जंग ए कोरोना
जंग ए कोरोना
हमारा देश इस समय कोरोना की वजह से भारी टेंशन में है लेकिन आम जनमानस को कोई फर्क ही नही पड़ रहा है।
जब प्रथम स्टेज था तो विदेशी नागरिक आराम से देश में इंटर हो गया। जबकि हम सभी दो महीने से चीन की तरफ नज़रे गडाये बैठे हुए थे। हम सभी देख रहे थे सुन रहे थे यहाँ तक की आपस में बाते भी कर रहे थे कि चीन में इतने लोग मारे गए ऐसा हुआ वैसा हुआ। लेकिन जब हम चीन या अन्य देशों से आये तो हम स्वयं राष्ट्र हित को देखते हुए हॉस्पिटल क्यों नहीं गए। अपना चेकअप क्यों नही करवाए?क्या सारा काम सोचने का सरकार या सरकारी कर्मचारी का है?क्या हमारे अंदर से यह विचार न आना चाहिए था कि अगर संक्रमण हुआ तो मेरा परिवार मेरा मोहल्ला मेरा शहर मेरा देश भी चीन या अन्य देशों की तरह परेशान हो सकता है।
अब आगे आते है जब इन लोगो ने संक्रमण फैला दिया जो अंजाने से इनकी चपेट में आ गए है क्या उनका फ़र्ज़ नही है कि वो स्वयं कँही न जाए घर में रहे?
कम से कम लक्षण दिखने तक तो घर से बाहर न निकले। स्वयं के बारे में सोचे अन्य के बारे में सोचे हम घर में बैठ कर अपने समाज अपने राष्ट्र की सेवा कर सकते है।
अभी तीसरे स्टेज की तरफ हम बढ़ रहे है, डॉक्टर दवाई खोजने में लगे हुए है लेकिन ख़ुदा खैर करे क्या होता है किसी को कुछ नही पता?
आज भी बाजारों में बस में भीड़ लगी हुई है।
अभी भी लोग धार्मिक कार्यक्रम कर रहे है। हम स्वयं जागरूक क्यों नहीं हो रहे है ?
कोई समझने को तैयार क्यों नहीं है ? क्या जब हम भी इटली जैसे देश की तरह हर तरफ से कंगाल और बर्बाद हो जाएंगे रोने में विवश हो जाएंगे तब हम थोड़ा सीरियस होंगे। या अभी भी टिकटोक या अन्य मज़ाक में कविता कहानी लिखते रहेंगे। अभी समय है जागरूकता एवं सतर्कता से ही हम सभी इस बीमारी से बच सकते है। वरना हम सभी को तबाह एवं बर्बाद होने में समय नही लगेगा। प्राकृतिक आपदाओं से हम सभी मिलकर ही लड़ सकते है एवं जीत भी सकते है। बस थोड़ा संयम और समझदारी दिखाइये और खुद से खुद को lockdown कर लीजिए यही समय की मांग है। अगर ईश्वर ने चाहा तो हम सभी खूब सोसल बनेंगे। और देश को पुनः जीवित करेंगे वो भी आपस में मिल कर। लड़िये जबांज बनिए। अपनी बीमारी स्वयं तक रखिये, स्वयं से आइसोलेट हो जाइये राष्ट्र के लिए अपने परिवार के लिए।