कामवाली बाई
कामवाली बाई
रोज़ की तरह आज का दिन भी लगभग वैसे ही था, भागदौड़ से हरा भरा। शबाना रोज़ की तरह आज भी अपने वक्त पे हाजिर हो गयी थी, सब पढ़ना, लिखना अच्छे से आता था उसे, सच में इतनी समझदार और साफ सुथरी है, ये नहीं रहेगी तो क्या होगा मेरा, बिलकुल अपना घर समझ के सब काम अच्छे से करना और उतनी ही वफ़ादार, ईमानदार, भरोसे के काबिल। दिखने में ख़ूबसूरत, अगर शबाना की मजबूरी नहीं होती ना, तो आज वो झाडू, पोछा जैसे काम नहीं कर रही होती, किसी अच्छे से, अमीर घर में रानी की तरह राज करती। ऐसे दस अलग-अलग घरों में जा के उसे रोजी-रोटी कमाने के लिए ऐसा मेहनत वाला काम नहीं करना पड़ता, पर उसके हालात और परिस्थितियों ने उसको मजबूर कर दिया था और उपर से गोदी में तीन तीन बच्चियाँ, वो और उसका पति घर चलाने और बच्चों की पढ़ाई के लिए दिन रात मेहनत कर रहे थे। और इन परिस्थितियों में भी उनकी अपने बच्चों को सब अच्छी-खासी चिजे देने का प्रयास काबिले तारीफ था। पर आज थोडी-सी गुमसुम थी सुबह से, उसने अपने हरे रंग की आँखों का पानी बखूबी छुपाने का प्रयास किया, पर मेरी नजर की पकड़ में वो पानी आ ही गया।
मैंने शबाना से पूछा, क्या हुआ है ? रोज की तरह नहीं दिख रहे हो आप? हाँ, सही पढ़ा आप लोगों ने, में उसे आदर से ही पुकारती हूँ हमेशा, तो क्या हुआ वो मेरे और दूसरे लोगों के घर काम करते हैं तो? शबाना ने बोला, भाभी एक घर का काम छोड़ने की सोच रही हूँ! क्यो? क्या हुआ? साफ साफ बताना आप, बिना किसी झिझक के, भाभी वो जो 703 वाली भाभी उसकी सास है ना,वो बहुत गंदे तरीके से पेश आते हैं मेरे साथ, उनकी बहु दफ्तर जाते ही उनकी सास का मेरे प्रति बर्ताव एकदम से बदल जाता है, ऐसे के, कोई कुत्ते के साथ भी ना करे, भाभी जितना आदर,सम्मान देते हैं उतना ही उल्टा उनकी सास का बर्ताव है। भाभी मैं वफ़ादारी से हर एक घर में काम करके इज्जत से रोजी-रोटी कमा के खाती हूँ,वो आंटी जी रोज मेरी रखी हुई थैली खोल, खोल के उसके अंदर झांकती रहती है, मेरा पैसे का बटवा खोल के देखती है। मैं क्या कोई चोर हूँ भाभी? इतना बुरा लगता है रोज, शर्म के मारे मर जाने का जी करता है भाभी और कोई उनका पहचान वाला घर आता है तो उनके सामने मुझ पे जोर से चिल्लाती है, उनको बोलेंगी की देखो, देखो कितना घर गंदा रखती हैं, मेरी बहु ने सर पे चढ़ा रखा है, बहुत मस्ती रहती है ऐसे लोगों में, चोर होते है ऐसे लोग। भाभी अब सहन नहीं हो रहा है मुझसे अच्छा तो ऐसा है, मैंने कहा, " आप एक काम करो, भाभी और भैया जी को बताना, जरूरी कदम उठानेवाले अच्छे लोग हैं वो, और आप चिंता न करें, आंटी जी का स्वभाव ही ऐसा है, वो तो बदलने से रही, खुद की ही जय करेंगी वो तो, पर काम छोड़ने की सोचना मत ,और अच्छा लगा अपनी तरफ से आपने आवाज़ तो ऊठाई, करती हूँ कुछ, चिंता मत करो आप, किसी और की सजा आप क्यो भुगतेंगे।
मैंने जैसे तैसे शबाना को तो समझा दिया पर आंटी जी जैसे लोगों को कोई समझ दे ही नहीं पाएंगे, ये भी मैं जानती थी। पर ये बात सच है अपने निचले स्तर के लोगों के साथ वाला आपका व्यवहार, बात करने का तरीका आपके बारे में आपका स्तर कौन सा है, ये बयान करता है, वो लोग भी आदर, सम्मान के भूखे होते हैं , जितना कोई आम आदमी या हम लोग ,तो क्यो कौन सा स्तर है ये देखा जाए, और ऐसे वफ़ादार लोगों पे किसी और बेईमान लोगों की वजह से शक किया जाए? जितना आप उनको सम्मान देंगे उससे दोगुना आप को मिलता है, और ये बात सौ प्रतिशत सच है, मैं तो शबाना को वही इज्जत, आदर और सम्मान देती हूँ, जो की उसका अधिकार है, क्या आप आपकी शबाना को वो आदर और इज्जत देते हो? जो उस ईमानदार और मुश्किल परिस्थितियों से लड़ते, झगड़ते, हर हाल में डट कर, आत्म सम्मान से हर इक मुसीबत का धैर्य के साथ मुकाबला कर रही है, उस हर एक शबाना को वही इज्जत, और आदर,सम्मान के साथ समर्पित। हर कोई चोर और बेईमान नहीं होता, और पता है हम उसे काम की कीमत अदा करते हैं, पर एक दिन उसके ना आने से वही काम करने के बाद हमारी क्या हालत हो जाती है, सोचो इंसानियत के साथ वो इतनी ताकत कहाँ से लाती होगी, के दस घरों का काम अकेले ही कर लेती हैं, खुद वो बीमार ही क्यो ना हो,फिर भी हमारे घर के कामों का बोझ, हमारे कंधों से हल्का करने वाली उस हर एक आदि शक्ति को सारे समाज की तरफ से प्यार भरा इज्ज़तदार प्रणाम ।