ज़िंदगी की तलाश
ज़िंदगी की तलाश
एक छोटे से गांव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम अर्जुन था। वह बहुत मेहनती था और हमेशा अपनी ज़िंदगी में कुछ बड़ा करने का सपना देखता था। लेकिन उसे लगता था कि उसकी ज़िंदगी में कुछ कमी है। उसने सोचा, "क्या है वो चीज़ जो मुझे चाहिए?"
एक दिन, गांव के बुजुर्ग संत ने अर्जुन से पूछा, "तुम्हें क्या चाहिए, बेटा?" अर्जुन ने कहा, "मुझे ज़िंदगी में सच्चा सुख चाहिए, लेकिन मुझे नहीं पता वो कहां मिलेगा।"
संत मुस्कुराए और बोले, "तुम्हें सुख को कहीं दूर नहीं ढूंढना। वह तुम्हारे भीतर है। बस उसे पहचानने की ज़रूरत है।"
अर्जुन ने सोचा और संत की बातों पर ध्यान दिया। अगले कुछ दिनों तक वह संत के बताये रास्ते पर चलने लगा। उसने देखा कि जब वह दूसरों की मदद करता, तो उसकी ज़िंदगी में एक अलग ही खुशी का अहसास होता था।
एक दिन अर्जुन को एहसास हुआ कि असल में सुख बाहर नहीं, बल्कि इंसान के दिल और उसकी मदद में छिपा होता है। उसने समझा कि ज़िंदगी की तलाश कहीं और नहीं, बल्कि उसके खुद के भीतर है।
वह संत के पास गया और बोला, "धन्यवाद गुरुजी, अब मुझे समझ में आया कि सच्चा सुख और शांति मेरी ही ज़िंदगी में है।"
संत हंसते हुए बोले, "तुमने जो सिखा, वही असल सुख है। यही जीवन की सच्ची तलाश है।"
और इस तरह अर्जुन ने अपनी ज़िंदगी को सच्चे सुख और शांति के साथ जीना शुरू किया।
कहानी से सिख: सच्चा सुख और शांति हमेशा हमारे अंदर होती है, बस उसे पहचानने
की जरूरत होती है।
