला हुम् भी समझ सकते हैं दीदी।में प्रेग्नेंट लेडी केलिए पैसे नही लेता हूं कहके जा रहा था।पीछे से ये भैया।पैसे लेकर जाओ आवाज सुनकर रुखगया।पल्लवी रोखो उसको।पहली बार पाती की मुँह से अपना नाम लेते हुए देखगर चोंकगई पल्लवी उर्फ बहु।

चलो पल्लवी।लड़का हुआ हैं दीदी को।ओ बुला रही हैं तुझे।यकीन नही हो रहा था पल्लवी को।बहू क्यो देर करती हो भगवान एक दिन सबका सुनता हैं।आज तेरा सुनलिया।जो देना थ आपको देदिया।अब जाओ अपनी धर्म निभाओ।हँस रहा हैं पापाजी मज़ा मुझसे ज्यादा ओ ले रहा हैं।

माफी बाद में मांगूंगा।फिलहाल दीदी के साथ दो।राणा(पति) की बात से आंखो के नदी बह गई।

ओ नालायक।क्या हाल की होगी।तारिख से पहले ये सब होगयी आते ही टूट पड़ी माजी दूसरे दिन सुबह।

अम्मा।ओ समय पे घर पर हैं तो मुसीबत टल गई।अब आगे पल्लवी को कभी नालायक बोलना मत।राणा की बात अजीब लगी मा को।

बहुत आभार हु पल्लवी ।छोटी हो गौई हो नही तो पाव पड़ती आपकी ।दिदी के पति बोला

सब की इसी बात से शर्मिदगी महसूस कर रही थी पल्लवी।हुम् घर चलते हैं मम्मी पल्लवी को लेकर।कुछ खाने केलिए बनवाकर ले आऊंगा।आसिरवाद लेकर घर निकल पड़े राणा ओर पल्लवी।

रास्ते में राणा पल्लवी केलिए फ़ोन ख़रीदकर दिया।पहले उसका नंबर फीड किया नालायक नाम से।घबराई पल्लवी इसे देखते ही।घर जाने के बाद मन चाहे नाम देना।अबतक में ओ ही हूँ न।हाथ पकड़लिया पल्लवी की इस से ज्यादा माफी मांग नही सकता में।लेकिन आगे कभी गलती नही होगी तुम्हारे साथ।

तीन साल बाद फ़ोन की पल्लवी भाभी।आज डेट देखी आप ?

क्यो भाभी में उत्सुक से पूछी।

भाभी इसी दिन हम असल में भाभी बहन बन गए हैं।हर साल मुझे याद दिलाना पड़ता हैं।अभी नाराज हो मुझ से।

भाभी ऐसी पूछती हैं तो, गिल्ट महसूस होता हैं मुझे।

नही भाभी।आपकी याद में कैलेंडर देख रही हु।।

अम्मा।अम्मा।खुशी की आवाज से यादोँ से बाहर निकली मैं पल्लवी की दीदी।आज हम सब उन्ही की नाम अपने न से पहले लेना पसंद करते है।यहां तक कि मम्मी भी पल्लवी की माजी बुलाई जाती हैं।हम सब पल्लवी के होगये।बस एक हफ्ता पहले मेरी खुशी इस संसार को देखी सब बदल गयी।

स्मार्ट फ़ोन के बाद जिंदगी में बहुत चीजे लुप्त हो गए हैं।ऐसा कुछ इसलिए बचे हैं पल्लवी भाभी की वजह से। ओ हर चीज आज भी कैलेंडर में डेट के पास लिखती हैं।दूध लेने की तारिक, गैस की, सबकी जन्मदिन की, साल गिरा की, सब चीजें जिसे जिंदगी में महत्व देना हैं

थैंक यू पल्लवी भाभी थैंक यु कैलेंडर।


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