ज़िन्दगी के कुछ हसीन पल

ज़िन्दगी के कुछ हसीन पल

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कहानी कुछ ऐसी है के मैंने आज तक किसी को इतना नहीं चाहा जितना

के मैंने एक पल में पूरी ज़िंदगी को बस एक पल में जी लिया था।

मेरी ज़िंदगी में एक हसीन सा ख़्वाब था, जो बस मैंने उसको अपनी ज़िंदगी का हमसफर बनाना चाहा था। लेकिन तक़दीर को कुछ और ही मंजूर था!


जो पल भर की खुशी देके बस ज़िंदगी भर का ग़म दे गया था।

आज पल पल रो रहा हूँ के वो फिर से लौट आ जाये मेरी ज़िंदगी में दोबारा। हर दुआ में एक ही बस फरियाद होती है। लेकिन जो चला गया वो फिर से दोबारा नहीं आ सकता है...!


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