कामकाजी मां के मन की व्यथा
कामकाजी मां के मन की व्यथा
आज सुबह जब आरव उठा तो उसने उठते ही मम्मी को पुकारा आज मम्मी उसके पास ही बैठी थी, आज मम्मी ने नहीं कहा- कि मुझे जल्दी है जाने दो और इससे बहुत खुश हुआ कि आज उसकी मम्मी उसे जल्दी छोड़ने के लिए नहीं कह रही ना ही उसे कह रही है कि जल्दी से उठो और तैयार हो जाओ क्योंकि लोक डाउन डाउन लग चुका है।अब घर में किसी को भी बाहर जाने की जल्दी नहीं है आरव इस बात से बहुत खुश था कि उसके मम्मी पापा अब हर समय उसके पास घर में ही रहते हैं, क्योंकि पहले मम्मी पापा दोनों काम के लिए ऑफिस जाते थे और आरव को उनकी बहुत याद आती थी।लेकिन आरव करो ना का शुक्र मना रहा है कि इसकी वजह से अब मम्मी पापा मेरे साथ घर में ही रहते हैं आरव के लिए यह लोग डाउन बहुत खुशी भरा था क्योंकि ना तो उसे स्कूल जाना था और ना मम्मी पापा से उसे अलग होना था। उसकी तो दुनिया ही अपने घर में बस गई थी अब वह सुबह उठते ही रोज नए नए पकवानों की फरमाइश करता और उसकी मम्मी उसके लिए वही बनाती थी।
आरव को अब सब कुछ अपनी पसंद का करने को घर में जो मिल रहा था।पर मम्मी और पापा की अपनी अलग ही समस्या थी क्योंकि पापा प्राइवेट सेक्टर में थे और मम्मी स्कूल में थी तो work-from-home का ऐलान हो चुका था। मम्मी के लिए घर का काम और जॉब का काम दोनों ही बढ़ चुके थे मम्मी का आराम चैन खत्म हो चुका था। वह बस दिन-रात घर के सभी सदस्यों को खुश करने की कोशिश और अपना ऑनलाइन काम खत्म करने में ही व्यस्त हो गई थी। पर मम्मी को भी एक खुशी थी कि वह अब अपने बेटे को पूरा समय दे पा रही है। लेकिन एक डर जो बार-बार उसे सताता था कि कहीं करो ना घर में ना आ जाए इसलिए वह हर समय घर की सफाई का पूरा ध्यान रखती थी।घर के हर सदस्य पर आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाती रहती।घर में हर समय सुबह शाम पूजा का माहौल बना दिया था। ताकि घर में सकारात्मकता की धारा बहती रहे और उस करो ना के डर को भी कम किया जा सके। आरव अब घर में होने वाली हर गतिविधि में पूर्ण रूप से भाग लेता था।जो कि अब वह बाहर खेलने नहीं जा सकता था।
धीरे-धीरे समय के साथ आरव अपने दोस्तों को और स्कूल को याद करने लगा क्योंकि इतने समय तक घर में ही बंद रहना बड़ा ही मुश्किल काम था वाकई ही करो ना का समय एक ऐसा समय था जिसमें हमने बहुत कुछ खोया और बहुत कुछ पाया।