Deepti S

Drama

4.5  

Deepti S

Drama

ज़िन्दगी के दो दो बैरी चाँद

ज़िन्दगी के दो दो बैरी चाँद

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प्रेमा ने सपनों में अपने ज़िंदगी की डोर किसी और के साथ बाँध ली पर हक़ीक़त तो कुछ और ही निकली जिसको अपना समझ लिया थावो कब किनारा करने लगा उसे एहसास बहुत देर में हो पाया पर प्रेमा ने भी सही समय पर खुद को संभाल लेना ही उचित समझा औरअतीत को भुला देना ही सही लगा और अपने परिवार की ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी समझ आगे बढ़ गयी क्यूँ कि जिसको अपना चाँदसमझा वो बैरी निकला।

प्रेमा नए परिवेश में रम गयी और भूल गयी पुरानी बातें।

आज तो सुबह से ही मन मचल रहा था प्रेमा का आज मेहँदी रचाऊँगी शादी से पहले कितना शौक़ रहता था मेहँदी रचाने का कभी भी शुरूहो जाती थी मेहँदी से हाथ सजाने क्यूँ कि खुद इतना सुंदर मेहँदी लगा लेती है तो किसी को ना बुलाने की ज़रूरत ना कहीं जाने कीज़रूरत। पर शादी के बाद ये सब घर के काम काज में सब धुँधला पड़ गया पर आज मौक़ा आ गया खुद को दुबारा से वही सुंदर से मेहँदीसे हाथ सजाने का। सुबह से सारा काम जल्दी जल्दी निपटा कर शाम तक जल्दी सब खतम कर लेना चाह रही थी।

शाम होते ही शुरू कर दिया हाथ रचाना पतिदेव भी जाग कर साथ दे रहे थे पर टी बी में व्यस्त थे फिर हाथ दर्द करने लगा मेहँदी सीधेहाथ पर सही से नही लग पा रही थी। पतिदेव ने थोड़ी सहायता की तो मन और खुश हो गया। फिर आधी रात बाद याद आया की सुबह तोचाँद तारों की छाँव में उठ के सरगी लेनी है। बस जितनी मेहँदी लगी थी उतना ही रहने दिया और बिस्तर पर जाकर लेटी पर नींद तो सुबहचाँद तारों की बात से आ ही नही रही थी फिर सोचा अलार्म लगा लूँ ,फ़ोन में अलार्म लगा कर फिर सोचते सोचते कब नींद आ गयी पताही ना चला।

फ़ोन बज उठा थोड़े घंटो में ही आँखे खुलने का नाम ही नही ले रही बस अब उठना तो होगा ही जल्दी से उठी फ़्रेश हो कर सब कुछ सासके कहे मुताबिक़ कर लिया अब क्यूँ कि पति राज की नौकरी के कारण घर से दूर थे तो कोई था ही नही घर में पति पत्नी कि अलावा। सरगी के बाद फिर से नींद सी आने लगी अभी तो बस पोने चार ही हुए थे सोचा थोड़ा और सो लिया जाए और फिर से बिस्तर पकड़लिया और अब तो आँख खुली ही इतनी देर से कि जब राज बाथरूम से नहा कर निकले। हड़बड़ा के उठी समय देखा और राज को बोलीउठाया क्यूँ नही और नाश्ता ,खाना कुछ भी नही बना पाऊँगी इतनी जल्दी। तो राज ने बोला आज मेरा व्रत है मैंने पूछा किस दिन का व्रतकोई व्रत नही रखते हो आप तो बोले आज रखा है और चले गये ऑफ़िस।

उसने दरवाज़ा बंद किया और फिर घर के सारे काम निपटाने लगी फिर प्यास लगी तो याद आया आज तो पानी भी नही पीना अच्छा तोआज राज ने मेरा साथ देने के लिये आज व्रत रखा है। पर फिर भी बोल दूँगी इनको की कुछ खा लें। दिन भर ऐसे ही शाम की तैयारी मेंनिकल गया फिर शाम होते ही प्रेमा दुल्हन जैसी सजधज कर तैयार हो गयी शाम की पूजा की और थोड़ी देर में राज भी ऑफ़िस से आगया उसने राज को बोला था कुछ खा ले पर उसने कुछ नही खाया दिनभर पर शाम को प्रेमा ने जबरजस्ती कर के राज को चाय और ब्रेडखिला दिया।

अब तो रात हो गई और बस चाँद का इंतज़ार शुरू शरीर भी जवाब दे रहा था कभी बिन पानी नही रही व्रत इतने समय तक 

पर आज चाँद भी पता नहीं कौन सा दुश्मनी का बदला ले रहा था आज तो प्राण निकल रहे थे बस चाँद का इंतज़ार था। राज ने इंटरनेटपर देखकर कहा भी दूसरे प्रदेश में चाँद निकल आया है तुम खोल लो व्रत पर पहला करवाचौथ और बिना चाँद देखे व्रत खोल लूँ प्रेमा कामन नही मान रहा था आस पड़ोस के लोग भी छत पर जाते कभी और ऊँची अटारी पर चढ के देखते। रात के दस बज गए अब तो चाँद सचमें बैरी हो गया कैसे हमेशा सपने देखे चाँद को पति को छलनी से निहारने के। जिस प्रदेश में ये रहते थे वहाँ चाँद नही निकला बिलकुलनिढाल हो जब ग्यारह बजे भी बारिश जैसा मौसम रहा तब बिस्तर पर यही सोचते प्रेमा लेटी रही आज चाँद बैरी कैसे हो गया । राज नेअंदर आ कर देखा तो बोला अब खोल लो व्रत बारह बज गया दूसरा दिन हो गया और यहाँ का मौसम ऐसा ही रहता है पर प्रेमा नहीमानी और वो और इंतज़ार करती रही जब साढ़े बारह बजे भी चाँद नहीं दिखा तो राज ने अपने फ़ोन में सेटेलाइट वाला ऐप डाउनलोड करके प्रेमा को थोड़ा बहला फुसला के बातों में उलझा के समझाया देखो दिख रहा चाँद खोलो व्रत तब बहुत राज की मशक़्क़त के बाद प्रेमामानी और व्रत को खोला। पर प्रेमा की नजर में चाँद हमेशा के लिए बैरी चाँद हो गया। उसे पता नही था ये चाँद भी ऐसा बैरी होगा। क्यूँ किउसे एक चाँद से नहीं दो चाँद से धोखे मिले थे।


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